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Anwar Suhail
स्वीकार करते हैं कि हम शर्मसार हैं यह हमारा स्थाई भाव बनता जा रहा है स्वीकार करते हैं कि हम दुखी हैं हम सामूहिक दुःख प्रकट करने के अभ्यस्त होते जा रहे हैं स्वीकार करते हैं कि हम गुस्सा हैं जबकि हम जानते हैं कि यह क्रोध कितना नपुंसक है हम मरे नहीं हैं इस बात को साबित करने के लिए तिलमिलाकर हम सामूहिक भर्त्सना करते हैं कैंडल जलाकर रैलियां निकालते हैं अपने-अपने घरों को लौटते हम कितने अकेले होते हैं कितने उदास और कितने भयभीत भी यह जानते हैं कि इस बीच यदि कोई कत्ल न हुआ हो तो भी नफरत की हवा, माहौल को ज़हरीला बना ही रही है बड़ी तेज़ी से फ़ैल रही है यह जहरीली हवा और हम अपनों को इसकी ज़द में आने से बचाने के लिए करते हैं बेजोड़ कोशिशें दिलासा देते हैं खुद को हम जानते हैं कि हम मारे नहीं जायेंगे अकारण, लेकिन एक और रात की नींद के लिए इतनी तसल्ली क्या काफी है? #अनवरसुहैल
Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
हमें भी हक हैं.. तुम से , सवाल करने का ..! हम सवाल करे क्या...? यकिन मानो .. नज़रे न मिला पाओगें ...!! ---- अनवर हुसैन अणु भागलपुरी ©Anwar Hussain Anu Bhagalpuri #अनवरहुसैनAnuBhagalpuri
Maickal Amit
आज नही तो कल हुस्न तो तमाम हो जाएगा। वादा है ये तुमसे वफाओं का सिलसिला चलता जाएगा। ©Maickal Amit भाभी की अनवर्सरी पर
Anwar Hussain Anu Bhagalpuri
तू ना समझा मुझे कोई शिकवा नहीं, तेरी फितरत से वाकिफ हूं कोई गिला नहीं ! जा समझा लेंगे खुद को कि तू नादान था , क्या परखता मुझे तू तो बेईमान था ! फिर भी मिल जाए राहों में तो परवाह नहीं, संग तो चलेंगे पर ,बनके हमराह नहीं ! रही मुकद्दर -ए-हयात तो पूछूंगा मैं, क्या पाया है तूने मुझे खोने के बाद ? मिला भी कहीं ,कोई अनवर तुझे, मुझसे यूं ,मुंह चुरा लेने के बाद..! अनवर हुसैन अणु भागलपुरी ©Anwar Hussain Anu Bhagalpuri #अनवर
Poonam Ahlawat
गिरकर उठनें की कौशिश से चल दिए, इतना चले, अब चलते-चलते थक गए। ©Poonam Ahlawat अनवरत कौशिश
kuldeepsaxena016
कोशिशें बहुत करता हूँ,सब को जोड़ने की, पर न जाने क्यूँ, इरादे टूट जाते हैं। कुछ दूर तो चलते हैं लोग, हाँथो में हाँथ डालकर। फिर न जाने आती है, वो कौन सी मोड़, जहाँ पर हाँथ से हाँथ अक्सर छूट जाते हैं। कवि/शायर-कुलदीप शाहजहाँपुरी अनवरत कोशिश
Mukesh Meet
कैसा इंसान है , क्यों परेशान है, देखकर कल का युग क्यों हैरान है। तुझको रुकना नहीं थोड़ा आराम कर, चलते रहना ही बस अपनी पहचान है। ©Mukesh Meet #अनवरत#गतिमयता#
Shafee shaikh
بڑے خوابو ں کے لۓ بڑی قربا نی دینی پڑتی ہیں बड़े ख़ाबों के लिये बड़ी कुरबानी देनी पड़ती हेॆं ©Shafee Anwar शफी अनवर