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जीवन एक पहेली, ना इसकी कोई सहेली, खुद से रखती, ये नाता खुद का, जैसे दुल्हन, नई नवेली, जीवन एक पहेली, लगती बड़ी अलबेली, राबता ना इससे, दिन-रात का, जैसे सूनसान, कोई हवेली, जीवन एक पहेली, आँखों की अठखेली, खेल दिखाती, आने-जाने का, जैसे बंधन मुक्त, रहे अकेली...... लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #जीवन एक पहेली, ना इसकी कोई सहेली, खुद से रखती, ये नाता खुद का, जैसे दुल्हन, नई नवेली, जीवन एक पहेली, लगती बड़ी अलबेली, राबता ना इससे, दिन-
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नदियों का बहता पानी, कलकल है इसकी वानी, शीतल करता तन और मन को, जीवन में भरता नौजवानी, नदियों का बहता पानी, सदियों से यही कहानी, जीवन जिसका है पानी, पहाड़ों की गोद से निकल के, जिसकी बहती है धवल जवानी, नदियों का बहता पानी, किसकी है कारसतानी, जो धरा पे बहती रवानी, शीश उसको नमन करता है, जिसने की है हमपे मेहरबानी, नदियों का बहता पानी.......... लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia # नदियों का बहता पानी, कलकल है इसकी वानी, शीतल करता तन और मन को, जीवन में भरता नौजवानी, नदियों का बहता पानी, सदियों से यही कहानी,
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मौसम हुआ सुहाना है, आलम कुछ जाना पहचाना है, दिल का कोई रिश्ता जैसे, सदियों सा पुराना है, मौसम हुआ सुहाना है, इस मौसम का आना है, जैसे नया जमाना है, मिलकर मौज़ मनाओ ऐसे, खुशी का रहे ना ठिकाना है, मौसम हुआ सुहाना है, धूप छाँव का भी आना जाना है, खेल कुछ जाना पहचाना है, बूंदों ने शमा है बांधा ऐसा, ना रहा मनका कोई ठिकाना है, मौसम हुआ सुहाना है............... लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #मौसम हुआ सुहाना है, आलम कुछ जाना पहचाना है, दिल का कोई रिश्ता जैसे, सदियों सा पुराना है, मौसम हुआ सुहाना है, इस मौसम का आना है, जैसे नया ज
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एक सुहाना हो सफर, मंज़िल भी दूर हो, लम्बा हो रास्ता, चलने का एक ढंग हो, संग हो यार हमारे, मस्ती मौज़ भरपूर हो, माहौल बने कुछ ऐसा, जिंदगी में भरते जो रंग हो, रह जाती हो यादें जिनकी, ऐसा कुछ फिज़ाओं का रूपरंग हो, मस्ती के इस सफर में, मिलने को ना कोई रंज़ हो, ना हो परवाह किसी की, ऐसा अपना संग हो, हर सुहाने सफर में अपने, जिंदगी के सातों रंग हो, एक सुहाना हो सफर, मंज़िल भी दूर हो....... दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #एक सुहाना हो सफर, मंज़िल भी दूर हो, लम्बा हो रास्ता, चलने का एक ढंग हो, संग हो यार हमारे, मस्ती मौज़ भरपूर हो, माहौल बने कुछ ऐसा, जिंदगी म
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मेरी यही एक अभिलाषा है, देती दिल को जो एक दिलाशा है, चाह नहीं कुछ पाने की ज्यादा, थोड़ा हो, थोड़े की ही आशा है, बिन बोले मेरी एक ही भाषा है, न कोई इसकी परिभाषा है, दिल नहीं मांगें कुछ इससे ज्यादा, खुश हूँ थोड़े से ही, न कोई निराशा है, स्वर्ण कहे, कोई कांशा है, जीवन दिखता एक कुहाशा है, समझ लो इसको कुछ नहीं है ज्यादा, जीवन-मरण सत्य एक सांचा है, मेरी यही एक अभिलाषा है, देती दिल को जो एक दिलाशा है.... दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #मेरी यही एक अभिलाषा है, देती दिल को जो एक दिलाशा है, चाह नहीं कुछ पाने की ज्यादा, थोड़ा हो, थोड़े की ही आशा है, बिन बोले मेरी एक ही भाषा
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अफवाहें जिंदगी चला रहीं हैं, हकीकत से वास्ता नहीं अब किसी का, दम तोड़ रहीं हैं जिंदगियां रास्तों पे, क्योंकि जलालत से होगया है वास्ता हर किसी का, खून के आंसू रोया वो, मतलब क्या रह गया अब किसी का, रिश्तों से हम हैं या हम से रिश्ता, क्योंकि मतलब निकल गया है हमसे हर किसी का, माटी का रंग लाल हो गया, अब खून कहाँ रहा लाल किसी का, गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले लोगों, क्योंकि बिक गया है यहाँ ईमान सभी का............ लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #mysayries अफवाहें जिंदगी चला रहीं हैं, हकीकत से वास्ता नहीं अब किसी का, दम तोड़ रहीं हैं जिंदगियां रास्तों पे, क्योंकि जलालत से होगया है व
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बादलों का खेल कितना निराला है, धरती को छूने उतरी चंचला की धारा है, नीले गगन में दूधिया रोशनी का ये खेल सारा है, मौसम कितना प्यारा है क्या खूब नज़ारा है, वर्षा की बूँद कूदती धरा पे बनती धारा है, भर देती तन मन, लगता कितना प्यारा है, अंबर की होती गोद सूनी, होता कितना सारा है, मौसम कितना प्यारा है, क्या खूब नज़ारा है, अंबर से उतरा जैसे स्वर्ग का कोई सितारा है, रंगों की छटा निराली सतरंगी इंद्रधनुष हमारा है, लगता इस मौसम में, निहित जीवन सारा है, मौसम कितना प्यारा है क्या खूब नज़ारा है........ दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #बादलों का खेल कितना निराला है, धरती को छूने उतरी चंचला की धारा है, नीले गगन में दूधिया रोशनी का ये खेल सारा है, मौसम कितना प्यारा है क्या
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लहरा रही है वो, इठला रही है वो, ऊंचे आसमान में, उड़ी जा रही है वो, झटके खा रही है वो, तनी जा रही है वो, एक डोर से बंधकर, उड़ी जा रही है वो, टकरा रही है वो, लड़ी जा रही है वो, निडर हो असमान में, उड़ी जा रही है वो, हवा के साथ है वो, गगन के पास है वो, नहीं कोई उसको छूता, उड़ी जा रही है वो, हाथ में जिसके भी है वो, खुशी से गा रही है वो, नाम पतंग है जिसका, उड़ी जा रही है वो..... दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia # लहरा रही है वो, इठला रही है वो, ऊंचे आसमान में, उड़ी जा रही है वो, झटके खा रही है वो, तनी जा रही है वो, एक डोर से बंधकर, उड़ी जा रही है वो
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अकेले-अकेले सफर कर रहा हूँ, ना मंज़िल है ना राही, सफर कर रहा हूँ, ना जाने किस किनारे, ले जायेंगी ये राहें, किनारों के इंतज़ार में, सफ़र कर रहा हूँ, अनजाने रास्तों पे सफ़र कर रहा हूँ, है जाना कहाँ बिन सोंचे, सफर कर रहा हूँ, टकराउंगा कहीं ना कहीं, तू देखना ए मंज़िल, सीधा ना सही, फिर भी सफर कर रहा हूँ, एक आश साथ लेके, सफर कर रहा हूँ, एक विश्वास साथ लेके, सफर कर रहा हूँ, जिंदगी कुछ तो देगी, चाहे अंत हो जैसा, इन चाहतों को लेके, सफर कर रहा हूँ...... लेखक :- दीपक चौरसिया ©Deepak Chaurasia #अकेले-अकेले सफर कर रहा हूँ, ना मंज़िल है ना राही, सफर कर रहा हूँ, ना जाने किस किनारे, ले जायेंगी ये राहें, किनारों के इंतज़ार में, सफ़र