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Shivraj Solanki
अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो, अधीर बनो मां भारती के लाल तुम हो सर्व शक्तिमान विजय की पताका ले हाथ दुश्मन की ग्रीवा का रक्त पीने वाली तुम शमशीर बनो, शमशीर बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो ,अधीर बनो रक्त में है उबाल, मातृभूमि रही पुकार गलतियों का करो अब हिसाब पीओके के साथ सिंध पर भी धरो ध्यान सुन कर अरिदल थर थर कांपे वो तुम गीत बनो गीत बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो अधीर बनो कौरवों की भीड़ में द्रोण या कंस मां भारती को दे रहा जो दंश उस दुशासन का तुम अंत बनो , अंत बनो अब क्यों धीर धरे हो अधीर बनो, अधीर बनो शिवराज खटीक अधीर बनो अधीर बनो
pallavi pawar
नभ आतून दाटले त्याला पावसाचा धीर, मना काळजीचा सुर नको अश्रूंची ओंजळ...!! मन अधीर अधीर कसे सावरावे त्याला, जग भराची ओझी किती समजवावे त्याला...!! खूप कष्टाने मिळते एक वेळची भाकर, थंडीचा कडाका त्यात पावसाची धार...!! किती पेलावा तरी नशिबाचा हा भार, दडपल मन त्याला शब्दांचा आधार...!! एक बाप लेकराचा राहतो भुकेला कधी, मर मर जीवाची किती वहातच ओझी...!! प्रेम कराव म्हणतो पण काट्यांची ती घाई, पैक्याच्या माग धावून जीव दमुनी जाई...!! मन आतुर आतुर दोन सुखाच्या घडीना, किती दुखांच डोंगर त्यात वादळांचा फेरा...!! एक लेक लाडाची झाली लग्नाच्या वयाची, जीव रडतो रडतो तिथ बापाची काळजी...!! येते स्वप्नाची लाट नाही परतीची वाट, आयुष्याच्या पिंजऱ्यात जीव कोंडला हा दाट...!! किती ऐकाव हे बोल म्हणतो गरीब गरीब, दया दाखवीत कोणी मका टाकतो भीक...!! नाही पसरल हात नाही सांडला तो धीर, आहे उभा पाठीशी माझा देव तो एक...!! माझा देव तो एक...!! मन अधीर अधीर... #dawn
Tarakeshwar Dubey
अधीर ......... अभी मौत नहीं लिखी है, ढेर अभी जीना बाकी है। नये पुराने कुछ बचे कार्य, शेष अभी सीना बाकी है। मत करो तुम हाय तौबा, शेष संग न कुछ जाएगा। बस करनी जाएगी साथे, शेष पीछे सब छुट जाएगा। होवो मत इतना अधीर तुम, दोस्तों से मिलना बाकी है। मुसाफिर मंजिल ढेर दूर है, राह अभी चलना बाकी है। मत करो कोई दुष्कर्म तुम, सत्कर्मों में नित रहो लीन। अन्यायों से दूर रह कर, निर्वहन करो सत्य प्रवीन। दुखे नहीं किसी का भी मन, ऐसा बस कुछ करो उपाय। हर्षित होवे संग पा तुम्हारा, परिवार मुहल्ला संप्रदाय। क्यों करते हो व्यर्थ चिंता, मुनियों से सतसंग बाकी है। मुसाफिर मंजिल ढेर दूर है, राह अभी चलना बाकी है। कर्म प्रधान श्रीराम रचाये, बस यही है तुम्हरे अधीन। कर्म पथ पर बढ़ो निरंतर, रख मन में भाव कुलीन। यह दुनिया है एक बागीचा, बन जाओ इसके तुम माली। स्नेह जतन और लगन से, करो इसकी तुम रखवाली। तुम्हारे रोपे गए बीजों का, फल आना अभी बाकी है। मुसाफिर मंजिल ढेर दूर है, राह अभी चलना बाकी है। ©Tarakeshwar Dubey अधीर #moonlight
Rahul Shastri worldcitizens2121
Safar July 10,2019 सत्संग का अर्थ होता है गुरु की मौजूदगी! गुरु कुछ करता नहीं हैं, मौजूदगी ही पर्याप्त है। ओशो सत्संग का अर्थ
Aman Baranwal
मिट्टी का जिस्म और आग सी ख्वाहिशें, खाक होना लाजमी है, क्योंकि आदमी आखिर आदमी है! जीवन का अर्थ
divya...
इश्क़ आज भी है मगर राधा- कृष्ण जैसा नहीं ... होगे एक - आध भी उनके जैसे अगर... तो उनको चैन का जीवन नहीं... लोगो को प्रेम का हर दस्तूर झुटा लगता है... क्योंकि उन्होंने कभी किसी से .... सच्चा प्रेम किया ही नहीं... प्रेम का अर्थ...