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Poet Shivam Singh Sisodiya
Bambhu Kumar (बम्भू)
Path पुस्तकों में है नहीं छापी गई इसकी कहानी, हाल इसका ज्ञात होता है न औरों की ज़बानी, अनगिनत राही गए इस राह से, उनका पता क्या, पर गए कुछ लोग इस पर छोड़ पैरों की निशानी, यह निशानी मूक होकर भी बहुत कुछ बोलती है, खोल इसका अर्थ, पंथी, पंथ का अनुमान कर ले। पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। -हरिवंश राय बच्चन पूर्व चलने के बटोही, बाट की पहचान कर ले। #Path #बाट #हरिवंश_राय_बच्चन
kumaarkikalamse
जाने किसके आने की राह देख रहा है, खुद अपनी ही आँखों में चाह देख रहा है! बनाया था तकिया कभी जिसे सोने के लिए, वो नहीं आयें है तो वो बाहं देख रहा है! जाते वक़्त पिछली दफा किया था लौटने का, पन्ने - पन्ने के कैलेंडर का वो माह देख रहा है! #kumaarsthought #माह #चाह #राह #बाह #पन्ने
Mohit Kumar Mishra
हे थके हुए बटोही तुझे मंज़िल पुकारती है आंखों में है नीद पथ को बिसारती हैं ।। आराम कर लिया बहुत प्राण वायु भर लिया बहुत भरके जीवन जोश देखो नदियां भी तारती हैं ।। हे थके हुए बटोही मंज़िल पुकारती है।। तो क्या हुआ जो पावं में कांटें चुभे हैं दुख और सुख सबको ईश्वर ने बांटें हुए हैं न मिले तुझे छत तू आकाश ओढ़ ले बिस्तर धरती को कर ले सारा तू त्रास छोड़ दे ।। ये घाटी ये नदियां तुझको पुकारती हैं , हे थके हुए बटोही तुझे मंजिल पुकारती है।। आंखो में तेरी नीद पथ को बिसारती है ।। Mohit Kumar Mishra Shahjahanpur (u.p.) ©Mohit Kumar Mishra #बटोही #कविता हिंदी साहित्य
Sartaj Husain
अब मैं किसी से ज्यादा नाराज नहीं होता हूँ,, बस उसे खास से आम कर देता हूँ...। #सरे राह चलते चलते,,
रचना शर्मा राही
"राहों"में "चलते-चलते" अचानक यूं "मुकाम" आते हैं , कुछ लोग "मिलते" हैं कुछ "बिछुड़"जाते हैं । "दिल" में "उठते" हैं कुछ "तूफान" और "सैलाब" लाते हैं , "हसरतें" "मंज़िल" को "पाने" की और "राही" सामने "जज़्बात"आते हैं ।। रचना शर्मा राह में चलते-चलते