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vinod maurya
इश्क़ का मज़ा कुछ ऐसा है,जैसे होली पर पी कर नाटक करना। जब नशा उतर जाता है तो,इश्क़ का नाटक खत्म हो जाता है। सच्चा इश्क़ होता कहा है,सिर्फ इश्क़ होने का नाटक चलता है। जिसमे किसी एक की ज़िन्दगी बर्बाद होती है। विनोद मौर्य...✍️ इश्क़ का नाटक....
Rajendra Singh
Hrithik Roshan quotes रो कर भी हंसना पड़ता है साहब यह जिंदगी है यहां नाटक करना पड़ता है ©Rajendra Singh #आंखों में आंसू #दर्द #जिंदगी #नाटक
Vrishali G
जीवनाच्या नाटकात सहभाग सगळ्यांचा असतो पण आपली भुमिका नाही वठली तर सारा तमाशा होऊन जातो नाटक
Arora PR
स्वप्नलोको के प्रलोबन मुझे कभी सममोहित नहीं कर सकते क्योकि मैं हर स्वप्न कोबन्द आँखों का नाटक ही समझता हूँ ©Arora PR नाटक
हिमांशु Kulshreshtha
इश्क़ में हों तो, ख्वाब आयें कैसे उनसे आँख लगी जब से आँख लगी ही नहीं ©हिमांशु Kulshreshtha इश्क़ में...
हिमांशु Kulshreshtha
इश्क़ में धड़कन चुराना आँखे भी नम आज हो गई तेरे बिना लफ्ज़ भी अधूरे रह गए फ़िर तेरे बिना रोशनी भी हुई, महफिलें भी सजी फ़िर भी हम तन्हा ही रहे तेरे बिना ©हिमांशु Kulshreshtha इश्क़ में.....
गौरव गोरखपुरी
इश्क़ में मै तूमसे क्या बताऊं, तूमसे क्या छीपाऊ ... सनम इश्क़ में पुछो खुद से, बारे मेरे , मै खुद तुम हूं ... सनम इश्क में इश्क़ में
Suraj Kushwaha Veer
अक्सर ही सफर में मै खुद को भूल जाता हूँ आज भी तेरा खयाल मुझ पर इस कदर हावी है तुझे मैने कभी गैर नही माना तेरी आँखों का दीदार मै करता रहा हूँ मै खुश भी रहता हूँ तेरे बगैर मगर तेरी याद मे आहें भी भरता रहा हूँ उम्मीद है तुम्हारा भी अंदाज़ नही बदला होगा मेरी तरह तुमने भी मेरे नाम का सजदा किया होगा हर वक़्त मुझे तुम खयाल करो अब ये मुमकिन नहीं शायद मगर यकीन है कभी कभी तुमने भी मुझे याद किया होगा ©Suraj Kushwaha Veer इश्क़ में
अज़नबी किताब
नाटक.. रंगमंच... कलाकार... कला... दर्शक.. कुछ ऐसा हुआ, में रंगमंच पे खड़ी थी, और मेरी कला मेरा हाथ थामे | दर्शक मेरी कला से मुझे पहचानते थे.. क्या खूब कला थी, खुदा की देख हुआ करती थी | एक बार बोली बात, में जमी को ख़त्म हो ने पर भी निभाती थी, कला थी.. वचन निभाने की, नाटक बन गयी.. रंगमंच पे उस खुदा के, में आज एक कटपुतली बन गयी... वचन निभाती नहीं, ऐसा सुना है मेने, दर्शकों से | क्या कहु, कला खो गयी, पर ये कला उनके लिए कायम है, जो सही में आज भी वचन को समझते है | कला खुदा की देन होती है, खुदा भी ख़ुश होते होंगे मेरे वचन ना निभाने से.. -अज़नबी किताब नाटक..