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Møhd Hásáñ
सोचता हुं वो सोचती होगी मुझे, फिर सोचता हूं ये क्या सोच रहा हूं में..!! ©Møhd Hásáñ सोचता हुं वो सोचती होगी मुझे, फिर सोचता हूं ये क्या सोच रहा हूं में..!! #Rose
heartless veer
देख लेना मै हद से गुजर जाऊंगा , तूँ न मुझको मिली तो मैं मर मर जाऊंगा । हो मुबारक ये सादी का जोड़ा तुझे , मुझसे मत पूछ अब मै किधर जाऊंगा । मेरी यादें रुलाया करेंगी तुझे , तू समझती है मैं दिल से उतर जाऊंगा। सौख से तुम मेरा इन्तहा लो सनम , तुम्हारी कसम मैं हर इन्तहा से गुजर जाऊंगा । ये न सोचा था मैंने कभी ऐ मेरे दिल , उसके दिल से मैं एक दिन उतर जाऊंगा । सोंचता हु मैं तेरे बारे में सोचना छोड़ दू , अब तेरी तस्वीर को मैं देखना छोड़ दू । अब तुझे याद करने से क्या फायदा , इस तरह रात-रात भर जागना छोड़ दू । मेरी किस्मत में तू सायद नही ऐ मेरी जान , प्यार से मगर मैं क्यों तुझे देखना छोड़ दू । ©Ar tanvir सोचता हूं मैं तेरे बारे में सोचना छोड़ दू #Rose
Bhushan kadam
लकीरों में हो या नही हो तुम, किस्मत को खंगोलता हूँ मैं । इतनी रौनक़ ये मासूमियत, यूँ ही मुज़तर देखता हूँ मैं । देखता हूँ तेरे चेहरे की हँसी को ऐसा नूर कहाँ किसी को, मानों हो जाये कुबूल मुरादे दिल की, यूँ ही आदतन सोचता हूँ मैं कि, तुम समजती मेरे जजबातो को तो क्या होता दिल ए बाग़ भी गुलज़ार होता । मेरा लिखा तुम मेहसूस करती तो क्या होता, अक्सर यूँ ही आदतन सोचता हूँ मैं । -sonu यूं ही आदतन सोचता हूं मैं।
Utkarsh Jain
मैं अपनी हार का मातम कुछ ऐसा मनाऊगा फिर से प्रयास करूंगा और जीत जाऊंगा जो तुम सोचते हो उससे अलग सोचता हूं मैं
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
किस पे करें यकीं, किसको तब्ज़्जु दें। ये सोचता हूं मैं, किसको अपना कहें। जो अपने थे वो अपने होने का करें इजहार नहीं। पूछता हूं उनसे वो कहें तेरा इंतजार नहीं। इससे ज्यादा "रसिक" कैसे कहें। ये सोचता हूं मैं............! मैं सोचता हूं........!
Alok Verma "" Rajvansh "Rasik" ""
सोचता रहा मैं, ये वक्त गुजर गया। मैं तड़पता रहा, तू किसी और का हो गया। होगा मिलन अपना भी कभी, ये आस लगाए मैं ठहर गया। वक्त की मार "रसिक" ऐसी लगी, मैं इंतजार में था मिलन के, वो मिलन किसी और से कर गया। सोचता हूं मैं.......!
pramod malakar
चाहता हूं मैं मुस्कुराता रहूं ! लेकिन दिल अभी खामोश है !! जीवन है मेरी नदी कि बहती धार ! फिर भी मुझमें भरा जोश है !! अनन्त पल तक जीने की तमन्ना है ! लेकिन बहते आंसूओं का अफशोस है !! दर्द बयां किस किससे करूं ! मन में बहुत रोष है !! सोचता हूं सच गुनगुनाता रहूं ! पर मेरी आत्मा अभी बहोस है!! """"""""""""""""""""""""""""" प्रमोद मालाकार , जमशेदपुर । """""""""""""""""""""""" ©pramod malakar #सोचता हूं गुनगुनाता रहूं