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Nidhi Jain
तेरी जुल्फों मे हम कुछ यूँ अटक जाये कि तु कंघी भी करे तो हम निकल ना पाये 😂😂😉 #NojotoQuote 😂कंघी😂 #nojotohindi
राजन गोत्रा ( समर )
बहुत खुदगर्ज़ है इंसान की फितरत यारो ज़रूरत पर ये गंजों को भी कंघी बेच देता है
Rohit Sharma
एक बात पूछनी थी... ये पैंट की पिछली जेब में कंघी रखने वाले लोग अभी भी पाए जाते हैं कि विलुप्त हो गए ??? 😂 #जस्ट_पूछ_रहे ©Rohit Sharma #SunSet एक बात पूछनी थी... ये पैंट की पिछली जेब में कंघी रखने वाले लोग अभी भी पाए जाते हैं कि विलुप्त हो गए ??? 😂 #जस्ट_पूछ_रहे
shivam prajapati
जब चले जाएँगे हम लौट के सावन की तरह याद आएँगे प्रथम प्यार के चुम्बन की तरह ज़िक्र जिस दम भी छिड़ा उन की गली में मेरा जाने शरमाए वो क्यूँ गाँव की दुल्हन की तरह मेरे घर कोई ख़ुशी आती तो कैसे आती उम्र-भर साथ रहा दर्द महाजन की तरह कोई कंघी न मिली जिस से सुलझ पाती वो ज़िंदगी उलझी रही ब्रम्हा के दर्शन की तरह दाग़ मुझ में है कि तुझमें ये पता तब होगा मौत जब आएगी कपड़े लिए धोबन की तरह हर किसी शख़्स की क़िस्मत का यही है क़िस्सा आए राजा की तरह जाए वो निर्धन की तरह जिस में इंसान के दिल की न हो धड़कन 'नीरज' शाइ'री तो है वो अख़बार के कतरन की तरह💔 ©shivam prajapati कोई कंघी न मिली जिस से सुलझ पाती वो ज़िंदगी उलझी रही ब्रम्हा के दर्शन की तरह दाग़ मुझ में है कि तुझमें ये पता तब होगा मौत जब आएगी कपड़े लिए
tere_bina2
अनुभव वो कंघी है साहब जो उस समय हाथ आती है, जब सारे बाल झड़ चुके होते है ©Aakash Kahar अनुभव वो कंघी है साहब जो उस समय हाथ आती है, जब सारे बाल झड़ चुके होते है 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻 #bezubaan
vishnu prabhakar singh
अपने लिए भी समय निकालो निकालो चेतना,अभय बचालो धैर्य के पीछे कबतक यूँ चलोगे बढ़ा लो ये कदम वीर निकालो पूर्ण मानवता का चरम बनालो व्यस्तता से थोड़ा काल चुरालो युग का महज हिस्सा क्यों बनो बढ़ालो ये धर्म इतिहास बनालो थोड़ा कंघी करो,सुलझाओ! सुप्रभात। कैसे भी करके, थोड़ा समय अपने लिए भी निकाल रखिए। #अपनेलिए #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQ
सुसि ग़ाफ़िल
___________________________ कविताएँ मेरी जिंदगी है..... सिलसिला - ए - जिंदगी कविताएँ है.... जो जिंदगी लिखने चला मैं कविता लिखते चला गया... अब सब मानो....मैं लेखक नहीं हूँ बल्कि अल्फ़ाज़ों का कल्पक (नाई) हूँ....कलम कविताओं की कंघी है जिससे मैं उनके बाल संवारता हूं| ___________________________ १९/०९/२०२२ सुसिल ग़ाफ़िल ___________________________ कविताएँ मेरी जिंदगी है..... सिलसिला - ए - जिंदगी कविताएँ है.... जो जिंदगी लिखने चला मैं कविता लिखते चला गया...
Rakesh frnds4ever
उलझन इस बात की है कि हमें .......उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की दुनिया के झमेले की या मन के अकेले की पैसों की तंगी की या जीवन कि बेढंगी की रिश्तों में कटाक्ष की या फिर किसी बकवास की दुनिया की वीरानी की या फिर किसी तनहाई की अपनी व्यर्थता की या ज़िन्दगी की विवशता की खुद के भोलेपन की या फिर लोगो की चालाकी की अपनी खुद की खुशी की या दूसरों की चिंता की खुद की संतुष्टि की या फिर दूसरों से ईर्ष्या की खुद की भलाई की या फिर दूसरों की बुराई की धरती के संरक्षण की या फिर इसके विनाश की मनुष्य की कष्टता की या धरती मां की नष्टता की मानव की मानवता की या फिर इसकी हैवानियत की बच्चो के अपहरण की या बच्चियों के अंग हरण की प्यार की या नफरत की ,,जीने की या मरने कि,,, विश्वाश की या धोखे की,, प्रयास की या मौके की बदले की या परोपकार की,,, अहसान की या उपकार की ,,,,,,ओर ना जाने किन किन सुलझनों या उलझनों या उनके समस्याओं या समाधानों या उनके बीच की स्थिति या अहसासों की हमें उलझन है,,, की हम किस बात की उलझन है..==........... rkysky frnds4ever #उलझन इस बात की है कि,,, हमें ...... उलझन किस बात की है अपनों से दूरी की या फिर किसी #मज़बूरी की खुद की नाकामी की या किसी परेशानी की #दुनि