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ASIF ANWAR
सोंचता हूं के वो कितने हमदर्द थे बेवफा हो गए देखते देखते। ©ASIF ANWAR सोंचता हूं के वो कितने मासूम थे। #Youme #AsifAnwar
Sahil
प्यार करना हर किसी के बस की बात नहीं …. जिगर चाहिए अपनी ही खुशियां बर्बाद करने के लिए। कितने मासूम थे
मोहित पंडित
Alone 1.हमने ये सोचकर तब ये खाई कसम एक दूजे के दिल में रहें उम्रभर वो जो रहते थे दिल में अदा बनके तब -२ वो नशा हो गए देखते देखते सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे क्या से क्या हो गए देखते देखते 2. कोई ऐसी कहानी भी हम पर बने जिसके नायक भी दिलवाले से हो कोई ऐसा भी लेख लिखे अश्क पर दिल मुरावी रहे देखते देखते सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे... 3.एक ऐसी लड़ाई भी हमने लडी जिसमे हारे थे हम और जीते हमी वो जो कहते थे देंगे हम साथ सदा वो खाफा हो गए देखते देखते सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे... 4.हमसे पूछो ना कैसी थी वो आशिकी दिल की धड़कन पे तेरी ही तस्वीर थी ऐसा वक्त का चक्कर चला प्यार पर वो जवां हो गए देखते देखते सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे.. #__मोहित__पाराशर सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे पर मेरे शब्द
मोहित पंडित
Alone 1.हमने ये सोचकर तब ये खाई कसम एक दूजे के दिल में रहें उम्रभर वो जो रहते थे दिल में अदा बनके तब -२ वो नशा हो गए देखते देखते सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे क्या से क्या हो गए देखते देखते 2. कोई ऐसी कहानी भी हम पर बने जिसके नायक भी दिलवाले से हो कोई ऐसा भी लेख लिखे अश्क पर दिल मुरावी रहे देखते देखते सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे... 3.एक ऐसी लड़ाई भी हमने लडी जिसमे हारे थे हम और जीते हमी वो जो कहते थे देंगे हम साथ सदा वो खाफा हो गए देखते देखते सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे... 4.हमसे पूछो ना कैसी थी वो आशिकी दिल की धड़कन पे तेरी ही तस्वीर थी ऐसा वक्त का चक्कर चला प्यार पर वो जवां हो गए देखते देखते सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे.. #__मोहित__पाराशर सोचता हूं कि वो कितने मासूम थे पर मेरे शब्द
Shivani Puri
(✿) सोचती हूं (。◕‿◕。)—☆ सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा, जब मैं सच में मन से मुस्कुराऊंगी, बेख़बर सी होकर मैं, जिंदगी के सारे ग़म भूल जाऊंगी, सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा, जब मैं खुद को खुद से मिलवाऊंगी, ओढ़ रखी है चादर जो दिखावे की, उसको हमेशा के लिए उतारूंगी, सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा , जब मैं खुद की पहचान बनाऊंगी, पीछे छोड़ सब दुनियादारी , मैं झंडा बन लहराऊंगी, सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा, जब मैं बन परिंदा आसमान में उड़ जाऊंगी, तोड़कर सब ज़ंजीरें , मैं ख्वाबों के पंख लगाऊंगी, सोचती हूं... एक दिन तो ऐसा आएगा ,जब मैं जीवन में संतुष्टि पाऊंगी, भूल कर सब ग़म और ख्वाहिशें, मैं चिंता मुक्त हो जाऊंगी..... मैं चिंता मुक्त हो जाऊंगी ✿शिवानी पुरी✿ ©Shivani Puri सोचती हूं... #simplicity