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Meenakshi Meera
# विषय - भारतभूमि # विधा - कविता ( हाइकु) ------++++-------++++------ १. हे मातृभूमि नमो सदा वत्सला पुण्य सलिला २. विश्व साम्राज्ञी धर्म दिग्विजयिनी जग कल्याणी ३. हिमगिरि से हिन्द महासागर गौरवगाथा ४ .कर्म- धर्म की प्रेम - सत्य - त्याग की हो तपोस्थली ५. सारी वसुधा है कुटुंब समान अपना मान ६ .मोक्षदायिनी हे धर्म अधिष्ठात्री विश्व गुरुता ७. शांति- वीरता पर्चम लहराता झंडा तिरंगा ८. ये देवस्थली ये पराक्रम स्थली शूरवीरों की ९. विविधता की विशेषताओं में भी हम एक हैं १०. सोन चिरैया बहे दूध नदियां स्वर्ग धरा का ११. वीरों की खान बलिदान है शान प्राणों का दान १२.करे नमन ये जन गण मन भारत महान् -------+++-------+++--------- --@मीनाक्षीकुमावत'मीरा' रोहिड़ा (माउन्ट आबू) राजस्थान ©Meenakshi Meera भारत भूमि #India
Sarthak dev
क्या सही क्या ग़लत ये कौन बताता है घर अपना बनाने से पहले ईंटों की नींव ज़मी में लगाने से पहले जाने कितने आँशियानों को उजाड़ा जाता है ~सार्थक देव #पर्यावरण #भारत #भूमि #जिंदगी
Subhash Royal
जय मूलनिवासी जय भारत जय भारत भूमि
pramod malakar
नि:शब्द है भारत की भूमि ++++++++++++++++++++ अद्भुत ध्वनि गूंज रही है नि:शब्द है भारत की भूमि प्रश्न चिन्ह भी आज शांत चित्त है , घर्म - साधना सब है अधुरी। विरूद्ध - अवरुद्ध सब प्रयोग है, शस्त्र , संस्कृति है जरुरी। कुचल रहा लाशों को लाश है, उपदेशों का संचार है जरुरी। लय हत्यारों का है मृदुभाषी, आत्मशुद्धि है अब मजबूरी। सच कि गहराई में डुबकी लगा लो, शस्त्र क्रांति से निकलेगी प्रकाश पुरी। युग अग्रसर है झुकने को, विडम्बना से बनालो दूरी। अहिंसा दुबका बैठा है ह्रदय में, प्रगाढ़ बनो जला कर मशाल तुम, जगमग होगा साकार यही सच है पुरी। अद्भुत ध्वनि गूंज रही है, नि:शब्द है भारत की भूमि।। 8888888888888888888 प्रमोद मालाकार की कलम से 11111111111111111111111111111111 ©pramod malakar #निशब्द है भारत की भूमि
Avnish singh Thakur
Full of Ambition and hope भारत की भूमि देवताओं की भूमि है क्योंकि यहाँ पर कई महान देवता तुल्य ऋषि और महर्षियों का जन्म हुआ हैं. भारत की भूमि देवताओं की भूमि है #bharat #devbhumi #avnishmsingh #nozotohindi
Shivam raja Chauhan
क्यों हो रहा बेचैन तू रुक जरा, सव्र कर उमड़ पड़ी है आंधियां चारों ओर देख तू, दिशा बची नहीं कहीं, हुआ प्रचंड विश्व भी, हिम की भी पुकार है, सर्वनाश हो तेरा, उलझ पड़ा है विश्व के उस गुरु महान से, ये कविता चीन भारत विवादों पर आधारित है