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INDIANTRUST.IN ( BY VISHNU SAINI)
"दादु" आज "टेम" माडा है ⏰ तेरे "पोतै" का, जो "खुद" को "जला" 🔥 रहा है.... और कल उनको भी देख लेगे. जो इस "जलती "आग" मे "पेट्रोल" दिखा रहा है! by vishu दादु का वादा
Ritika Singh
राखी🍬) राखी का पर्व,हम बच्चे मे खुब मनाते है बड़े होकर,फिर क्यों भुल जाते है, हो जाता क्या,इसका मोल कम? बहन-भाई,एक दूजे को,फोन भी नही घुमाते है, देखा है मैने,अपने दादा जी की सुनी कलाई, और दादी की सुनी हाथ, क्यूं हर बार,राखी के दिन,इनके मन भर आते है, पर मैं उन्हें,उदास नही होने दूंगी, दादी से राखी बंधा, दादा जी के हाथ पे राखी बांध दूंगी, मुस्कूरा देगें,थोड़ा सा जब वो ऋतिका सिंह...... #दादा दादी
rakesh
मुझे मालुम है आप मेरे पास नही हो मगर आप कि यादे हज़ारो है आप कि कहानीया ओर सिखे आज भी याद है आप दोनो का बज़ार से हमेशा मेरे लिये कुछ न कुछ लान ओर सब से छुपा के देना स्कुल जान के लिये 4आन देना स्कुल ले जाना ओर लाना मुझे आज भी याद है ©rakesh दादा दादी #deargrandparents
राजेंद्रभोसले
कीर्तननाचे रंगी नट नाचे पण सध्या...... पोपटपंची अध्यात्म रुजू लागले तेव्हा बेकारांची ,पोटभरूनची संख्या वाढली या राजवटीत अभंगाचे अनेक अर्थ लावू लागले गोष्टीरुप व्याख्यानास काही कीर्तन समजू लागले गायनाच्या चढ्या ताना मारणारे सरस ठरले गळ्यात माळा अंगावर विविध नक्षी काढणारे , दाढ्या वाढवून केस वाढणारे भुरटे पाहिले अध्यात्माच्या बाता मारणारे संख्या वाढतच आहे त्यात आई बाबा विषय घेऊन घोकंपट्टी नकलाकार यांनी कहरच केला डोळ्यात मगरमच्छ चे पाणी आणणारे , व्यावसायिक ही अनुभवले परदेशातील भावनिक गोष्ठी सांगून लोकांना शहाणपणाचे सुतलाक डोस पाजनरें, नाटकी कलाकार ही पाहिले विनोदाच्या ग्रामीण भाषेचा तडका पुस्तकपंडितांचे वाभाडे काढताना पाहिले राजकीय पुढाऱ्यांचे भाट ही अनुभवले टीव्ही वर तर जाहिराती पहिल्या माना डोकावून रडणारे भाडेकरू रसिक ही पाहिले कीर्तन चांग कीर्तन चांग
Sumit Singh Rathor
Alone वो भी क्या दिन थे जो साथ बिताये दादा- दादी के आज भी वो याद आते है काश वो दिन वापस आ जाता बचपन की सौगात हमें मिल जाता जब दादा के हाथ से मखन खाना उनके गोद में उछलकर बैठ जाना दादी के हाथ से छाछ पिना लोरी सुनते शो जाना जब भी कोई डांटे तो दादा- दादी से कह देना पारले- जी खाकर खुश होकर खैलने चल देना वो भी क्या दिन थे ©Sumit Singh Rathor दादा जी - दादी जी #alone