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suramya shubham
उसे पसंद नहीं मेरे खुले बाल वो जिद करता है उन्हें बंधने की वो कहता है, उसे मेरे जूड़े की बेतरतीबी पसंद है वो मुझे बाँधना चाहता है इसी बेतरतीबी में... मानो कोई ख़ुशबू है सौंधी सी और कोई डोर है नाजुक सी मैं ख़ुशबू में डूब भी नहीं पाती और ये डोर खिंचती ही जाती है.... sur... बेतरतीबी....
Brijendra Dubey 'Bawra,
जितने ऊँचे ओहदे, उतने ही गिरे अन्दाज! खुदा तेरी ये बेतरतीबी बहुत मलाल देती है!! ©बृजेन्द्र 'बावरा' #NojotoHindi #NojotoUrdu #Nojoto_best_Shairies #bawraspoetry #ओहदे #बेतरतीबी #अन्दाज #खुदा #मलाल Kanika Girdhari Dr Ashish_Vats OM BHAKAT "M
sifar_e_sifar
हाँ, माना कि बड़ी बेतरतीबी से रहते हैं हम। मगर हमेशा महफिलों में तेरी ब-अदब आए।। #NojotoQuote हम बैठे रहे इंतजार में, कि वो अब अब अब आए। आ गया हमें जब दरमान-ए-दानिस्त, वो तब आए।। दी हमको कुछ यूँ रोशनी , कि जला कर बेगाना बनाया। जरा
Shree
एक आसरा ना तय हुआ एक रास्ता ना शह हुआ बदहवासी में बौखलाए चल रहे दस दिशाओं में, एक वायदा ना सम हुआ एक कायदा ना कम हुआ बेतरतीबी में बुदबुदाते बिताए जा रहें हैं शामें, भीतर गले, कुछ धुआं हुआ बहुत जले, कुछ मिला हुआ मेहरबानियों में कुम्हलाते गिन-गिन पल गुनगुना रहें! एक आसरा ना तय हुआ एक रास्ता ना शह हुआ बदहवासी में बौखलाए चल रहे दस दिशाओं में, एक वायदा ना सम हुआ एक कायदा ना कम हुआ बेतरतीबी में बुदबुदाते
Shubhro K
ashutosh anjan
बेतरतीबी और मनमर्ज़ियों से परेशान रहे हम, अपने शहर में अपनों के बीच मेहमान रहें हम। अक़्सर मुझें समझनें में धोख़ा खा जाते है लोग, उत्सव की रातों में सबके बीच बयाबान रहें हम। लाख कोशिश के बाद ज़मानें से क़दम मिला नहीं, चालाकियां समझ न आई अब भी नादान रहें हम। कइयों के लिए तो ज़ीरो से ज़्यादा कुछ न हो पाए, मग़र ख़ुद के लिए इक सल्तनत के सुल्तान रहें हम। अपनों की नवाज़िशों से जान पाए कि ऐब कितने है, अल्हड़पन में ख़ुद की खूबियों से 'अंजान' रहें हम। उत्सव की रात( ग़ज़ल) बेतरतीबी और मनमर्ज़ियों से परेशान रहे हम, अपने शहर में अपनों के बीच मेहमान रहें हम। अक़्सर मुझें समझनें में धोख़ा खा जा
Shree
ठहरिए... कभी अपनों के लिए... हां, जरुर से अपने आप के लिए। .... मुखौटे में दोहरे-तिहरे चेहरे जाने वे कैसे-कैसे जी लेते हैं!! .... परख बढ़े, परिचय बढ़े परिवार, सबको ले जो चलें तो हो सम्मान। .... सहज, सुलभ, सुन्दर, सरल समभाव रहे वहीं खुश, रखें सबको प्रेम भाव। 🍀🍀🍀शुभ प्रभात 🍀🍀🍀 जैसे नदी की लम्बाई बढ़ती, वेग शांत सा होता जाता। परिपक्व हो जीवन में भ्राता, मानव भी रोज सीखता जाता।
Atul Verma
Shree
सुनो, प्रेम!— % & सुनो, प्रेम! ✍🏼 एक काम करो सारी चिंताएं, परेशानियां, मुश्किलें, दुविधाएं अभी इसी पल में रहने दो, छोड़ जाओ अपनी नई-पुरानी सारी हदें, भूल जाओ