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Kashinath Dubey
नानी के मुंह सुनी कहानी याद नहीं उतनी जुबानी। लेकिन कुछ ऐसा था नाम शायद भस्मासुर जैसा था। जिसके सर पर रख दे हाथ हो जाता वह जलकर खाक। बड़े हुए तो लगा वह फर्जी नानी सुनाई होगी अपनी मर्जी। धीरे-धीरे मैं बड़ा हुआ अपने पैरों पर खड़ा हुआ। फिर गया नानी के घर नहीं था मन में पुरानी डर हंसी आ गई उनको देखकर ओ भी हंसी मुझे नीरेखकर। मन ही मन में मैंने बोला पुरानी बात की पिटारा खोला। नानी तुमने कितना उलझाया छोटे बच्चे को कितना रुलाया। नानी अब तो स्वर्ग सिधार गई पर छोड़ कहानी की अंश उधार गई। फिर चाइना से एक वायरस आया उसने लोगों को बहुत सताया। पहले तो एक के छूने से होते राख। अब तो सब खुद हो रहे हैं साफ मानव को मानव से दूरी हो गई यह हमारी मजबूरी। भाई हम भी कमरे में बंद हैं यह कैसा अब छंद है। नानी तेरी थी सही कहानी अब याद आ रहा वह जुबानी। नानी की कहानी!!!!
Sakshi Tomar
यूहीं नहीं रातों में आँख खुल जाती है पलकें झपकते ही नींद उड़ जाती है कहने को तो बस एक बुरा सपना था मगर न जाने क्यों दिल में यूँ उतरा था कुछ समय रुककर थोड़ा संभली ही थी की नानी की नज़र मुझपे पड़ गयी थी आँखें खुलते ही सवेरा हो गया नानी की गोद में वो बुरा सपना धुल गया ।। नानी की गोद
राखी रायकवार "khushi"
कौन देगा उनके जैसा प्यार इतना,सवाल अब भी है, नानी तो चली गई ननिहाल अब भी है , आखिरी बार उनको ना देख पाने का मलाल अब भी है, नानी तो चली गई ननिहाल अब भी है़... #NojotoQuote #नानी की कहानी
राखी रायकवार "khushi"
आज पता चला कि कितनी छोटी है जिंदगानी, फिर अधूरी रह गई नानी की कहानी ... #नानी की कहानी
Kalpana shah
नानी की लीखी लोरि मेरी प्रिंसेस समायरा के लिए लला लला लोरी। २ नहीं रोएंगी ये छोरी । पापा की है भायली । ममा की है गोरी। नहीं रोएंगी ये छोरी । लला लला लोरी। २ रोते-रोते हंसती है । सबका मन मोहती है । बूआ फूआ की लाडली । दादा दादी की प्यारी । नहीं रोएंगी ये छोरी । लला लला लोरी। २ मामा का मन मोहती है । मामा की चहीती । नाना नानी की सुहानी । नहीं रोएंगी ये छोरी लला लला लोरी। २ फ्रोम कल्पना नानी ©Kalpana shah नानी की लोरी
Maharaj Singh Negi
नानी दादी की कहानियां सूती धोती वाली एक दादी थी, एक नानी थी, सांझ ढले हम बच्चो को कहती एक कहानी थी। एक झांसी वाली रानी थी, कहती थी सच मर्दानी थी। राम नाम का राजा था, मर्यादा उनकी जगमानी थी। जागीरदार की जग में, बदनाम बड़ी मनमानी थी। और खरगोश की दौड़, नन्हे को रोज़ सुनानी थी। तोते जैसी संगत रखना, हमको वो समझाती थी। देश का मान, देश की आन, देश पे जान लुटानी थी। परियों जैसी दादी मेरी, परियों जैसी दादी थी। सांझ ढले हम बच्चो को कहती एक कहानी थी। कछुए ©Maharaj Singh Negi नानी की कहानी
Dilshad Dil sikandar puri
जिन रास्तों पे चलने में खतरा बहुत है दिल उन रास्तों पे पांव रखोगे तो रोओगे बचपन में मेरी नानी ने मुझ से कही थी बात हर इक कदम संभाल के रखना जहान में हर इक कदम पे दुनिया ने कांटे बिछाए हैं ये बात आज सच हुई दिल ने ये माना है नानी जो मेरी कह गई वो बात सच्ची थी दिल सिकंदर पूरी ©Dilshad Dil sikandar puri नानी की बात
Deepshikha DEEPTI ROMANIA
मेरी नानी हंसती तो मै रोज हूँ लेकिन खुश हुए जमाना हो गया कुछ न कुछ पढ़ती तो मै रोज हूं लेकिन तुमसे सीखे जमाना हो गया याद तो आती है नानी तेरी रोज मुझे लेकिन तुझसे बिछड़े जमाना हो गया ©Deepshikha DEEPTI ROMANIA नानी की याद #zindagikerang