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New रास्ते के लिए कानून Quotes, Status, Photo, Video

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Rakesh Gupta

महिला सशक्तिकरण के लिए कानून! #inspirational

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Amit Saini

#जीवन के लिए है रास्ते

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Life and Road   जिंदगी का रास्ता प्राकृतिक की देन है
 संभल संभल कर चलना यारों
 होते कभी कभी ब्रेक भी फेल #जीवन के लिए है रास्ते

Mayank Jain

#kahanisuno लोग मिलते नहीं रास्ते बताने के लिए रास्ते बदल जाते है लोगों से मिलने के लिए #Poetry

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Brajesh Kumar Bebak

हमारे यहां के सारे कानून खाने कमाने के लिए बने हुए है #विचार

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Shravan Goud

तरक्की के रास्ते हमेशा कार्य के लिए तत्पर रहने वालों के लिए होती है।

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तरक्की के रास्ते हमेशा कार्य के लिए
 तत्पर रहने वालों के लिए होते है। तरक्की के रास्ते हमेशा कार्य के लिए तत्पर रहने वालों के लिए होती है।

Babita Kumari

औरत के लिए ही कानून बने हैं आदमी के लिए क्या कोई कानून नहीं #PremTheme Yogendra Nath maahi banarasi Abhilasha Dixit Anshu writer Aftab

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BOSS TIGER

जिंदगी जीने के लिए क्यों रास्ते है मेरी जान

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Anant Nag Chandan

#मृत्यु के बहुत रास्ते हैं, लेकिन #जन्म के लिए केवल #माँ है। #ज़िन्दगी

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मृत्यु के बहुत रास्ते हैं,
लेकिन जन्म के लिए केवल माँ है। #मृत्यु के बहुत रास्ते हैं,
लेकिन #जन्म के लिए केवल #माँ है।

socho81

जब हम अपनी मंजिल पाने के लिए रास्ते पे चले..

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जब हम अपनी मंजिल पाने के लिए रास्ते पे चले ,तब तू हँसा।
जब में दौड़ा तब ,तू हँसा ।
जब में गिरा तब , तू हँसा ।
जब में खडा हुवा तब , तू हँसा ।
और मैंने अपनी मंजिल पा ली तब भी ,तू हँसा ।
लेकिन जिस दिन तूने हँसना बन्द किया उस दिन से मेरा वजूद खत्म हो गया ।
पंकज यादव जब हम अपनी मंजिल पाने के लिए रास्ते पे चले..

Vivek Singh rajawat

अपने घर से कॉलेज के रास्ते मे मिली उन दादी जी के लिए,

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"बाज़ार, बूढ़ी औरत और बारिश"
यू शाम भी उसी तरह ढली जिस तरह जिंदगी थी ढली,
वो अंधेरे में थी,जबकि पूरे बाजार में खुशियां थी खिली,
तन पर एक मैली साड़ी जिसमें छेदो ने अपनी जगह संभाली,
चहरे पर झुर्रियाँ ये लटकती हुई खाल,माथे से गालो तक बिखरे हुए बाल,
बारिश में भीगते हुए बाल, और आँखो में जिंदगी से ढेरो सवाल,
यातनाओं के ये भाल, फिर भी बेटे-बहुओ के लिए ही बेहाल,
क़ुदरत का ही तो ये हैं कमाल,झुर्रियों से भी वो हैं सबल,
पति के राज में अनूठा था, जिसका बीता हुआ वो सुनहरा कल,
आज वही है मज़बूर जिसने बेटो के लिये न जाने कितने दर्द किये क़बूल,
तन पर मैली साड़ी हैं, आँखो ने भी बुढ़ापे की सच्ची बात कह डाली,
झुर्रियों से बनी हुई ये भाग्य रेखा आख़िर हैं तो बुढ़ापे वाली,
और इस शाम वो बाज़ार में बारिश में बन गई, भीख माँगने वाली।
धन्यवाद।
विवेक सिंह राजावत। अपने घर से कॉलेज के रास्ते मे मिली उन दादी जी के लिए,
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