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Bablu Kumar
बचपन की चोट,मार और अभी में बस इतना फर्क है कि:- उस वक्त शरीर पर चोट लगता था और अभी दिल पर उस वक्त रोते-रोते शाम हो जाती थी और अभी सुबह हो जाती है कहानी बचपन की
rahul Kumar Chaudhary
।। याद बहुत आते हैं गुडे गुडियों वाले दिन।। ।। 1 रुपये मे 4 नेमचुस के पुरियो वाले दिन।। बचपन की कहानी
Kumar Manoj Naveen
*पुराने माँ -बाप* वो दिन भी क्या दिन थे, जब खेल के देर से छुपकर आते थे हम घर। इंतजार में ही रहते थे, पापा गुस्से में इस कदर।उनकी डांट -मार का होता था इतना डर ,हिम्मत कहाँ थी हममे ,उनके आगे जाते थे हम सिहर। वो डर व सिहरन बहुत याद आते हैं। याद मुझे है जब गाँव पर नाच का था प्रोग्राम, हिम्मत थी कहाँ कैसे करे देखने जाने का इंतजाम। माँ को हमने मनाया, नाच प्रोग्राम की महिमा बताया, बड़ी मुश्किल से उनने पापा को समझाया, जैसे-तैसे उनको भी थोड़ा सा तरस आया,तब एक घंटे का परमिशन आया। कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही , पापा का बुलावा आया। बोले एक घंटा हो गया, चलो पढ़ने का समय हो गया। वो नाच प्रोग्राम देखे बगैर घर वापस आ जाना ,बहुत याद आते हैं। वो दिन भी क्या दिन थे, घूमने और खेलने के लिए मार खाना, कम अंक आने पर ताना खाना,कभी गलती से पेंट-शर्ट पर चश्मा लगा लो तो हीरोगिरी का भूत भगाना। वो डर और तानें बहुत याद आते हैं। गाँव का बाजार करना ,सिर पर रखकर गेहूँ का पिसाना, मार खाने के डर के बाद भी बागीचे में भागकर खेलना। कुछ भी कहें बहुत याद आते हैं। माँ की डांट में छुपा प्यार , पापा की मार में छुपा संस्कार, जिसके माँ -बाप हो ऐसे फिर उन्हें और क्या है दरकार । ये प्यार और संस्कार बहुत याद आते हैं। ये उनकी डांट-मार का ही है असर, संघर्षरूपी जीवन पथ पर है अग्रसर । कठिनाइयां भी हो रही हैं बेअसर।विचलित नहीं है संस्कार की डगर। अच्छे से हो रहा है गुजर-बसर। काश आजकल के मां-बाप भी होते कुछ इस तरह अगर....... मनोज कुमार (नवीन) कहानी बचपन की
Amit Saini
दे जिंदगी तू कितने भी जख्म पर मेरे हौसले में बहुत है दम लेता रहूंगा सभी के गम बिखेर दूंगा सब की राहों में चमन ही चमन कहानी बचपन की
Rahul Sahani
कृष्ण भारत की सात प्राचीन और पवित्र नगरियों में से एक है मथुरा। मथुरा में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। किसी ने कृष्ण के मामा कंस को बताया कि वसुदेव और देवकी की संतान ही उसकी मृत्यु का कारण होगी अत: उसने वसुदेव और देवकी दोनों को जेल में बंद कर दिया। कंस उक्त दोनों की संतान के उत्पन्न होते ही मार डालता था। भविष्यवाणी के अनुसार विष्णु को देवकी के गर्भ से कृष्ण के रूप में जन्म लेना था, तो उन्होंने अपने 8वें अवतार के रूप में 8वें मनु वैवस्वत के मन्वंतर के 28वें द्वापर में भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की रात्रि के 7 मुहूर्त निकल गए और 8वां उपस्थित हुआ तभी आधी रात के समय सबसे शुभ लग्न उपस्थित हुआ। उस लग्न पर केवल शुभ ग्रहों की दृष्टि थी। रोहिणी नक्षत्र तथा अष्टमी तिथि के संयोग से जयंती नामक योग में लगभग 3112 ईसा पूर्व (अर्थात आज से 5126 वर्ष पूर्व) को हुआ हुआ। ज्योतिषियों के अनुसार रात 12 बजे उस वक्त शून्य काल था। ©Rahul Sahani कृष्ण भगवान की कहानी