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Subodh Gupta

हरदोई

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बरसात से गिर गई धान की फसल हरदोई

Saurabh Singh Army

शाहाबाद हरदोई #nojotovideo

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Himanshu Mishra

हिमाँशु मिश्र, हरदोई #nojotophoto

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 हिमाँशु मिश्र, हरदोई

Rahul Pal

हरदोई उत्तर प्रदेश #शायरी

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प्रमोद सक्सेना

Parmod Saxena UP 30 हरदोई #पौराणिककथा

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उत्तम शर्मा"स्वच्छंद"

देव उत्तम शर्मा "स्वच्छंद" हरदोई #कविता

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छोड़  दो  तुमने कहा है छोड़ दूँगा जिंदगी ।
तोड़  दूँगा  रिस्ते सारे तोड़ कर आबादगी ।।
यदि यही तेरी खुशी है जा सदा आबाद रह।
अलविदा मेरे सनम तू अलविदा ऐ जिंदगी।।
"स्वच्छंद" देव उत्तम शर्मा "स्वच्छंद"
           हरदोई

उत्तम शर्मा"स्वच्छंद"

देव उत्तम शर्मा पिहानी हरदोई

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ज्यों चन्द्रमा के साथ में है रहती सदा विभावरी।
तुम शब्द-शब्द हो मेरा लिक्खी जो मैंने डायरी।।
मैं  तेरे  दिल  में  बसा और तू मेरे दिल में बसा।
मैं  हो  गया  शायर  तेरा तू है मेरी अब शायरी।। देव उत्तम शर्मा
पिहानी हरदोई

Ritik shrivastav

#peace हरपालपुर हरदोई Rakesh Srivastava #ज़िन्दगी

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हाथों की लकीरों पर ज्यादा विश्वास मत किया करो ।
क्योंकि नसीब उनका भी होता है।
जिनके हाथ नहीं होते है।

©Ritik #peace हरपालपुर हरदोई Rakesh Srivastava

Neelam bhola

स्टेशन

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बचपन,जवानी,बुढ़ापा
जैसे स्टेशन हो कोई,
रेलवे स्टेशन!!
या रेलवे स्टेशन में सिमट आये हो ये दौर जिंदगी के,

सुबह का स्टेशन मानो
नन्हा बच्चा हो कोई,
कभी शांत,कभी चाय चाय की किलकारी
सा गूंजता,
सौंधी सी खुशबु लिये,
बच्चे कि हँसी सा,
कभी खिलखिलाता,कभी चुपचाप स्टेशन,

बचपन का सा स्टेशन,हल्के से आँख मूँदता-खोलता सा दिखता है,
न आने-जाने की होड़ कहीं,
आदमी ना भागता सा,ज़रा रुका सा दिखता है,

दोपहर होते होते स्टेशन पे भीड़ बढ़ती जाती है,
जवानी की ही तरह जिम्मेदारी 
हर तरफ नज़र आती है,
कहीं कूली,कहीं चाय,कहीं लोगों का सामान,
जवानी का पहर है,
ये है मुश्किल,है नही आसान,

चारों तरफ रिश्तों और जिम्मेदारियों की तरह लोग नज़र आते है,
ना जाने कहाँ जाते है,कहाँ से लौट के आते हैं,
कुछ न आने के लिये वापिस,
कुछ न जाने के लिये आते है,

जवानी भी कुछ इसी तरह के पहलुओं को समेटें है,
कहीं खड़े हैं लोग,कहीं बेबस से लैटे हैं,

बुढ़ापे की तरह ही ढलती है 
हर एक शाम स्टेशन पर,
कुछ लोगों के लिये खास,
कुछ लोगों के लिये आम स्टेशन पर,
बुढ़ापे की तन्हाई  की तरह,
स्टेशन की शाम भी तन्हा होती जाती है,
स्टेशन पे अब गाड़ी भी कुछ कम ही आती हैं,

न कूली,न चाय न साजो-सामान होता  है,
बुढ़ापे की ही तरह तन्हा स्टेशन,
हर रोज़ आम होता है।।।।

©Neelam bhola स्टेशन

Darsh Verman

स्टेशन

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स्टेशन सी हो गई है जिंदगी

जहाँ लोग तो बहुत हैं
      पर अपना कोई नहीं 💔 स्टेशन
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