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Ombir Kajal
कभी खोटा ना होने वाला सिक्का हूँ मैं, अपने दम पर बाजी पलट दूं जनाब, हुक्म का इक्का हूँ मैं, 😎😎😎 Ombir Kajal ©Ombir Kajal हूक्म का इक्का
allah ka nek banda
मुझे पढ़ा तो हर एक ने,न समझा किसी एक ने। मुझे चाहा तो हर एक ने,न दिल दिया किसी एक ने। इस रंगीन दुनियां के रंग भी कितने निराले हैं। मुझे प्यार तो किया हर एक ने,न अपनाया किसी एक ने। ©allah ka nek banda हूक #Love
मुंशी पवन कुमार साव "शत्यागाशि"
तुम अपने को देखते हो, खुद की नज़र से। कभी मुझको भी तुम देखो, मेरी नज़र से।। हूँ कितना प्यासा? पता जब ये चलेगा। सुनकर मेरी दास्तां, आठ आँसू बहेगा।। बचपन से अब तक, सुलगता ही आ रहा हूँ। शिक़वा न किया कभी, हँसता ही जा रहा हूँ।। मेरी हँसी तो बस, मेरे मुख पर बसी है। अंतर की भावना, मझधार में फँसी है।। अब आदत सी हो गई है, यूं ही सुलगने की। छोड़ स्वदुःख, गैरों के ग़मो से उलझने की।। फिर भी ये दुनिया मुझे, पहचान ही नहीं पाती। दिल पे लगती है ठेस, एक हूक उठ रह जाती।। इस टूटे दिल में बस, एक मात्र ही है कामना। जग को हँसाऊं, उन्हें ग़म का न हो सामना।। मैं भी इनसान हूँ, यह याचना है तुमसे। कभी मुझे भी तुम देखो, मेरी नज़र से।। #pain #हूक #shatyagashi
कवि प्रदीप वैरागी
कुदरत का उसूल लौटकर आती हुई लहरों ने सागर की कहा, हूक सी उठती है सीने में समन्दर के बहुत! हूक सी उठती है सीने में ...
Ravi Ranjan Kumar Kausik
Diwan G
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा आज फिर से नींद को, मैंने अपनी आँखो से बिछड़ते देखा। दिल की धड़कनों का तेरी याद में संतुलन बिगड़ते देखा। हूक सी दिल में उठती, मैंने बेचैन से दिल को तड़पते देखा। हूक सी दिल में उठती। #Nind_ko_ankhon_se #nojoto #दिल #नींद #धड़कन #तड़प
HINDI SAHITYA SAGAR
बच्चों की फ़ीस, तन के परिधान के। हूक उठ रही है देख, ढहते मकान के। ©HINDI SAHITYA SAGAR #umeedein बच्चों की फ़ीस, तन के परिधान के। हूक उठ रही है देख, ढहते मकान के।
Aditya Meena
"जब याद करूं हल्दीघाटी, नैणां में रगत उतर आवैं, सुख-दुख रो साथी चेतकड़ो, सूती सी हूक जगा जावैं" "जब याद करूं हल्दीघाटी, नैणां में रगत उतर आवैं, सुख-दुख रो साथी चेतकड़ो, सूती सी हूक जगा जावैं" #rajsthan #rajasthani #rajputana #maharana
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
खुद से मिलने का देखो अवसर अब आया । पहने पोषाक हमारे नौकर तब आया । चला रहा है हूकूम हमीं पर बन मालिक - कल तक जो था घुटनो तक वह सिर पर आया ।। १०/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR खुद से मिलने का देखो अवसर अब आया । पहने पोषाक हमारे नौकर तब आया । चला रहा है हूकूम हमीं पर बन मालिक - कल त