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Mohd Hasnain
सोच रहे हैं की शादी-पार्टी कोई भी फंक्शन को भी छोटा कुम्भ" घोषित कर देनी चाहिए, अक्सर बिछड़े रिश्तेदार मिलते हैं..!! समझ नही आता खाना खाएं की बतियाएं😜🤣😂🤣🤣 शादी-पार्टी कोई भी फंक्शन को भी " छोटा कुम्भ" घोषित कर देनी चाहिए, अक्सर बिछड़े रिश्तेदार मिलते हैं..!! समझ नही आता खाना खाएं
Herok Pal
Ekta Gour
वक्त की हिसाब से लोग बदल जाते है लोगों के खाने पिने के खौक बदल जाते है, पर माँ बाप का प्यार कभी नहीं बदलता कुछ बेटे कहा समझ पाते है आज भी, इंतजार है हो रहेगा उस माँ को बेटे के दफ्तर से आने का उसके साथ वक्त बिताने का, पर वक्त के साथ उस बेटे का रवैया व्यवहार बदलता चला जा रहा है दिनो दिन अब वो अपने माँ बाप को पुछता तक नहीं खाना खाए छोटे भाई से प्यार से बात तक नहीं करता अब इंतजार है की कब घर का बड़ा बेटा हमसे पहले जैसा हँसकर प्यार से बात करे..! सहभागिता सबके लिए खुली है ✍🏻 साहित्यिक सहायक शब्दों की मर्यादा का ध्यान अवश्य रखे ✍🏻 सभी प्रतिभागी अपनी अभिव्यक्ति के लिए पूर्ण स्वतंत्र ह
Gopal Lal Bunker
रोटी ~~~~ भूख पेट की है आग बड़ी। बैठी है तन ज्यों सोन चड़ी।। जीव जगत को जो लगती है। पेट भरे से जो मिटती है।। ⚡✨⚡✨⚡ भूख लगी तो सब संसारी। करने लगे मेहनत भारी।। काम-धाम कर अर्थ कमाएं। लेकर दानें खाना खाएं।। ⚡✨⚡✨⚡ ( कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें ) @ गोपाल 'सौम्य सरल' दाल-भात या रोटी प्यारी। खाते हैं सब जन घरबारी।। रोटी सब्जी बहुत सुहाये। मय चटनी जी भर जाये।। ⚡✨⚡✨⚡ माँ रोटी में रस भरती है। स्वाद भोज में करती है।। दादी अपने हाथ खिलाती। सब बच्चों को बहुत सुहाती।। ⚡✨⚡✨⚡ रोटी घर की बहुत सुहाये। सभी पेट भर खाना खाये।। तोंद डकारें ले इठलाती। नींद बहुत फिर सबको आती।। ⚡✨⚡✨⚡ रोटी की आती है रंगत। जैसी हो तन मन की संगत।। मन होता है सबका वैसा। खाते हैं जो दाना जैसा।। ⚡✨⚡✨⚡ रोजी जैसी रोटी मिलती। रोटी जैसी काया फलती।। नीयत जैसी रोजी-रोटी। होती सद् या होती खोटी।। ⚡✨⚡✨⚡ प्राण जीव का है ये रोटी। इस खातिर है लूट खसोटी।। गिरा आदमी रोटी खातिर। लूटे सबको बनकर शातिर।। ⚡✨⚡✨⚡ नेक हृदय सब जन काम करो। नेक कमाई से नाम करो।। भूखे को तुम भोजन देना। छीन निवाला दोष न लेना।। ⚡✨⚡✨⚡ #रोटी #रोटीकीकीमत #रोटियाँ #चौपाई #कोराकाग़ज़ #glal #yqdidi [ चौपाई: 13/06/2022 ]~ ~~~~~~~~~~~~~~ रोटी ~~~~ भूख प
Ravinder Sharma
ravinder sharma ©Ravinder Sharma 😍 dedicated for nurses and doctors 😍 Watch full vedio on you tube link available in below 👇👇👇 Subscribe on YOU TUBE : https://youtube.com/c
Ravinder Sharma
lalitha sai
हम्म्म्म... गुस्सा हो... पता है मुझे आज गुस्सा है वो भी मगर क्योँ ये पता नहीं??? उनकी घर आते ही उनकी आवाज़ सुनकर बस मुस्कुराने को मन तो करता है मगर नहीं क्योँकि उन्ह
Niwas
"हमें दुःख क्यों होता है" "अवमूल्यन" हर मनुष्य को यह एक शिकायत जरूर है,कि उसने किसी के लिए सर्वस्व त्याग दिया,पर उस शख़्स ने उसकी अहमियत नहीं समझी,या उसे अपना नहीं सम
lalitha sai
एक सुन्दर सा तौफा.... हर बार ऐसे ही करतें है वो सुबह कहकर काम पर गए थे शाम को जल्दी आता हूँ दोनों साथ में मिलकर खाना खाएंगे आज मगर हर बात भूलने की आदत है ना अब ये
Vikas Sharma Shivaaya'
📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️ *बुढापे की लाठी-"बहु"* जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की लोगों से अक्सर सुनते आये हैं कि बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है।इसलिये लोग अपने जीवन मे एक "बेटा" की कामना ज़रूर रखते हैं ताकि बुढ़ापा अच्छे से कटे। ये बात सच भी है *क्योंकि बेटा ही घर में बहु लाता है।* बहु के आ जाने के बाद एक बेटा अपनी लगभग सारी जिम्मेदारी अपनी पत्नी के कंधे पर डाल देता है। और *फिर बहु बन जाती है अपने बूढ़े सास-ससुर की बुढ़ापे की लाठी।* जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की जी हाँ मेरा तो यही मनाना है वो बहु ही होती है जिसके सहारे बूढ़े सास-ससुर अपना जीवन अच्छे से व्यतीत करते हैं। *एक बहु को अपने सास-ससुर की पूरी दिनचर्या मालूम होती है*।कौन कब और कैसी चाय पीते है, क्या खाना बनाना है, शाम में नाश्ता में क्या देना,रात को हर हालत में 9 बजे से पहले खाना बनाना है।अगर सास-ससुर बीमार पड़ जाए तो पूरे मन या बेमन से बहु ही देखभाल करती है। अगर एक दिन के लिये बहु बीमार पड़ जाए या फिर कही चले जाएं, तो पूरे घर की धुरी हिल जाती है ।। परंतु यदि बेटा 15 दिवस की यात्रा पर भी चला जाये तो भी बहू के भरोसे घर सुचारू रूप से चलता रहता है ।। जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की बिना बहू के सास-ससुर को ऐसा लगता है जैसा उनकी लाठी ही किसी ने छीन ली हो। वे चाय नाश्ता से लेकर खाना के लिये छटपटा जाएंगे।कोई और पूछने वाला उनके पास नही होता । क्योंकि बेटे के पास समय नही है,और अगर बेटे को समय मिल जाये भी तो वो कुछ नही कर पायेगा क्योंकि उसे ये मालूम ही नही है *कि माँ-बाबूजी को सुबह से रात तक क्या क्या देना है।* क्योंकि बेटे के चंद सवाल है और उसकी ज़िम्मेदारी खत्म... जैसे माँ-बाबूजी को खाना खाएं,चाय पियें, नाश्ता किये, लेकिन कभी भी ये जानने की कोशिश नही करते कि वे क्या खाते हैं कैसी चाय पीते हैं।ये लगभग सभी घरों की कहानी है।मैंने तो ऐसी बहुएं देखी है जिसने अपनी सास की बीमारी में तन मन से सेवा करती थी, और ऐसे कई बहु के उदाहरण हैं! कभी अगर बहु दुनिया से चले जाएं तो बेटा फिर एक बहु ले आता है, क्योंकि वो नही कर पाता अपने माँ-बाप की सेवा,उसे खुद उस बहु नाम की लाठी की ज़रूरत पड़ती है। *इसलिये मेरा मानना है कि बहु ही होती हैं बुढ़ापे की असली लाठी* । आखिर में एक ही बात समझ आई की अतः अपनी बहू में सिर्फ *कमिया* मत ढूंढे, उसकी *अच्छाइयों* की कद्र करे ,*बहु की त्याग और सेवा को भी पहचानिएं* *बेटे से पहले बहु को अपना मानो*❗ बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! 🙏सुप्रभात 🌹 स्वरचित एवं स्वमौलिक आपका दिन शुभ हो विकास शर्मा'"शिवाया" 🔱जयपुर -राजस्थान 🔱 ©Vikas Sharma Shivaaya' 📖✒️जीवन की पाठशाला 📙🖋️ *बुढापे की लाठी-"बहु"* जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की लोगों से अक्सर सुनते आये हैं कि बेटा बुढ़ापे की लाठी होता है