Find the Latest Status about जेकर पियवा बसे परदेश from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, जेकर पियवा बसे परदेश.
Heera Rathod
बैठी जोवूं बाटड़ी विपदा विरह विशेष साजन बिन कुण साम्भल़े पीव बसे परदेस पाती में लिख मेलियो साजन ने संदेश आप बिना नहीं आवड़े पीव बसे परदेस आठूं पौहर औजको काया करे कलेस चैन आवे न चित्त में पीव बसे परदेस आवे ओल़ूं आपरी दिलड़ो घणो दुखेस अंसवन भीजी अँगीया पीव बसे परदेस सायधण सूनी सेज में मनमथ मार मरेस कल़पै कंचन कामिनी पीव बसे परदेस काग उडावै कालियौ सुगन विचारे शेष ड्योढ़ी बैठी डगमगै पीव बसे परदेस बण बैरण दे बादल़ी ठेठ काल़जे ठेस बिलखी ऊभी बारणै पीव बसे परदेस आज बरस मत आंगणे सुण इंदर संदेश मैं मर जावां मेंह में पीव बसे परदेस 🙏🏻🙏🏻 Heera Rathod🙏🏻🙏🏻 पीव बसे परदेश
Gumnam Shayar Mahboob
" एक परदेशी " चार साल हो गया है घर तो अब जाना है बहुत सह लिया दर्द-गम अब तो मुस्कुराना है चार साल हो गया है............ करवटें बदलता हूं याद घर की आती है सोचते-सोचते यूहीं रात गुजर जाती है दिल ये सफ़र में है और घर ठिकाना है चार साल हो गया है घर तो अब जाना है बहुत सह लिया दर्द-गम......... दिल के जितने दर्द थे खुद ही खुद से बांटें है चार साल का हर दिन उंगलियों पर काटे हैं खुद ही कपड़े धुलने थे खाना भी बनाना था नींद पूरी हो या न हो काम पर भी जाना था इन सब मुश्किलों से अब हमको निकल आना है चार साल हो गया है घर तो अब जाना है बहुत सह लिया दर्द-गम............. एक थी महबूबा जो दिल को भाती थी मेरी गलियों में भी वो कभी-कभी आती थी एक दूसरे को हम हरपल तकते रहते थे न वो ही कुछ कहती थी न हम ही कुछ कहते थे उससे भी तो मिलना है हाल-ए-दिल बताना है चार साल हो गया है घर तो अब जाना है बहुत सह लिया दर्द-गम.......... - गुमनाम शायर"Mahboob" #परदेशी #घर #मां #गांव #महबूबा #परदेश #गुमनाम_शायर_महबूब #gumnam_shayar_mahboob
Nischal Narendra Thapa
परदेशि हु महोदय जहा रातमा निद्रा होइन चिन्ता लाग्ने गर्छ😭 ©Nischal Narendra Thapa परदेश
vimlesh Gautam https://youtube.com/@jindgikafasana6684
इन बारिश की बदलियों से कह दो जरा कहीं और मोहब्बत की बारिश कर दें मेरे महबूब परदेश गयें हैं।। ©Vimlesh Gautam # परदेश
Sunil Kumar Maurya Bekhud
मुझे याद है वो दिन जब तुम कामयाब हो गए थे परदेश मैं फूले नहीं समाया था, अश्क पलकों में छुपाया था तुम्हें देते हुए आदेश तुमने छुए थे मेरे पाव, मेरे दिल में हुआ था घाव रहा न पास कुछ भी शेष इल्म मुझको नहीं था तुम नही फिर आओगे आखिरी भेंट है अब स्मृति में रह जाओगे रोक लेता तुम्हें, मुझको न लगती ठेस आखिरी सांस तक तुमको न n सुधि आई मेरी चिता को आग भी गैरों ने ही लगाई मेरी काश इक बार तो आते मेरे दरवेश ©Sunil Kumar Maurya Bekhud # परदेश