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Ravendra
VISHUU________VN
Asha Giri
शादीयाँ हमारे देश में जहाँ निम्न स्तर से लेकर उच्च स्तर,मध्य स्तर के लोग रहते है,वहाँ शादीयाँ और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी अलग-अलग स्तर पर होते ह
Ravendra
Ravendra
Vikas Sharma Shivaaya'
फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका-दहन होता है-होलिका दहन के अगले दिन यानी धुलेंडी को समूचे ब्रज में रंग और गुलाल की होली खेली जाती है। चैत्र कृष्ण द्वितीया को मथुरा से 22 किलोमीटर दूर बलदेव (दाऊजी) के ठाकुर दाऊदयाल मंदिर में दाऊजी का हुरंगा होता है,इसे बड़ा फाग भी कहा जाता है..., देश के ज्यादातर भागों में केवल धुलंडी वाले दिन ही रंग उड़ाने और होली खेलने की परंपरा हैं- कुछ जगह पर इसे एक से ज्यादा दिन खेला जाता होगा लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रज भूमि में होली एक या दो दिन की नही बल्कि एक महीने से ज्यादा समय तक खेली जाती हैं..., यहाँ पर रंग-गुलाल उड़ने की शुरुआत माँ सरस्वती के पावन पर्व बसंत पंचमी से ही हो जाती हैं- उसके बाद हर दिन मथुरा-वृंदावन के किसी ना किसी मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं और गलियों-कूचों में रंग उड़ते रहते हैं। रंग उड़ने का यह सिलसिला लगभग चालीस दिनों तक चलता हैं और रंग पंचमी के बाद समाप्त हो जाता हैं..., दरअसल ब्रज क्षेत्र में होली की आधिकारिक शुरुआत तो बसंत पंचमी से हो जाती हैं लेकिन असली होली का रंग जमना होलाष्टक के बाद से शुरू होता हैं-होलाष्टक होली से 8 दिन पहले लग जाता हैं,इसके बाद देश-विदेश से हजारों मंडलियाँ, नृतक, भजन गाने वाले इत्यादि वहां अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाने पहुँच जाते हैं। साथ ही इसके साक्षी बनने के लिए प्रतिदिन लाखों की संख्या में सैलानी भी आते हैं..., कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि बसंत पंचमी से होली की जो शुरुआत होती हैं वह होलाष्टक में अपने चरम पर पहुँच जाती हैं। इस समय आपको हर गली-कूचों, मंदिरों, घरों इत्यादि से रंग-गुलाल उड़ते हुए दिखेंगे। कब कहाँ से आपके ऊपर रंग आकर लग जाए, आपको पता भी नही चल पाएगा...! विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 969 से 980 नाम 969 सविताः सम्पूर्ण लोक के उत्पन्न करने वाले हैं 970 प्रपितामहः पितामह ब्रह्मा के भी पिता है 971 यज्ञः यज्ञरूप हैं 972 यज्ञपतिः यज्ञों के स्वामी हैं 973 यज्वा जो यजमान रूप से स्थित हैं 974 यज्ञांगः यज्ञ जिनके अंग हैं 975 यज्ञवाहनः फल हेतु यज्ञों का वहन करने वाले हैं 976 यज्ञभृद् यज्ञ को धारण कर उसकी रक्षा करने वाले हैं 977 यज्ञकृत् जगत के आरम्भ और अंत में यज्ञ करते हैं 978 यज्ञी अपने आराधनात्मक यज्ञों के शेषी हैं 979 यज्ञभुक् यज्ञ को भोगने वाले हैं 980 यज्ञसाधनः यज्ञ जिनकी प्राप्ति का साधन है 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका-दहन होता है-होलिका दहन के अगले दिन यानी धुलेंडी को समूचे ब्रज में रंग और गुलाल की होली खेली जाती है। चैत्र
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