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Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुंदरकांड🙏 लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन अति उतंग जलनिधि चहु पासा। कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥ पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो ओर समुद्र की खाई -उस पर भी सोने के परकोटे (चार दीवारी) का तेज प्रकाश कि जिससे नेत्र चकाचौंध हो जाए॥ छन्द 1 लंका नगरी और उसके महाबली राक्षसों का वर्णन कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना। चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥ गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै। बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥ उस नगरी का रत्नों से जड़ा हुआ सुवर्ण का कोट,अतिव सुन्दर बना हुआ है-चौहटे, दुकाने व सुन्दर गलियों के बहार, उस सुन्दर नगरी के अन्दर बनी है-जहा हाथी, घोड़े, खच्चर, पैदल व रथो की गिनती कोई नहीं कर सकता और जहा महाबली, अद्भुत रूपवाले राक्षसो के सेना के झुंड इतने है कि जिसका वर्णन किया नहीं जा सकता॥ छन्द 2 लंका के बाग-बगीचों का वर्णन बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं। नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥ कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं। नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥ जहा वन, बाग़, बागीचे, बावडिया, तालाब, कुएँ, बावलिया शोभायमान हो रही है। जहां मनुष्य कन्या, नागकन्या, देवकन्या और गन्धर्वकन्याये विराजमान हो रही है – जिनका रूप देखकर, मुनि लोगोका मन मोहित हुआ जाता है॥कही पर्वत के समान बड़े विशाल देहवाले महाबलिष्ट, मल्ल गर्जना करते है और अनेक अखाड़ों में अनेक प्रकारसे भिड रहे है और एक एक को आपस में पटक पटक कर गर्जना कर रहे है॥ छन्द 3 लंका के राक्षसों का बुरा आचरण करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं। कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥ एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही। रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥ जहां कही विकट शरीर वाले करोडो भट,चारो तरफ से नगरकी रक्षा करते है और कही वे राक्षस लोग, भैंसे, मनुष्य, गौ, गधे,बकरे और पक्षीयों को खा रहे है॥राक्षस लोगो का आचरण बहुत बुरा है।इसीलिए तुलसीदासजी कहते है कि मैंने इनकी कथा बहुत संक्षेपसे कही है।ये महादुष्ट है, परन्तु रामचन्द्रजीके बानरूप पवित्र तीर्थ नदी के अन्दर अपना शरीर त्याग कर, गति अर्थात मोक्षको प्राप्त होंगे॥ ...निरंतर मंगलवार को..., विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 100 से 110 नाम 🙏🌹 100 अच्युतः अपनी स्वरुप शक्ति से च्युत न होने वाले 101 वृषाकपिः वृष (धर्म) रूप और कपि (वराह) रूप 102 अमेयात्मा जिनके आत्मा का माप परिच्छेद न किया जा सके 103 सर्वयोगविनिसृतः सम्पूर्ण संबंधों से रहित 104 वसुः जो सब भूतों में बसते हैं और जिनमे सब भूत बसते हैं 105 वसुमनाः जिनका मन प्रशस्त (श्रेष्ठ) है 106 सत्यः सत्य स्वरुप 107 समात्मा जो राग द्वेषादि से दूर हैं 108 सम्मितः समस्त पदार्थों से परिच्छिन्न 109 समः सदा समस्त विकारों से रहित 110 अमोघः जो स्मरण किये जाने पर सदा फल देते हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड🙏 लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन अति उतंग जलनिधि चहु पासा। कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥ पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो
Vikas Sharma Shivaaya'
🙏सुंदरकांड🙏 लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन अति उतंग जलनिधि चहु पासा। कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥ पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो ओर समुद्र की खाई -उस पर भी सोने के परकोटे (चार दीवारी) का तेज प्रकाश कि जिससे नेत्र चकाचौंध हो जाए॥ छन्द 1 लंका नगरी और उसके महाबली राक्षसों का वर्णन कनक कोटि बिचित्र मनि कृत सुंदरायतना घना। चउहट्ट हट्ट सुबट्ट बीथीं चारु पुर बहु बिधि बना॥ गज बाजि खच्चर निकर पदचर रथ बरूथन्हि को गनै। बहुरूप निसिचर जूथ अतिबल सेन बरनत नहिं बनै॥ उस नगरी का रत्नों से जड़ा हुआ सुवर्ण का कोट,अतिव सुन्दर बना हुआ है-चौहटे, दुकाने व सुन्दर गलियों के बहार, उस सुन्दर नगरी के अन्दर बनी है-जहा हाथी, घोड़े, खच्चर, पैदल व रथो की गिनती कोई नहीं कर सकता और जहा महाबली, अद्भुत रूपवाले राक्षसो के सेना के झुंड इतने है कि जिसका वर्णन किया नहीं जा सकता॥ छन्द 2 लंका के बाग-बगीचों का वर्णन बन बाग उपबन बाटिका सर कूप बापीं सोहहीं। नर नाग सुर गंधर्ब कन्या रूप मुनि मन मोहहीं॥ कहुँ माल देह बिसाल सैल समान अतिबल गर्जहीं। नाना अखारेन्ह भिरहिं बहुबिधि एक एकन्ह तर्जहीं॥ जहा वन, बाग़, बागीचे, बावडिया, तालाब, कुएँ, बावलिया शोभायमान हो रही है। जहां मनुष्य कन्या, नागकन्या, देवकन्या और गन्धर्वकन्याये विराजमान हो रही है – जिनका रूप देखकर, मुनि लोगोका मन मोहित हुआ जाता है॥कही पर्वत के समान बड़े विशाल देहवाले महाबलिष्ट, मल्ल गर्जना करते है और अनेक अखाड़ों में अनेक प्रकारसे भिड रहे है और एक एक को आपस में पटक पटक कर गर्जना कर रहे है॥ छन्द 3 लंका के राक्षसों का बुरा आचरण करि जतन भट कोटिन्ह बिकट तन नगर चहुँ दिसि रच्छहीं। कहुँ महिष मानुष धेनु खर अज खल निसाचर भच्छहीं॥ एहि लागि तुलसीदास इन्ह की कथा कछु एक है कही। रघुबीर सर तीरथ सरीरन्हि त्यागि गति पैहहिं सही॥ जहां कही विकट शरीर वाले करोडो भट,चारो तरफ से नगरकी रक्षा करते है और कही वे राक्षस लोग, भैंसे, मनुष्य, गौ, गधे,बकरे और पक्षीयों को खा रहे है॥राक्षस लोगो का आचरण बहुत बुरा है।इसीलिए तुलसीदासजी कहते है कि मैंने इनकी कथा बहुत संक्षेपसे कही है।ये महादुष्ट है, परन्तु रामचन्द्रजीके बानरूप पवित्र तीर्थ नदी के अन्दर अपना शरीर त्याग कर, गति अर्थात मोक्षको प्राप्त होंगे॥ ...निरंतर मंगलवार को..., विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 100 से 110 नाम 🙏🌹 100 अच्युतः अपनी स्वरुप शक्ति से च्युत न होने वाले 101 वृषाकपिः वृष (धर्म) रूप और कपि (वराह) रूप 102 अमेयात्मा जिनके आत्मा का माप परिच्छेद न किया जा सके 103 सर्वयोगविनिसृतः सम्पूर्ण संबंधों से रहित 104 वसुः जो सब भूतों में बसते हैं और जिनमे सब भूत बसते हैं 105 वसुमनाः जिनका मन प्रशस्त (श्रेष्ठ) है 106 सत्यः सत्य स्वरुप 107 समात्मा जो राग द्वेषादि से दूर हैं 108 सम्मितः समस्त पदार्थों से परिच्छिन्न 109 समः सदा समस्त विकारों से रहित 110 अमोघः जो स्मरण किये जाने पर सदा फल देते हैं 🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' 🙏सुंदरकांड🙏 लंका नगरी और उसके सुवर्ण कोट का वर्णन अति उतंग जलनिधि चहु पासा। कनक कोट कर परम प्रकासा॥6॥ पहले तो वह बहुत ऊँची है,फिर उसके चारो
अल्पेश सोलकर
नुसतीच काळजी घेऊ नका ... वार करतील त्या ' सावल्या ' बघा..! बाधित होण गुन्हा नव्हे.. अंगावर कश्या ' धावल्या ' बघा..! वार करतील त्या ' सावल्या ' बघा..! नुसतीच काळजी घेऊ नका ... वार करतील त्या ' सावल्या ' बघा..! बाधित होण गुन्हा नव्हे.. अंगावर कश्या
Dr.Laxmi Kant trivedi (lucky)
साँवली सी सूरत तेरी जिसपे दुनिया मरती है, मेरी आँखों मै भी एक ऐसी मूरत बसती है, कोंपल से गाल तुम्हारे और घुंघराले बाल है हिरनी जैसी आंखे तेरी और मस्तानी चाल है, घर से निकले जब तू गोरी ठुमक ठुमक यूँ चलती है मेरी... सावरिया
संजीव निगम अनाम
लम्हा लम्हा रिस्ता रहा,सीने का घाव है, हारी हुईं है बाज़ी जो ,खेले भी दाव है तन्हाई में रखता मुझे,वीरान खुद रहा, जाने ये कैसी आदते,ये कैसा चाव है #बांजिया
Mohan Sardarshahari
पक्की गेहूं की बालियां खिलने लगा मेरा चेहरा कानों तेरे सजाऊं बालियां बन मधुमास तू मेरा।। ©Mohan Sardarshahari # बालियां
Sanvi Sharma
ladkiyon ki zindagi se khelne walo tu ladka hai tho kuch bhi Karo tu ladka hai tho kuch bhi Karo par Masoom bachiyon ki Jaan na lo par Masoom bachiyon ki Jaan na lo teri bhi ye beti hain teri bhi ye Behan hain mardangi woh nahi jo balaat kare mardangi tho woh hain jo har ladki main maa ko dekho teri bhi ek maa hain tere liye bhi ek Behan hain sab main dekho maa ko na karo ye maha paap maaf kare tujhe ye insaan par maaf na kare tujhe ye Bhagwan 😢 बालिका बालिका बालिका बचाओ पेड़ों को बचाने से पहले बालिका बचाओ
Qalb
लाया हूँ तेरे लिए चांदी की बालियां... अपने कानों में डाल के इसे सोना बनाइये... #बालियां
Dr. Raju Ghanshyam Shrirame
चंद्र सावल्या उन्हात हसती। असेच अवचीत स्मरते गाणे। दु:ख वेचूनी गर्द उन्हामधुनी। आयुष्य वेचते नवेच गाणे।।१।। घरी निघाल्या सखी गोकुळी। ती सांज दाटते यमुना तीरी। कृष्ण सावळा तगमगतो वेडा। अर्थामधुनी सुचते नवेच गाणे।।२।। हिरवे हिरवे रान फुलतेे इथले। पानामधूनी भिरभिरते गाणे। पाऊल वेडे खचते निरंतर का। मन हरवी स्वप्नानी नवेच गाणे।।३।। डॉ. राजू श्रीरामे भ्रमणध्वनी - 9049940221 सावल्या