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Bali Kumar
Subhasish Pradhan
कोई अपना बचपन हार गया, माँ बाप अपनी बच्चे हार गए।। वो शहर बिहार है जो तड़प रहा है, बीमारी से लड़ते हुए रोज रोज मर रहा है।। बिहार में बच्चों के लिए कहर बने चमकी बुखार ने अबतक 135 मासूमों की जान ले ली. एक्यूट एंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (दिमागी) बुखार से मुजफ्फरपुर में अ
Kumar.vikash18
" पत्थर के फूल " मैं एक फूल था गुलशन में और फूलों की तरह , मैं भी खिलना लहराना मुस्कुराना चाहता था बाघ के और फूलों की तरह ! हालातों ने मेरा मुझसे वह बचपन छीन लिया , और एक नन्हे से फूल को पत्थर का बना दिया !! " More story read in caption " वह एक फूल ही तो था , छोटे-छोटे नन्हे-नन्हे हाथ थे उसके ठुमक-ठुमक कर चलता था , तोतली भाषा बोलता था , कितना प्यारा था गोल मटोल सा , अभी 3 साल
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
जय श्री कृष्ण ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust शराब की लत शराब से रहें दूर शराब सेहत के लिये हानिकारक हैं,ये घरेलू हिंसा परिवार के बीच आपसी फूट का कारण है। शराब एक ऐसी लत है जो एक बार क
kavi manish mann
इन आंखों ने कई राज अलबेले देखे, कहीं खुशी तो कहीं गम के मेले देखे। कहीं किसी को ख़ुद ही ख़ुद में मदमस्त देखा, तो किसी को हजारों के बीच अकेले देखा। कहीं गरीबी से तंग आ मां बच्चों संग मरते देखा, तो कहीं पैसे को पानी समझ मयखाने में बहाते देखा। क्या बताएं ' मनीष ' इस जहां में हमनें क्या - क्या देखा, एक मां को न्याय के लिए वर्षों न्यायलय में भटकते देखा। रुको ऊपर नीचे करने से पहले इस विषय को अवश्य पढ़े।🙏🙏🙏🇮🇳🇮🇳 ये क्या हो रहा है यार देश में, जहां देश की 80% जनता आज भी परेशान है, कहीं प्राकृति
Ravendra
lalitha sai
मैं आजतक हर रिश्ते को... दिल से निभाया है.... बस आजतक मुझे हर रिश्ते से.. यहीं उम्मीद थी और है.. मेरा आत्मसम्मन और भावनाओं को.. ठेस ना पहुंचाए..कोई.. मगर आजतक बस.. यहीं हुआ हर रिश्ते में.. सब है मेरे लिए.. पर कोई नहीं मेरे लिए! यहीं है मेरी पहचान...शायद.. क्योँकि स्वाभिमानी हूँ ना...... इसलिए शायद......... #helpinghands #covid19india #situvations आज कुछ ऐसा हुआ.. किसी को मदद की जरुरत थी.. मैं कुछ नहीं कर पाई..... आज सड़क पर एक दादा बैठे हुए थे.
Anil Ray
दौलत जिंदगी की (एक लघुकथा) अनुशीर्षक में पढ़ें............... ©Anil Ray 💞✨दौलत जिंदगी की - एक लघुकथा✨💞 लगभग दस साल का अखबार बेचने वाला बालक एक मकान का गेट बजा रहा है.. (शायद उस दिन अखबार नहीं छपा होगा) मालकि
Mahima Jain
•| Antakstory |• "जो है समा कल हो ना हो" (पूर्ण कहानी अनुशीर्षक में) एक बंगले में एक बेटा बहू और बूढ़ी मां रहते थे। मां अक्सर बीमार रहती थी। वह रोज़ बेटे को कहती थी कि बेटा, मुझे डॉक्टर के पास ले चलो। पर बेटा