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Rajeev Gupta

२०२०-२०२१ #coldnights

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क्यों उम्मीद करते हो नये साल से
कि कुछ अच्छा होगा,

इससे भी तो बहुत उम्मीदें थीं
इसने क्या दिया...?

©Rajeev Gupta २०२०-२०२१
#coldnights

Kapil Kumbhare

जल्दी निकल जाना चाहिए, क्योंकि बड़ा घात का साल हैं ये २०२०

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बड़ा घातक साल 2020 जल्दी निकल जाना चाहिए, क्योंकि
बड़ा घात का साल हैं ये २०२०

Aviraj Jadhaw

थेट घाल #विनोदी

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i am Voiceofdehati

पाश्चात्य वर्ष २०२० का अंतिम अस्ताचलगामी सूर्य #सनातनी #अंतिमसूर्य #२०२०

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पाश्चात्य वर्ष २०२० का
 अंतिम अस्ताचलगामी सूर्य पाश्चात्य वर्ष २०२० का
 अंतिम अस्ताचलगामी सूर्य
#सनातनी  #अंतिमसूर्य
#२०२०

MR VIVEK KUMAR PANDEY

#२०२०-२१ के रेस में भाग ना है #SpeakOutLoud #अनुभव

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MR VIVEK KUMAR PANDEY

#एकदिन२०२०-२०२१ का

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"एक दिन ऎसा होगा जब 
सब कुछ ठीक हो जाएगा".। #एकदिन२०२०-२०२१ का

Atul

पेट्रोल का रेट मावली मावली #कॉमेडी

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Arpit tejash

घाट घाट का पानी

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घाट घाट का पानी पी के आया हूं ।
घास फूस के छप्पर सा मैं छाया हूं।
 
जो सबको कंपा दूं ऐसा प्यारा झटका हूं।
ना जाने क्यों लोगों की आंखो में मैं खटका हूं।
बहा  के लहू   कांटो में  मैं चल सकता  हू। 
सूखी डाली सा पेंडो में मैं लटका हूं। 
जो लहू बहाते उनको समझाने आया हूं।
घाट घाट का पानी पी के आया हूं ।। घाट घाट का पानी

miss seemai

#२०२०

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ये साल ऐसा रहा की बता नहीं सकते 
अपनी मर्जी से कहीं जा नहीं सकते  
आशा है अब लोटे ना ये क्योंकि
हम इसको और ज्यादा अब सह नहीं सकते,,,😂

©miss seemai #२०२०

Er Prince Kumar

अलविदा 2020
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यूं   कह तो  2020   विष    ही   बन   गया
जो   पाया  था  वह   सब  तो  लुट ही  गया
हमने   अपना    कारोबार  ,  नौकरी  खोया
इसी    बहाने   परिवार    का   स्नेह   पाया

मार्च  से   कोरोना   का  आतंक   है  छाया
इस    दहशत     की    अजीब    है   माया
सारे  इंसान   को   कहां  से कहां पहुंचाया
हमने  स्वच्छ  प्राकृतिक  वातावरण  पाया

ऐसा महामारी  कोरोना  दहशत का साया
हमने खुद को ही  अपने घरों में कैद पाया
हमने दिखावे की जिंदगी जो थी वो खोया
कम साधनों में  जिंदगी गुजारना सिखाया

सबके   काम   धंधे   तो  बंद   पड़ा  पाया
किसानों  पर  तानाशाही का बुलंदी  छाया
जितना   पढ़ा - लिखा  सब  तो  हार  गया
पर हां हमने बेरोजगारी का दर्द जरूर पाया

रेल ,तेल ,खेल  सब तो करीब बिक ही गया
हमने  अपने  संविधान को  टूटते  हुए पाया
लोकतंत्र   के   चौथे  स्तंभ  को  सोते  पाया
हां मैं स्वस्थ लोकतंत्र का नागरिक कहलाया

  ✍ अभियंता प्रिंस कुमार
 सोनदीपी, बेगूसराय(बिहार)

©prince Kumar #२०२०
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