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Gauri Tiwari
सांसों की तरह तुम भी शामिल हो जाओ ना मुझमें। तुम रहते भी हो और ठहरते भी नहीं। सांसों में
SAHIL KUMAR
मैं अक्सर डुबा रहता है अपने ही पानी से गहरी दिल की बातों में शायद देख रहा होता हूँ चेहरा इस दुनियाँ का इसलिए शायद वही बैठा रहता हूँ उन्ही पत्थरों पे। कभी बादल है गमों के, तो कभी लहरे है खुशीयों की, कभी अंधेरा है खामोशियों का, तो कभी रोशनी मिली है यूँही बेवजह मुस्कुराने की बस कभी थकान से चुर हूँ तो कभी जोश से भरपूर हूँ। तलाश है शायद किसी की तभी मैं युँ कभी-कभी खुद से ही अंजान हुँ । ©SAHIL KUMAR मन में दबी बातें
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
देखता रहा जिसे मैं वो फसाने में थीं, उम्मीद से भी परे गम- ए जमाने में थीं। जिसकी ख्वाहिश न थी मिलने की, वो किस्मत की लकीरों में थीं। हम भागते रहे गम के साए से, मुझे क्या पता वो मेरी सांसों में थीं। सांसों में थीं......!
( prahlad Singh )( feeling writer)
( तूने खीची है लकीर मेरे हाथो में मेरी किस्मत लिखी तेरी बातों में मैने पाया, खोया सब कुछ दिया तुम मिले हो मुस्किल से मेरी सांसों में ©( prahlad Singh )( feeling writer) सांसों में #aashiqui
ग़ाफ़िल
सबसे हसीं हैं वो फूलो की कली ख़ुशबू सी बस्ती है मेरी साँसों में कहीं मेरी सांसों में
Shashi Bhushan Mishra
White दबी राख में चिन्गारी है, जलने की फिर तैयारी है, धोखे में मत आना कोई, होशियार दुनिया सारी है, करता सबसे रायशुमारी, ख़ुश-फ़हमी की बीमारी है, रिश्ते अगर निभाने हैं तो, चुप रहना दुनियादारी है, गैरों संग बरताव देखकर, लगता कितनी बेचारी है, प्यासा पनघट से टकराया, गूँजा मन में किलकारी है, गुंजन मन आनंद समाया, प्रभु तेरी सब बलिहारी है, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #दबी राख में चिन्गारी है#
mau jha
वो बोलता रहा इक बात ना नयी निकली, जो उसने बोला वो सब बात ही कही निकली! सुनाता सबको अगर मैं कहीं गलत होती यकीन मानो न मुझमें कोई कमी निकली! जो शक था मेरा मेरे वो भी सामने आया, खुशी हुई कि मेरी उलझने सही निकली! मुझे तलाश थी जिस चीज़ की जमाने में, वो चीज मेरे ही आंगन में तब छुपी निकली! भुलाना चाहा तो वो याद फिर बहुत आयी, वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली!! 🥀❣️✍🏻 ©mau jha जेहन में सब दबी निकली
Sanjeev gupta
अल्फ़ाज़ मेरे दिल के, अल्फाज मेरे दिल के फिर से मचल गए आए जो तुम सामने आंखों के नर्म रोंए जैसे पिघल गए एक शबनमी अहसास ने लूट लिया मेरा सकून देखते ही देखते सांसो में महक बनके घुल गए सांसों में बनके महक
Narendra
अपनी सांसों में महकता पाया है तुझे, हर खवाब मे बुलाया है तुझे, क्यू न करे याद तुझ को, जब खुदा ने हमारे लिए बनाया है तुझे........!!! ©Narendra अपनी सांसों में महकता.......
cute u Rinku
मदहोशी के लम्हे है सांसों में तूफान है लुट जाने का चाहत में अब मेरा अरमान है ©R R #सांसों में तूफान #MerryChristmas