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New आषाढ़ का एक दिन Quotes, Status, Photo, Video

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REETA LAKRA

अथ से आरंभ - कथन का क्या अभिप्राय है? इसे स्पष्ट करती हुई आषाढ़ का एक दिन पर आधारित मेरी पहली रचना। आई एस सी पढ़ने और पढ़ाने वालों के लिए सह

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अथ से आरंभ करते हैं 
कालिदास बोला मल्लिका से।
कालिदास कश्मीर छोड़ चला गया 
एक तरह से गायब हो गया कोई नहीं जानता वह कहाँ गया  
राजमहल में रहते रहते चली गई उसकी सृजनात्मकता। 
राजदुहिता प्रियंगुमंजरी पत्नी बनी, पर नहीं बन पाई कवि की प्रेरणा। 
कालिदास का मन हुआ अस्थिर 
जीवन पूर्णतया गया बिखर। 
दूसरी बार मल्लिका से मिल समझा नहीं क्या गया है बदल। 
मल्लिका के प्रेम को देखा अतीत के स्मृति - सागर में डूबा 
नवीन सृष्टि को हुआ तत्पर अंत किया मातृगुप्त का कलेवर। 
मल्लिका ने बनाया कोरे पृष्ठों का महाकाव्य देख कालिदास हुआ भाव विभोर। 
जीवन समाप्त हुआ नहीं, किया विचार अब भी हो सकता अथ से आरंभ   
मल्लिका सुता का सुनकर रूदन 
बदल डाला खुद निर्णय मन ही मन। 
चुपचाप कर लिया पलायन चरित्र था कालिदास का ऐसा दुर्बल। 
मल्लिका का औदात्य आत्मदान 
छूटा अकेला कालिदास के चाहे बिन। 
अथ से आरंभ का भी नहीं हो पाया आरंभ 
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 अथ से आरंभ - कथन का क्या अभिप्राय है? इसे स्पष्ट करती हुई आषाढ़ का एक दिन पर आधारित मेरी पहली रचना। आई एस सी पढ़ने और पढ़ाने वालों के लिए सह

REETA LAKRA

मोहन राकेश जी का हिन्दी साहित्य में क्या योगदान है - इसे स्पष्ट करती हुई 'आषाढ़ का एक दिन' पर आधारित यह मेरी दूसरी रचना। आई एस सी पढ़ने और प

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आधुनिक काल के सशक्त नाटककार, बेजोड़ शिल्पकार, 
रंगमंच की दृष्टि से सफल रचनाकार, पाठक होता आनंदित, दर्शक होते प्रभावित, 
दोनों विधाओं पर पकड़ मजबूत, रचनाधर्मिता करती प्रभावित, 
लीक से हटकर एक नाम उभरता, लेखन अन्य ध्रुवान्त पर नजर आता। 
नाटक के विकास में योगदान महत्वपूर्ण इनका, 
अंधेरे कमरे से बाहर निकाला, नाटक को सामान्य धारा प्रदान की, 
'लहरों के राजहंस' हो 'आधे-अधूरे' हो या हो 'आषाढ़ का एक दिन' , 
रोमानी हो, युगीन हो या हो समकालीन, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि हो गुप्तकाल या बौद्धकाल की, 
मोहन राकेश ने मन की पहेलियों को उजागर किया, 
भौतिक - आध्यात्मिक जीवन पर प्रश्न चिन्ह उठाया, 
मानव मन के अंतर्द्वंद्व की गाथा गाई, हृदय के संशय की कथा कही, 
प्रेम और सफलता में से एक के चयन का संघर्ष दिखाया, 
उसमें जीवन की सार्थकता समझाई, कालिदास जैसा अविस्मरणीय पात्र दिया। मोहन राकेश ने प्रमाणित किया - नाटक और रंगमंच के बीच खाई कोई नहीं, 
हिन्दी नाटकों में मोहन राकेश जितना योगी कोई  नहीं। 
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 मोहन राकेश जी का हिन्दी साहित्य में क्या योगदान है - इसे स्पष्ट करती हुई 'आषाढ़ का एक दिन' पर आधारित यह मेरी दूसरी रचना। आई एस सी पढ़ने और प

कंचन

आषाढ़ का महीना......😇 #Fondness #Thoughts

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Nitish Kumar Verma

*आषाढ़ से श्रावण*
आषाढ़ आते ही,
आसमान गूंज उठती हैं।
बादल काले पड़ जाते हैं,
और गरजने लगते है।

 बारिश होने लगती है,
 नदियां कल - कल बहती है।
झरने झर-झर गाती हैं,
ऐसे ही सुनाती है, हवा।

श्रावण आते ही,
सब खेतो में लग जाते है।
हल जोत कर, खेत खोद कर,
धान रोपण करते है सब।

हीरा जैसा लगता है,
श्रावण की ये बूंदे।
खेतो में हरियाली छाई,
और किसानों की मन भर आईं।

कोयल कू कू करती है,
बगीया झूम ये उठती है।
फूलों की कलियों में,
भवरो गूं-गूं करती है।।
ये श्रावण की महीना,
सबके मन को भाती है।।।

          🙏🙏 धन्यवाद!🙏🙏

©Nitish Kumar Verma #आषाढ़ 
#WorldWaterDay

Amit Mishra

एक दिन जिंदगी का

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Bhagwanta sahu

#एक दिन का प्रधानमंत्री

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बन जाये तो बताएंगे और दिखाएंगे😂😁 #एक दिन का प्रधानमंत्री

zeel joshi

एक दिन का #holdinghands #ज़िन्दगी

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मुझे मेरी गलती का पछतव था।

©Bagul Pratibha एक दिन का

#holdinghands

Kamal Vishwakarma

आषाढ़ श्रावण #Soul

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तुम आषाढ़ श्रावण दोनो आना,
मै तुम्हे कभी जलता मिलूंगा कभी खिलता मिलूंगा....

©Kamal Vishwakarma आषाढ़ श्रावण 

#Soul

Rajesh sharma

एक दिन रात का अन्तर #News

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Parasram Arora

मृत्यु का वो एक दिन..... #विचार

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हम दौड़ते है  भागते  है
धन कमाते है यश कमाते है
दीवारे बनाते है तिज़ोड़िया  निर्मित करते है
सुरक्षा का इंतज़ाम करते है वो भी इसलिए
कि कहीं हम मिट न जाए 
फिर भी मिट तो जाते है  और
सारे आयोजन व्यर्थ सिद्ध हो जाते है
सारे  आयोजन  सब प्रयास सब चेष्टाये
शून्य  सिद्ध हो जाते है 
और मृत्यु का वो एक दिन  आ ही जाता है

©Parasram Arora मृत्यु का वो एक दिन.....
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