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Parasram Arora

धर्म औऱ शांति...... पर्यायवाची शब्द हैँ

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कोई  पुरखो को   पानी  पहुंचा  रहा हैँ  कोइ गंगाओ मे  पाप  धो रहा हैँ   कोई  पथर की प्रतिमाओं  के सामने  बिना भाव  सर  झुकाये बैठा हैँ 
धर्म  के  नाम पर  हज़ार  तरह  की मूढ़ताएं  प्रचलन मे हैँ धर्म से  संबंध तो   तब होता हैँ जब  आदमी  जागरण की  गुणवत्ता  हासिल कर लेता हैँ  
जहाँ  जागरण  होगा  वहा अशांति  कभी  हो ही नहीं सकती  
क्यों कि  जाग्रत  आदमी  विवेकी  होता हैँ      इर्षा  क्रोध  की  वृतियो  से  ऊपर  उठ  चुका होता हैँ औदेखा  जाय तो  धर्म औऱ  शांति पर्यायवाची  शब्द  हैँ धर्म  औऱ  शांति...... पर्यायवाची  शब्द हैँ

प्रभाकर अजय शिवा सेन

जग का पर्यावाची #Roses

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जग की पर्यावाची मघा😁😁😁😂😄😅

©प्रभाकर अजय शिवा सेन जग का पर्यावाची 

#Roses

brijesh mehta

प्रेम का कोई समानार्थक, प्रायवाची शब्द नहीं है, दुनिया में! #Life

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mute video

Parasram Arora

पर्यायवाची...... #शायरी

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खून को पानी का पर्यायवाची  मत मान. लेना
अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै 

उस बसती मे  सच  बोलने का रिवाज  नही है
यहां कोई भी  आदमी  सच.को  झूठ बना कर पेश कर सकता है

ताउम्र अपना  वक़्त   दुसरो की भलाई मे  खर्च करता रहा वो
ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही   सकता है

©Parasram Arora पर्यायवाची......

manoj kumar jha"Manu"

धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा। इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।

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धरती का दुःख क्यों, समझते नहीं तुम।
धरा न रही अगर, तो रहोगे नहीं तुम।।

सुधा दे रही है वसुधा हमें तो,
भू को न बचाया, तो बचोगे नहीं तुम।।

"भूमि हमारी माता, हम पृथिवी के पुत्र"*
वेदवाणी कह रही, क्या कहोगे नहीं तुम।।
(स्वरचित)
* माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या:
(अथर्ववेद १२/१/१२)

 धरती का दुःख हम नहीं समझेंगे तो कौन समझेगा।
इसमें धरती के पर्यायवाची शब्द भी हैं।

Bharat Bhushan pathak

#पोशाक भाग-२ #विचार

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कैसे?इस पर विस्तारित चर्चा बाद में होगी,सबसे पहले तो  छोटा सा संस्मरण संबंधित विषयवस्तु पर प्रस्तुत है:-
हुआ यों कि एक बार बचपन मैं जब साइकिल चलाना सीख रहा था,तो अपने उस शरारती मित्र के कारण जो मुझे साइकिल सिखा रहा था के कारण मैं गिर गया।गिरने का कारण स्पष्ट था कि उसने कहा कि भाई तू आगे देख और पैडल मारने की कोशिश कर,पर किसे पता था कि बंधु ने 'एकला चलो रे' बताने की ठान रखी थी और हुआ भी बिल्कुल वैसा ही ,एकला चलो का नारा बुलन्द करने वाले श्रीमान भारत भूषण जी क्षण भर में वसुंधरा का आलिंगन करते पाए गए और वसुंधरा ने भी स्नेह की बरसात करते हुए कुछ अधिक ही प्रेम कर दिया जिसके फलस्वरूप श्रीमान जी की पेन्ट ये दूरियाँ ये फासले अब नहीं गाते हुए पीछे और आगे फट चुकी थी,कमाल का नक्शा बनाते हुए फटी थी वो,उस जमाने में उसे छुपाते हुए किसी तरह घर वो पहुँचे और पेन्ट बदली पर आज ऐसा कुछ हो जाए तो लोग कहेंगे क्या बात है वाह बिल्कुल ट्रैण्डींग लूक!

©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-२

Bharat Bhushan pathak

#पोशाक भाग-५ #विचार

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आज जब मेरी एक विद्यार्थी ने विद्यालय में यह बताया कि एक नामचीन अभिनेता जिनका नाम लेना जरूरी मैं समझता नहीं महिलाओं के परिधान में घूमते नज़र आ रहे हैं तो मैं दंग रह गया और सोचने पर विवश हो गया कि कितना विकास हमने वाकई कर लिया है।
अब वो दिन भी दूर नहीं कि आज के लोग मरने से पहले भी विशेष अॉर्डर करते नज़र आएंगे कि मेरे मरने के बाद मैं थ्री पीस में हूँ,या स्पायरल होल वाली जींस हो इसका विशेष ख्याल रखा जाय।
साथ ही अन्तिम विदाई देने वाले साथी भी इस बात पर विचार करते नज़र आएंगे कि उसने मरते वक्त ये पहना था तो मैं ये पहनूँ!
 बात अटपटी है मगर यथार्थ का दर्शन निहित है कि क्या आज के पोशाकें और उनके प्रति ऐसी पागलपन व विपरीत पोशाकों का सनकीपन विचारनीय नहीं है।
कृपया अपनी समीक्षात्मक टिप्पणी रखें
भारत भूषण पाठक'देवांश'🙏🌹🙏

©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-५

Jogendra Singh writer

nojoto ka पर्यायवाची #Light

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आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची  क्या है
Answer in comment section

©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची

#Light

Bharat Bhushan pathak

#पोशाक भाग-१ #विचार

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सादर क्षमासहित आज का व्यंग्यात्मक प्रयत्नस्वरूपी आलेख:-
पोशाक
आदिमानव काल से जीवन के स्तर में धीरे-धीरे सुधार प्रारम्भ हुआ।पहले लोग पत्तों से अपने देह को ढँका करते थे,उसके पश्चात वन्य पशुओं के खालों से।
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट है कि आदिमानव को आदिमानव कहना अनुचित है क्योंकि आदि का अर्थ है प्रारम्भिक,उनके इस व्यवहार से यह तो कभी भी स्पष्ट नहीं होता कि वो प्रारम्भिक स्तर पर थे वरन् यह स्पष्ट हो रहा है कि वो हमसे अधिक संस्कारी व सुशिक्षित थे।कारण उनका कुछ भी पहन लो का मूल उद्देश्य यही था कि अपनी सुरक्षा कर लो,अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखो।

©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-१

Bharat Bhushan pathak

#पोशाक भाग-३

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भई वो वाकया पुरानी थी,एक ताजी वाकया ये थी कि हाल ही में एक जींस अपनी शहीद हो गयी और हम उसे उसके फटे भाग को ओरों से बाकायदा छूपाते दिख रहे थे,ये गुनगुनाते हुए छुपाना भी नहीं आता,बताना भी नहीं आता।खैर इस गाने को तो मेरे एक मित्र ने पूरा कर दिया ये कहते हुए वाऊ कहाँ से खरीदे क्या कूल लूक है यार,तो अपने को भी गर्व महसूस होना ही था।
तो अब संभवतः स्पष्ट हो ही गया होगा इन दोनों संस्मरणों से कि पहले कुछ भी पहना जाता था तन ढँकने के लिए और आज पहना जा रहा है तन दिखाने के लिए।
 भई आज की ट्रेण्डींग लूक के क्या कहने आज कुछ भी पहनने का मूल उद्देश्य सा हो गया है कुछ भी पहनो मगर दिखना जरूरी है ये एक फैशन ट्रैण्डींग वाले पहनावे की बात हुई।

©Bharat Bhushan pathak #पोशाक भाग-३
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