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vandana,s hobby & crafts
vandana sahu ©vandana,s hobby & crafts ##आज काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव जी का अर्धनारीश्वर रूप में श्रृंगार दर्शन ॐ श्री काल भैरवाय नमः।।##nojoto #
kailash dangi
Vikas Sharma Shivaaya'
सूर्य मंत्र -ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य: भैरव मंत्र -” ॐ कर कलित कपाल कुण्डली दण्ड पाणी तरुण तिमिर व्याल यज्ञोपवीती कर्त्तु समया सपर्या विघ्न्नविच्छेद हेतवे जयती बटुक नाथ सिद्धि साधकानाम ॐ श्री बम् बटुक भैरवाय नमः “ 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' सूर्य मंत्र -ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य: भैरव मंत्र -” ॐ कर कलित कपाल कुण्डली दण्ड पाणी तरुण तिमिर व्याल यज्ञोपवीती कर्त्तु समया सपर्या विघ
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ सूर्याय नम: । ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ काग के भाग बड़े सनती ! हरि हाथ सौ ले गयो माखन रोटी !! इस दोहे में रसखान जी कहते है कि वह कोआ बहुत भाग्यशाली है जो श्री कृष्ण के हाथो से माखन रोटी छीन कर ले गया ,प्रभु के हाथ से माखन रोटी लेने का सौभाग्य उस कौए का प्राप्त हुआ है ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ सूर्याय नम: । ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ काग के भाग बड़े सनती ! हरि हाथ सौ ले गयो माखन रोटी !! इस दोहे में रसखान जी कहते है कि वह कोआ बहुत भा
kailash dangi
Vikas Sharma Shivaaya'
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः । ”ॐ काल भैरवाय नमः “ मन लीनो प्यारे चीते पे छटांक नहीं देत ! यहै कहा पाटी पढ़ी दल को पिछो लेत !! इस दोहे में कवि रसखान वर्णन करते है कि अब उसके मन को उनके प्रियतम श्री कृष्ण ने ले लिया है लेकिन बदले में उन्हें कुछ भी नहीं मिला है , आगे रसखान जी कहते है कि श्रीकृष्ण ने भी यही कहाँ है कि पहले अपना सर्वस्व उन्हें सोप दो फिर उसे कुछ मिलेगा ! 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः । ”ॐ काल भैरवाय नमः “ मन लीनो प्यारे चीते पे छटांक नहीं देत ! यहै कहा पाटी पढ़ी दल को पिछो लेत !! इस दोहे में कव
Divya Joshi
"तंत्र साधना, शव साधना, श्मशान साधना, भैरवी और तारा जैसी सारी साधनाएं जानता हूँ मैं!!! समझा महा मूर्ख!!!! अब मेरी शक्तियों को कम समझने की गलती की तो तुझे खड़ा खड़ा भी भस्म कर सकता हूँ मैं। दुबारा मत पूछना।" भयानक वेशभूषा और शक्ल वाला अघोरी घनी अंधेरी रात में अमर को पकड़ कर श्मशान घाट लेकर जा रहा है। आधी रात में सब सोए हैं, और जाग रहा है तो बस श्मशान। तेज हवाएं चल रही है, पेड़ों के पत्ते कानों में सांय सांय की आवाज़ कर रहे हैं। अजीब से जानवरों की आवाज़ें उन पत्तों की आवाजों के साथ मिलकर उस रात को और डरावना बना रही है। अमर उसके साथ साथ उसके पीछे पीछे चला जा रहा है। श्मशान घाट में जली कुछ चिताओं के अंगारे तक अब तक ठंडे नहीं हुए। अघोरी अमर को एक ऐसी ही चिता के पास ले गया जो कुछ समय पहले जलकर भस्म हो चुकी थी। उसके अंगारे भी अपेक्षाकृत ठंडे हो चुके थे। उसने अमर को वहाँ ले जाकर कुछ मंत्र पढ़ते हुए चिता के बीचों बीच बैठने का इशारा किया।अमर को बीचो-बीच बिठा देने के बाद उसने पूर्व दिशा की ओर मुंह करके कहा "ओम ह्रीं फट" फिर चारों और घूम कर उसने चारों दिशाओं को कीलित करना शुरू किया। इसके लिए पहले पूर्व में मुँह कर हाथ मे जल ले उसने अपने गुरु का ध्यान किया । फिर पश्चिम में मुंह कर "जय बटुक भैरवाय नमः" कहा। उत्तर में घूमकर हाथ मे जल लेकर "योगिनी नमो नमः" कहा। दक्षिण में घूमकर फिर "ओम फट स्वाहा" कहते हुए वह जोर से चिल्लाया। उसके चिल्लाने के बाद जवाब में कुछ चीखें श्मशान में सुनाई देने लगीं। ©Divya Joshi चलो बाकी बातें कल करेंगे सो भी जाओ तुम्हें जल्दी भी तो उठना है।" कहकर दादी ने तृषा को लाइट ऑफ कर सो जाने को कहा। "तंत्र साधना, शव साधना, श
Ratankothari
PC.मौर्या
बस तुम्हारे नाम से चल रही हैं सासे बाबा वरना हम भी श्मशान में राख बनकर पड़े हुए होते ©PC.Mourya नमो नमः