Find the Latest Status about ठगना from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, ठगना.
Drg
भले ही मैं दुनियादारी के उसूल समझने में असमर्थ रही हूँ, पर किसी को ठगने का शऊर, आज तक सीख नहीं पाई हूँ #ठगना #शऊर #yqbaba #yqdidi
Preeti Karn
क्षितिज के पार आसमान उतर आता है सोचा करती थी आज भी ये वंचना मेरी अवधारणा है मिथक टूटता नहीं और भी गहरा होता जाता है आसमान और मेरी एकात्मकता जब एक दूसरे में समाते हैं बातें करते हैं और अनंत में खो जाते हैं। मैं अब भी सोचती हूं कुछ दूर और चलना है वक्त से आगे एक कदम बढ़कर परिसीमाओं के बाहर देखना है झुका आसमान अर्द्ध वृत की परिधि पर धरा से मिलकर अनंत के विस्तार में विलीन है। शायद ये मेरा चिरकालिक भ्रम या खूबसूरत यकीन है। प्रीति:- #वंचना (धोखा देना)(ठगना) #अवधारना #yqdidi #yqhindi #yqhindiquotes #nopowrimo
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी चल पड़े साथ साथ, विश्वास जगाना है पर्वतों से राह में जो अड़े हुये है उनके जुल्मो को हटाना है ठान ली है युवाओ ने धुंध शोषणों की मिटाना है समेटे बैठे और अकड़े बैठे है सत्ता की ताकत दिखाते है दाँव पेंचों से सौ सौ आँसु रुलाते है मेहनत की हर कीमत पर कानूनी वार से लूट मचाते है लाचारी की ओर मुल्क बढ़ाकर सब व्यवस्ताये अस्त करना चाहते है बदलाव के नाम पर सब ठगना चाहते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #friends बदलाव के नाम पर सब कुछ ठगना चाहते है #friends
Driversubhash
#suman singh rajpoot
ठगना हर किसी को नहीं आता है इसके लिए कई, कई लोग दर्द, तकलीफ़, पीड़ा दिखाते हैं। कुछ तो आंसू तक बहा देते हैं। ©#suman singh rajpoot #AkeleBaitha ठगना हर किसी को नहीं आता है इसके लिए कई, कई लोग दर्द, तकलीफ़, पीड़ा दिखाते हैं। कुछ तो आंसू तक बहा देते हैं।
Bharat Bhushan pathak
Beautiful Moon Night सुबह -शाम हो ईश्वर वंदन। संस्कार यही जैसे चंदन।। सुमिरन मन से हरि का कर लो। अपनी चिन्ता उन पर धर लो।। नित्य सवेरे तड़के जगना। नहीं किसी को भूले ठगना।। ©Bharat Bhushan pathak #beautifulmoon सुबह -शाम हो ईश्वर वंदन। संस्कार यही जैसे चंदन।। सुमिरन मन से हरि का कर लो। अपनी चिन्ता उन पर धर लो।। नित्य सवेरे तड़के जगना
Rambahadur Yadav
वादे पूरे करने की वो हिम्मत ही न जुटा पाये क्यों होगा कैसे होगा वो हिकमत ही न जुटा पाये जनता ऐसे मूर्ख बनेगी इसका उनको ज्ञान नहीं था ये अनचाहा सब गले पड़ेगा ऐसा कोई भान नहीं था लालच दिखा कर जनता को ऐसे ठगना ठीक नहीं मैदान छोड़ कर भाग गये ऐसा भी करना ठीक नहीं अपनी हठ को ऊपर रख आरोप थोपना ठीक नहीं गलत नीति को ऊपर रख कानून तोड़ना ठीक नहीं बहुत दिखाये थे सपने अब उन सपनों का क्या होगा आप की खातिर धंधा छोडा उन अपनों का क्या होगा वादे पूरे करने की वो हिम्मत ही न जुटा पाये क्यों होगा कैसे होगा वो हिकमत ही न जुटा पाये जनता ऐसे मूर्ख बनेगी इसका उनको ज्ञान नहीं था ये अनच
Ajayy Kumar Mahato
ए ख़ुदा तेरे बंदों ने कितने नक़ाब ओढ़ रक्खे हैं, एक समझने से पहले दूसरा दिखा देते हैं।। हमदर्दी का एहसास लेकर करीब आते हैं, अपना बना कर फिर दिल तोड़ जाते हैं।। खुशियाँ बाँटने के नाम पर, खुशियाँ चुराने आते हैं। एक ख़ुशी के बदले, हज़ार ग़म दे जाते हैं।। दूसरों को ठगना आता नहीं, इसलिए नादां कहलाते हैं। समझदारी नहीं है शायद इसलिए हर बार ठगे जाते हैं।। ©Ajay ए ख़ुदा तेरे बंदों ने कितने नक़ाब ओढ़ रक्खे हैं, एक समझने से पहले दूसरा दिखा देते हैं।। हमदर्दी का एहसास लेकर करीब आते हैं, अपना बना कर फिर
Vedantika
उल्टे उस्तरे से मूड़ने वालों से बचकर रहना बुजुर्गों के अनुभवों का यही है अब कहना न आना इनकी बातों में तुम भूलकर क़भी वरना उम्र भर का दर्द पड़ सकता हैं सहना करोगे कोशिश तो भी नहीं मिटेगा दर्द ये न रुकेगा आँखों से इन अश्क़ों का बहना खो गया जो एक बार तो फिर मिलेगा नहीं बर्बाद हो जाएगा तुम्हारी कमाई का गहना ज़िंदगी में लालच की कीमत नहीं कोई भी लोगों ने सीखा है ठोकर खाकर ही जीना ♥️ आइए लिखते हैं #मुहावरेवालीरचना_361 👉 उल्टे उस्तरे से मूड़ना मुहावरे का अर्थ- मूर्ख बनाकर ठगना ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :)
Vikas Sharma Shivaaya'
महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी .... ! गिद्ध , कुत्ते , सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी उस भूमि में *द्वापर का सबसे महान योद्धा* *"देवव्रत" (भीष्म पितामह)* शरशय्या पर पड़ा सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहा था -- अकेला .... ! तभी उनके कानों में एक परिचित ध्वनि शहद घोलती हुई पहुँची , "प्रणाम पितामह" .... !! भीष्म के सूख चुके अधरों पर एक मरी हुई मुस्कुराहट तैर उठी , बोले , " आओ देवकीनंदन .... ! स्वागत है तुम्हारा .... !! मैं बहुत देर से तुम्हारा ही स्मरण कर रहा था" .... !! कृष्ण बोले , "क्या कहूँ पितामह ! अब तो यह भी नहीं पूछ सकता कि कैसे हैं आप" .... ! भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव ... ? उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .... ! कृष्ण चुप रहे .... ! भीष्म ने पुनः कहा , "कुछ पूछूँ केशव .... ? बड़े अच्छे समय से आये हो .... ! सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !! कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....! एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो न .... ? कृष्ण ने बीच में ही टोका , "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ... मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...." भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... ! बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! " कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले .... " कहिये पितामह .... !" भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या .... ?" "किसकी ओर से पितामह .... ? पांडवों की ओर से .... ?" " कौरवों के कृत्यों पर चर्चा का तो अब कोई अर्थ ही नहीं कन्हैया ! पर क्या पांडवों की ओर से जो हुआ वो सही था .... ? आचार्य द्रोण का वध , दुर्योधन की जंघा के नीचे प्रहार , दुःशासन की छाती का चीरा जाना , जयद्रथ के साथ हुआ छल , निहत्थे कर्ण का वध , सब ठीक था क्या .... ? यह सब उचित था क्या .... ?" इसका उत्तर मैं कैसे दे सकता हूँ पितामह .... ! इसका उत्तर तो उन्हें देना चाहिए जिन्होंने यह किया ..... !! उत्तर दें दुर्योधन का वध करने वाले भीम , उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाले अर्जुन .... !! मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं पितामह .... !! "अभी भी छलना नहीं छोड़ोगे कृष्ण .... ? अरे विश्व भले कहता रहे कि महाभारत को अर्जुन और भीम ने जीता है , पर मैं जानता हूँ कन्हैया कि यह तुम्हारी और केवल तुम्हारी विजय है .... ! मैं तो उत्तर तुम्ही से पूछूंगा कृष्ण .... !" "तो सुनिए पितामह .... ! कुछ बुरा नहीं हुआ , कुछ अनैतिक नहीं हुआ .... ! वही हुआ जो हो होना चाहिए .... !" "यह तुम कह रहे हो केशव .... ? मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अवतार कृष्ण कह रहा है ....? यह छल तो किसी युग में हमारे सनातन संस्कारों का अंग नहीं रहा, फिर यह उचित कैसे गया ..... ? " *"इतिहास से शिक्षा ली जाती है पितामह , पर निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़ता है .... !* हर युग अपने तर्कों और अपनी आवश्यकता के आधार पर अपना नायक चुनता है .... !! राम त्रेता युग के नायक थे , मेरे भाग में द्वापर आया था .... ! हम दोनों का निर्णय एक सा नहीं हो सकता पितामह .... !!" " नहीं समझ पाया कृष्ण ! तनिक समझाओ तो .... !" " राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह .... ! राम के युग में खलनायक भी ' रावण ' जैसा शिवभक्त होता था .... !! तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण जैसे सन्त हुआ करते थे ..... ! तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे .... ! उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखता था .... !! इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया .... ! किंतु मेरे युग के भाग में में कंस , जरासन्ध , दुर्योधन , दुःशासन , शकुनी , जयद्रथ जैसे घोर पापी आये हैं .... !! उनकी समाप्ति के लिए हर छल उचित है पितामह .... ! पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो .... !!" "तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव .... ? क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा .... ? और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा ..... ??" *" भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक आ रहा है पितामह .... !* *कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा .... !* *वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा .... नहीं तो धर्म समाप्त हो जाएगा .... !* *जब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ सत्य एवं धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह* .... ! तब महत्वपूर्ण होती है विजय , केवल विजय .... ! *भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह* ..... !!" "क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव .... ? और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है ..... ?" *"सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .... !* *ईश्वर स्वयं कुछ नहीं करता ..... !*केवल मार्ग दर्शन करता है* *सब मनुष्य को ही स्वयं करना पड़ता है .... !* आप मुझे भी ईश्वर कहते हैं न .... ! तो बताइए न पितामह , मैंने स्वयं इस युद्घ में कुछ किया क्या ..... ? सब पांडवों को ही करना पड़ा न .... ? यही प्रकृति का संविधान है .... ! युद्ध के प्रथम दिन यही तो कहा था मैंने अर्जुन से .... ! यही परम सत्य है ..... !!" भीष्म अब सन्तुष्ट लग रहे थे .... ! उनकी आँखें धीरे-धीरे बन्द होने लगीं थी .... ! उन्होंने कहा - चलो कृष्ण ! यह इस धरा पर अंतिम रात्रि है .... कल सम्भवतः चले जाना हो ... अपने इस अभागे भक्त पर कृपा करना कृष्ण .... !" *कृष्ण ने मन मे ही कुछ कहा और भीष्म को प्रणाम कर लौट चले , पर युद्धभूमि के उस डरावने अंधकार में भविष्य को जीवन का सबसे बड़ा सूत्र मिल चुका था* .... ! *जब अनैतिक और क्रूर शक्तियाँ सत्य और धर्म का विनाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता का पाठ आत्मघाती होता है ....।।* *धर्मों रक्षति रक्षितः* 🚩🚩 विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 706 से 717 नाम 706 सन्निवासः विद्वानों के आश्रय है 707 सुयामुनः जिनके यामुन अर्थात यमुना सम्बन्धी सुन्दर हैं 708 भूतावासः जिनमे सर्व भूत मुख्य रूप से निवास करते हैं 709 वासुदेवः जगत को माया से आच्छादित करते हैं और देव भी हैं 710 सर्वासुनिलयः सम्पूर्ण प्राण जिस जीवरूप आश्रय में लीन हो जाते हैं 711 अनलः जिनकी शक्ति और संपत्ति की समाप्ति नहीं है 712 दर्पहा धर्मविरुद्ध मार्ग में रहने वालों का दर्प नष्ट करते हैं 713 दर्पदः धर्म मार्ग में रहने वालों को दर्प(गर्व) देते हैं 714 दृप्तः अपने आत्मारूप अमृत का आखादन करने के कारण नित्य प्रमुदित रहते हैं 715 दुर्धरः जिन्हे बड़ी कठिनता से धारण किया जा सकता है 716 अथापराजितः जो किसी से पराजित नहीं होते 717 विश्वमूर्तिः विश्व जिनकी मूर्ति है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों