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Parasram Arora

पहले सैलानी  नदियों  का अस्तित्व  सुरक्षित्त. था..
ज़ब तक उन्हे  वनो  का संरक्षण  प्राप्त था. l 
जबकि. नदियों संग चलते चलते वन  भी उदास  हो चुके है क्योंकि वृक्षों के कटने से  वे भी
अपना अस्तित्व खोते जा रहे  है 
अब वे नदिया  उदास मैदानों  से  गुजरने लगी  थीं. l. 
जबकि मैदानी  इलाको की बस्तियों के  नागरिको ने
उन नदीयौ  क़ो  मैल और गंदगी के ज़हर से
प्रदूषित कर दिया  हैl और  अब  उनकी रुग्नता
के उपचार के  लिये उन नदियों क़ो सुयोग्य  
चिकतसको  के हाथ में  सौपना  j लाज़मी. हो गया .है

©Parasram Arora सैलानी नदिया.....

सैलानी नदिया..... #विचार

8 Love

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अदनासा-

सोशियल मिडिया के ज्यादातर प्लेटफॉर्म पर एक बात जितनी आम है उतनी ही ख़ास भी है, वो यह कि आपके अनुयायी (Follower) चाहे जितने भी हो, परंतु आपके हर पोस्ट पर सब से ज़्यादा वे लोग लाईक करते है जो आपके अनुयायी (Follower) होते ही नही, क्योंकि आपके अनुयायियों को किसी और को भी लाईक करना होता है, वैसे भी एक ख़ूबसूरत शायर उस्ताद "सरशार सैलानी साहब जी" की यह  ख़ूबसूरत ग़ज़ल पेश-ए-ख़िदमत है वो यह कि..

चमन   में   इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू   से   बात   बनती   है
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम  हो

अँधेरी     रात      तूफ़ानी       हवा     टूटी     हुई     कश्ती
यही  अस्बाब  क्या  कम  थे  कि  इस  पर नाख़ुदा  तुम हो

ज़माना     देखता     हूं      क्या    करेगा     मुद्दई    होकर
नहीं   भी    हो   तो   बिस्मिल्लाह   मेरे    मुद्दआ  तुम   हो

हमारा     प्यार    रुस्वा-ए-ज़माना     हो     नहीं     सकता
न   इतने   बावफ़   हम   है   न   इतने   बावफ़ा   तुम   हो

                                                      -- सरशार सैलानी

©अदनासा- ग़ज़ल सौजन्य एवं हार्दिक आभार🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳
चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है

सरशार सैलानी
https://rek.ht/a/1aac/2#सरशारसैलानीजी #हिंदी

ग़ज़ल सौजन्य एवं हार्दिक आभार🌹🙏😊🇮🇳🇮🇳 चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है सरशार सैलानी https://rek.ht/a/1aac/2सरशारसैलानीजी #हिंदी #Instagram #SunSet #SocialMedia #Facebook #विचार #Pinterest #अदनासा

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Satyaprem Upadhyay

चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू 
से बात बनती है 

हम ही हम हैं तो क्या हम हैं 
तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है 
हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो 

अँधेरी रात तूफ़ानी हवा टूटी हुई कश्त

चमन में इख़्तिलात-ए-रंग-ओ-बू से बात बनती है हम ही हम हैं तो क्या हम हैं तुम ही तुम हो तो क्या तुम हो अँधेरी रात तूफ़ानी हवा टूटी हुई कश्त #Poetry

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Er Avi

जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम हो,सामने न सही ज़ेहन में हो
क्या गिला क्या शिकवा करूँ,अब तो बस तुम ही तुम हो...
तुम्हे यक़ीन नही रहा कभी वफ़ा ए सैलानी का

जहाँ मैं हूँ वहाँ तुम हो,सामने न सही ज़ेहन में हो क्या गिला क्या शिकवा करूँ,अब तो बस तुम ही तुम हो... तुम्हे यक़ीन नही रहा कभी वफ़ा ए सैलानी का #Poetry #Life #Love #Hindi #poem #writer #Life_experience #LoveOnline

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Sahaj Sabharwal

India quotes  लो आ गया नया ज़माना, 
स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना।

क्या भारत की स्वच्छता का इरादा ,
टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा।

सैलानी  हैं  आते यहाँ, 
दिखती है गंदगी देखें जहाँ ।

क्या  वैष्णो देवी की पवित्र पहाड़ियां,
लिपटी  जो रहतीं  हैं,  बर्फीली  साड़ियां ।

एवं  मनुष्य  की अपवित्रता  का साथ,
दया करो हम पर तो भैरवनाथ ।

इसी गंदगी का करना है अंत,
तभी काम करेंगी भक्ति और मेलों में प्रभु या संत ।
                                                       
-Sahaj Sabharwal
( Author of Book "Poems by Sahaj Sabharwal" )
-Jammu city,
Jammu and Kashmir, India .
©All Rights Reserved
CONTACT-: sahajsabharwal12345@gmail.com
+917780977469 लो आ गया नया ज़माना, 
स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना।

क्या भारत की स्वच्छता का इरादा ,
टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा।

सैलानी  हैं  आत

लो आ गया नया ज़माना,  स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना। क्या भारत की स्वच्छता का इरादा , टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा। सैलानी  हैं  आत #India #jammu #bharat #SahajSabharwal #PoemsBySahajSabharwal #Swatchh

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Sahaj Sabharwal

लो आ गया नया ज़माना, 

स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना ।


क्या भारत की स्वच्छता का इरादा ,

टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा ।

लो आ गया नया ज़माना,  स्वच्छ भारत  बन गया है एक बहाना । क्या भारत की स्वच्छता का इरादा , टूट रहा है यह स्वच्छ भारत का वादा ।

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Bhaskar Joshi

भागो रे! भागो देश छोड़कर, आया दौर बलात्कारी.. यहाँ नहीं अब तन सुरक्षित, यहाँ नहीं अब मन सुरक्षित; आया दौर बलात्कारी.. यहाँ नग्नता धरी हैं व

भागो रे! भागो देश छोड़कर, आया दौर बलात्कारी.. यहाँ नहीं अब तन सुरक्षित, यहाँ नहीं अब मन सुरक्षित; आया दौर बलात्कारी.. यहाँ नग्नता धरी हैं व

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Varsha Sharma






 नदी के दो किनारे हैं, एक वो जिस पर ठहरने को मन तैयार नहीं और दूसरा किनारा वो, जहां के बीच से मांझी ही भटक गया हो! क्या होगा उस सैलानी का बीच

नदी के दो किनारे हैं, एक वो जिस पर ठहरने को मन तैयार नहीं और दूसरा किनारा वो, जहां के बीच से मांझी ही भटक गया हो! क्या होगा उस सैलानी का बीच #तुम #yqdidi #yqhindi #tumhari_yaad #नाविक #soulfulshunya #मेरेमांझी

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Odysseus

बंजारों सी फितरत मेरी, हरदम चलता जाता हूं
मस्त पवन के झोंके सा मैं निसदिन बहता जाता हूं

ऊपर अंबर नीचे धरती और नहीं कोई मेरा
आज किसी बस्ती में तो कल जंगल में लगता डेरा
ना घर है ना ठौर-ठिकाना, यूं ही बढ़ता जाता हूं

ऐसा इक सैलानी हूं मैं जिस की ना कोई मंज़िल
रहता हूं अपनी ही धुन में, क्या तनहाई क्या महफ़िल
दिल का इकतारा लेकर बस गीत ख़ुशी के गाता हूं

धूप रहे या छांव घनेरी, सहरा हो या गुलशन हो
पांव नहीं रुकते हैं मेरे, पतझड़ हो या सावन हो
ग़म के तूफ़ानों में भी लब पर मुस्कान सजाता हूं

पत्थर पर सोता हूं पर बातें‌ करता हूं तारों से
प्यार गुलों से करता हूं पर बैर नहीं है ख़ारों से
मुफलिस हूं पर दिल में शहज़ादों सा जश्न मनाता हूं
- Charudatta_Kelkar

©Odysseus गीत

बंजारों सी फितरत मेरी, हरदम चलता जाता हूं
मस्त पवन के झोंके सा निसदिन मैं बहता जाता हूं

ऊपर अंबर नीचे धरती और नहीं कोई मेरा
आज किसी बस

गीत बंजारों सी फितरत मेरी, हरदम चलता जाता हूं मस्त पवन के झोंके सा निसदिन मैं बहता जाता हूं ऊपर अंबर नीचे धरती और नहीं कोई मेरा आज किसी बस #Travel #Song #Hindi #decemberchallenge

39 Love

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Divyanshu Pathak

मौसर और औसर
किसी के देहावसान के बाद बारहवां या तेरहवीं (मृत्यु-भोज) मौसर कहलाता है और मृतात्मा की शान्ति के लिए गरुण पुराण का पाठ करवाया जाता है।

औसर- जीवित व्यक्ति के द्वारा स्वयं का मृत्यु-भोज करना और ईश्वर से कामना करना कि मरणोपरांत उसे शान्ति और मुक्ति मिले। राजस्थान का लोक जीवन अपनी विशेष रीति-रिवाजों के कारण दुनियाभर में कौतूहल का विषय बना ही रहता है।जब भी कोई बाहर का सैलानी यहाँ आता है तो देख

राजस्थान का लोक जीवन अपनी विशेष रीति-रिवाजों के कारण दुनियाभर में कौतूहल का विषय बना ही रहता है।जब भी कोई बाहर का सैलानी यहाँ आता है तो देख #yqdidi #yqhindi #पाठकपुराण #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1

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Pankaj Singh Chawla

निक्की जेहि कूड़ी

(👇अनुशीर्षक पढ़े👇)
परम की कहानी (भाग-2) जरूरी सूचना:- इस कहानी के सभी पात्र व घटनाए काल्पनिक है,
यह सिर्फ लेखक की कल्पना मात्र है,
यदि इस कहानी का कोई पहलू किसी से मेल खाता है तो व

जरूरी सूचना:- इस कहानी के सभी पात्र व घटनाए काल्पनिक है, यह सिर्फ लेखक की कल्पना मात्र है, यदि इस कहानी का कोई पहलू किसी से मेल खाता है तो व #Punjabi #yqbaba #yqdidi #yqbhaji #pchawla16 #yqpowrimo #निक्कीजेहिकुड़ी #nikkijehikudi

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जीtendra

चाहतें आज भी हैं मुझे मेरे सो जाने की,
कमबख्त आती ही नहीं मुझे सुलाने को... #कमबख्त #सुलाने #सुलाना
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Pankaj Singh Chawla

निक्की जेहि कुड़ी

(👇अनुशीर्षक पढे👇)
परम दी कहानी :- भाग -2



 जरूरी सूचना:- इस कहानी के सभी पात्र व घटनाए काल्पनिक है,
यह सिर्फ लेखक की कल्पना मात्र है,
यदि इस कहानी का कोई पहलू किसी से मेल खाता है तो व

जरूरी सूचना:- इस कहानी के सभी पात्र व घटनाए काल्पनिक है, यह सिर्फ लेखक की कल्पना मात्र है, यदि इस कहानी का कोई पहलू किसी से मेल खाता है तो व

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Vikas Sharma Shivaaya'

फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका-दहन होता है-होलिका दहन के अगले दिन यानी धुलेंडी को समूचे ब्रज में रंग और गुलाल की होली खेली जाती है। चैत्र कृष्ण द्वितीया को मथुरा से 22 किलोमीटर दूर बलदेव (दाऊजी) के ठाकुर दाऊदयाल मंदिर में दाऊजी का हुरंगा होता है,इसे बड़ा फाग भी कहा जाता है...,

देश के ज्यादातर भागों में केवल धुलंडी वाले दिन ही रंग उड़ाने और होली खेलने की परंपरा हैं- कुछ जगह पर इसे एक से ज्यादा दिन खेला जाता होगा लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि ब्रज भूमि में होली एक या दो दिन की नही बल्कि एक महीने से ज्यादा समय तक खेली जाती हैं...,

यहाँ पर रंग-गुलाल उड़ने की शुरुआत माँ सरस्वती के पावन पर्व बसंत पंचमी से ही हो जाती हैं- उसके बाद हर दिन मथुरा-वृंदावन के किसी ना किसी मंदिर में सांस्कृतिक कार्यक्रम होते रहते हैं और गलियों-कूचों में रंग उड़ते रहते हैं। रंग उड़ने का यह सिलसिला लगभग चालीस दिनों तक चलता हैं और रंग पंचमी के बाद समाप्त हो जाता हैं...,

दरअसल ब्रज क्षेत्र में होली की आधिकारिक शुरुआत तो बसंत पंचमी से हो जाती हैं लेकिन असली होली का रंग जमना होलाष्टक के बाद से शुरू होता हैं-होलाष्टक होली से 8 दिन पहले लग जाता हैं,इसके बाद देश-विदेश से हजारों मंडलियाँ, नृतक, भजन गाने वाले इत्यादि वहां अपना सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाने पहुँच जाते हैं। साथ ही इसके साक्षी बनने के लिए प्रतिदिन लाखों की संख्या में सैलानी भी आते हैं...,

कुल मिलाकर यह कह सकते हैं कि बसंत पंचमी से होली की जो शुरुआत होती हैं वह होलाष्टक में अपने चरम पर पहुँच जाती हैं। इस समय आपको हर गली-कूचों, मंदिरों, घरों इत्यादि से रंग-गुलाल उड़ते हुए दिखेंगे। कब कहाँ से आपके ऊपर रंग आकर लग जाए, आपको पता भी नही चल पाएगा...!

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 969 से 980 नाम  
969 सविताः सम्पूर्ण लोक के उत्पन्न करने वाले हैं
970 प्रपितामहः पितामह ब्रह्मा के भी पिता है
971 यज्ञः यज्ञरूप हैं
972 यज्ञपतिः यज्ञों के स्वामी हैं
973 यज्वा जो यजमान रूप से स्थित हैं
974 यज्ञांगः यज्ञ जिनके अंग हैं
975 यज्ञवाहनः फल हेतु यज्ञों का वहन करने वाले हैं
976 यज्ञभृद् यज्ञ को धारण कर उसकी रक्षा करने वाले हैं
977 यज्ञकृत् जगत के आरम्भ और अंत में यज्ञ करते हैं
978 यज्ञी अपने आराधनात्मक यज्ञों के शेषी हैं
979 यज्ञभुक् यज्ञ को भोगने वाले हैं
980 यज्ञसाधनः यज्ञ जिनकी प्राप्ति का साधन है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका-दहन होता है-होलिका दहन के अगले दिन यानी धुलेंडी को समूचे ब्रज में रंग और गुलाल की होली खेली जाती है। चैत्र

फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका-दहन होता है-होलिका दहन के अगले दिन यानी धुलेंडी को समूचे ब्रज में रंग और गुलाल की होली खेली जाती है। चैत्र #समाज

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Imran Ali Imran

इमरान सलमानी समलानी

समलानी

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Anurag Dubey

छोटा बच्चा की सैतानी

छोटा बच्चा की सैतानी #कॉमेडी

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Anuj thakur "बेख़बर"

Hindi shayari quotes   बेटी, बहू और मां पर पढ़ी
 कई कहानियां मैंने!! 
'बेदर्द' मर्द को
अल्फाज भी मयस्सर
 नहीं हुए !!! 
         
                       बेखबर बैमानी

बैमानी

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Nisar Ahmad

 निसार सलमानी

निसार सलमानी

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akshat tripathi

बचपन की शैतानियाँ बचपन की शैतानियाँ और दादी माँ की कहानियां, 
जिनका स्थान ले चुकीं हैं अब परिवार की जिम्मेदारियाँ, 
चाहे कितनी भी छा गयी हो हम पर जवानीयाँ, 
जो हमारे बच्चों को सुनाने के लिए होंगी सबसे दिलचस्प कहानियां.. l #बचपन शैतानी

#बचपन शैतानी

5 Love

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Sarvesh Sahani

सर्वेश् साहानी सर्वेश् साहानी

सर्वेश् साहानी

2 Love

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Aarv;

बचपन और शैतानी बचपन तो हमारा था, पर शैतानी तो बड़े लोग करते थे 
आज भी साइकिल के आगे का वो डंडा याद है...
प्यार के दर्द से कहीं ज्यादा मीठा दर्द उस  साइकिल के डंडे का था 😂 #बचपन शैतानी

#बचपन शैतानी #Comedy

35 Love

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प्रेरक नीर जैन

बचपन और शैतानी बचपन की मस्ती ।
शैतानी के पिटारे है । ।
बचपन के पन्ने हैं ।
किस्से ढेर सारे है ।।
जब जब पलटते किताबो के पन्ने ।
खुशियों की बौछार करते नज़ारे है ।। #बचपन
#शैतानी
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Teddy Chhotu

तुम साथ हो तो जिंदगी का हर पल सुकून सा लगता है
बरना मै अपनी ही महफिलों मे बैगाना फिरता रहता हूं
                                      टेडी छोटू सिर्फ तुम
        


 #NojotoQuote महफ़िल बैगानी

महफ़िल बैगानी

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Govind Singh Sahab

आखों से बहता है पानी  कैसी है ये ज़िन्दगानी इसमे पड़ गयी ठोकर खानी
महंगी पड़ी गयी खुशिया लानी
प्यार कुछ नहीं ये खेल है जावनी
माफ़ करना दोस्तों थारी बात ना मानी
मैने ना जानी उसकी बैमानी
आँखो  से बहता है पानी 
कैसी है  ये जिंदगानी... बैमानी जिन्दगानी

बैमानी जिन्दगानी

9 Love

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Raushni Tripathi

मुझे तुम को सुनानी है मुकम्मल दास्ताँ अपनी
अधूरी दास्ताँ सुन कर सितारो तुम न सो जाना
~कौसर सीवानी 




















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©Raushni Tripathi मुझे तुम को सुनानी है मुकम्मल दास्ताँ अपनी
अधूरी दास्ताँ सुन कर सितारो तुम न सो जाना
~कौसर सीवानी

#Rose

मुझे तुम को सुनानी है मुकम्मल दास्ताँ अपनी अधूरी दास्ताँ सुन कर सितारो तुम न सो जाना ~कौसर सीवानी #Rose

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Vikash Kamboj

"सुहानी"
वो एक सुहानी सी लड़की,
मौसम सुहाना कर जाती है,
सिर गोदी में मेरा रखकर,
मुझको वो गीत सुनाती है।

अपने बीते लम्हों की,
हर बात सुहानी कह जाती है,
जिस दिन कुछ भी ना बोले वो,
आंख मेरी बह जाती है।

उतरा हो जब चेहरा उसका,
कलियां सारी मुरझाती है,
मुस्कान सुहानी दे जब वो,
सारी बगिया खिल जाती है।

सुबह सुहानी जा छत पर,
गीले केश सुखाती है,
आग लगे इस पागल दिल को,
जुल्फे जब वो लहराती है।

शाम सुहानी बगिया में,
सबसे छिपकर वो आती है,
उछले हिरनी सी जब मुझको,
पास खड़ा वो पाती है।

वो एक सुहानी सी लड़की,
मेरे दिल में दीप जलाती है,
खुशियां सारी दे रब उसको,
मेरे दिल से दुआ ये आती है।
  VIKASH KAMBOJ "सुहानी"

"सुहानी" #कविता

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shubham sharma

बचपन और शैतानी वो बचपन और शैतानी ,मुझे याद है मेरी कहानी।
मम्मी का दौड़ाना और पापा की गोद पुरानी।।
वो बचपन और शैतानी......
चुपके से छिप जाना और दादी का लाड्ड लड़ाना
मेरा वो हकलाना और दादू की वही कहानी।।
वो बचपन और शै.......
तब बचपन था और अब है वो सिर्फ एक कहानी 
अब वो लौट के ना आनि बात पुरानी।।।।।
वो बचपन और शैतानी..... #बचपन और शैतानी#

#बचपन और शैतानी#

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Anit kumar kavi

बचपन और शैतानी बचपन की शैतानी छुटी बचपन का खेल सब छुट गया जब से हम हुए हैं नौजवान मेरा बचपन मुझसे रूठ गया अजी अब भी किसी कोने में बैठा  एक नन्हा बालक रोता है नदियों की धारा देखकर कागज़ की नाव डुबोता है । बचपन और शैतानी

बचपन और शैतानी

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