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Anindya Dey
.. सुबह है आई, इस्तक़बाल किजे, तकल्लुफ़ क्यूँ जी, तवज्ज़ो दिजे, कीमत, किफायत से पहले क़द्र किजे, उसूल से वसूल नहीं, प्रीत से जीत लिजे, आईये मुस्कुरा कर, गर्म चाय की चुस्की लिजे..! .. अनिंद्य .. 🌱खुशामदीद..💞 (२१ अक्तुबर २०१७)
Anindya Dey
.. अबके जब तन्हा होंगे हौसले को सवार लेंगे, वस्ल के लम्हों की इत्र फिज़ा में मिला देंगे..! ..🌿खुशामदीद.. 💝 साल २०१७ में लिखी..
Lata Sharma सखी
आज ये सावन बरस रहा है, या मेरे आंखों से दरिया बरस रहा है.. यूँ लगता है मुझको आज, ये सावन मेरे साथ रो रहा है.. हर टिप टिप कर गिरती बूंद को जैसे, टूटे दिल की तड़प का एहसाज़ है.. गिरते गिरते आँसुओं को पी रही है, जैसे ये बूंदें आज मेरे गम में बरस रही हैं.. क्या कसूर था मेरा आज बता दो मुझे, जो आज इस दिल से ये लहु बरस रहा है.. आँखें भी तो दरिया हो गई है मेरी, रुकती नहीं तोड़ गई हर बांध, मेरे गम का एहसास लिए ओ सावन तू क्यों बरस रहा है... खत्म हुई जीने की इच्छा अब तो मेरी, मौत भी तो न है सखी अब मेरी.. आसमाँ से बरसता ये अब्र आज क्यों, मेरे मन को जला रहा है.. कभी भीगती थी खुल कर इस सावन में मैं, तो यही सावन ठहाका लगा हंसा करता था, आज मैं रो रही हूँ तो, ये सावन भी मेरे साथ रो रहा है... ©सखी #gif सावन बरस रहा है #सावन
Anindya Dey
.. सुबह कूछ फिकी सी उजली थी, नम सी चुभती ठंडक लिये, अंधियारा था तितर-बितर फैला हुआ चादर जैसे, रात अभी पूरी बीती न थी, झूठा मुंह था, रात सा आसमान मैला ज़मीं के पलकों पे नींद का डाले, के कल की थकान उतरी न थी, और रोज़ी को निकले ऊब को संभाले, के भूख किसीकी सगी न थी न माने समझे किसी के हवाले..! ..🌿 खुशामदीद..💞 २०१७ में लिखी गई पंतियां..
Anindya Dey
.. शरीफ़ों पे हुआ असर दिखे अब वो नज़र चाहिये, ऐहसास की क़द्र करने लिहाज़ की नब्ज़ चाहिये.. .. रिवाज़ तहज़ीब के सबब सब रंग सजने चाहिये, ख़ुदा के दुनिया की बारीकियों में गुंजाइश चाहिये.. .. 🌱खुशामदीद..💞 .. माज़ी के मोहल्ले से.. २०१७