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NE Changeharwala
विश्वासपात्र ही विश्वास तोड़ते हैं, अक्सर अपने ही आपके भेदी होते है, पराए क्या जाने कहां जख्म ज्यादा दर्द देगा , ए तो अपने ही साजिश करते हैं । #विश्वासपात्र ही विश्वाश तोड़ते हैं।
Prakhar Tiwari
तुम मेरी प्रेमिका से कहीं बढ़कर हो; आप मेरे विश्वासपात्र, मेरी चट्टान और मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। आपकी उपस्थिति सबसे अंधेरे दिनों को भी रोशन कर देती है, और आपकी मुस्कान सूरज की किरण की तरह है जो मेरे दिल को गर्म कर देती है ©Prakhar Tiwari #chai तुम मेरी प्रेमिका से कहीं बढ़कर हो; आप मेरे विश्वासपात्र, मेरी चट्टान और मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। आपकी उपस्थिति सबसे अंधेरे दिनों को
Insprational Qoute
दौलत की ताकत से शानदार घर खरीद सकते हो, परन्तु सुकून का आवास नही।। दौलत की ताकत से बिस्तर ख़रीद सकते हो, परन्तु चैन की नींद नही।। दौलत की ताकत से नौकर ख़रीद सकते हो , परन्तु एक विश्वासपात्र नही।। दौलत की ताकत से भारी पुण्य कर सकते हो, परन्तु माता पिता ख्याल नही।। दौलत की ताकत से कृत्रिमता सजावट कर सकते हो, परन्तु वास्तविक नैसर्गिकता नही।। दौलत की ताकत से उच्च पद ग्रहण कर सकते हो, परन्तु ईमान की पोशाक नही।। दौलत की ताकत से महँगे पहनावे ग्रहण कर सकते हो, परन्तु सम्मान की आँखे नही।। दौलत की ताक़त से ऊँची उड़ान भर सकते हो, परन्तु राह में आये तरीक़े नही।। दौलत की ताकत से मुखमंडल की चमका सकते हो, परन्तु मुख से निकली वाणी नही।। दौलत की ताकत से कॉन्वेंट विद्यालय जा सकते हो, परन्तु गुणी तरबियत नही।। विषय:-#दौलत की ताक़त# दौलत की ताकत से शानदार घर खरीद सकते हो, परन्तु सुकून का आवास नही।। दौलत की ताकत से बिस्तर ख़रीद सकते हो, परन्तु चैन की
N S Yadav GoldMine
White {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें पढ़िए महाभारत !! 🌷🌷 महाभारत: आश्रमवासिका पर्व पंचम अध्याय: श्लोक 18-32 📔 भारत। जिन मनुष्यों के कुल और शील अच्छी तरह ज्ञात हों, उन्हीं से तुम्हें काम लेना चाहिये। भोजन आदि के अवसरों पर सदा तुम्हें आत्मरक्षा पर ध्यान देना चाहिये। आहार विहार के समय तथा माला पहनने, शय्या पर सोने और आसनों पर बैठने के समय भी तुम्हें सावधानी के साथ अपनी रक्षा करनी चाहिये। युधिष्ठिर। कुलीन, शीलवान्, विद्वान, विश्वासपात्र एवं वृद्ध पुरुषों की अध्यक्षता में रखकर तुम्हें अन्तःपुर की स्त्रियों की रक्षा का सुन्दर प्रबन्ध करना चाहिये। राजन्। तुम उन्हीं ब्राह्मणों को अपने मन्त्री बनाओ, जो विद्या में प्रवीण, विनयशील, कुलीन, धर्म और अर्थ में कुशल तथा सरल स्वभाव वाले हों। उन्हीं के साथ तुम गूढ़ विषय पर विचार करो, किंतु अधिक लोगों को साथ लेकर देर तक मन्त्रणा नहीं करनी चाहिये। सम्पूर्ण मन्त्रियों को अथवा उनमें से दो एक को किसी के बहाने चारों ओर से घिरे हुए बंद कमरे में या खुले मैदान में ले जाकर उनके साथ किसी गूढ़ विषय पर विचार करना। जहाँ अधिक घास फूस या झाड़ झंखाड़ न हो, ऐसे जंगल में भी गुप्त मन्त्रणा की जा सकती है, परंतु रात्रि के समय इन स्थानों में किसी तरह गुप्त सलाह नहीं करनी चाहिये। 📔 मनुष्यों का अनुसरण करने वाले जो वानर और पक्षी आदि हैं, उन सबको तथा मूर्ख एवं पंगु मनुष्यों को भी मन्त्रणा गृह में नहीं आने देना चाहिये। गुप्त मन्त्रणा के दूसरों पर प्रकट हो जाने से राजाओं को जो संकट प्राप्त होते हैं, उनका किसी तरह समाधान नहीं किया जा सकता - ऐसा मेरा विश्वास है। शत्रुदमन नरेश। गुप्त मन्त्रणा फूट जाने पर जो दोष पैदा होते हैं और न फूटने से जो लाभ होते हैं, उनको तुम मन्त्रिमण्डल के समक्ष बारंबार बतलाते रहना। राजन्। कुरूश्रेष्ठ युधिष्ठिर। नगर औश्र जनपद के लोगों का हृदय तुम्हारे प्रति शुद्ध है या अशुद्ध, इस बात का तुम्हें जैसे भी ज्ञान प्राप्त हो सके, वैसा उपाय करना। नरेश्वर। न्याय करने के काम पर तुम सदा ऐसे ही पुरुषों को नियुक्त करना, जो विश्वासपात्र, संतोषी और हितैषी हों तथा गुप्तचरों के द्वारा सदा उनके कार्यों पर दृष्टि रखना। भरतनन्दन युधिष्ठिर। तुम्हें ऐसा विधान बनाना चाहिये, जिससे तुम्हारे नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उचित दण्ड दें। 📔 जो दूसरों से घूस लेने की रुचि रखते हों, परायी स्त्रियों से जिनका सम्पर्क हो, जो विशषतः कठोर दण्ड देने के पक्षपाती हों, झूठा फैसला देते हों, जो कटुवादी, लोभी, दूसरों का धन हड़पने वाले, दुस्साहसी, सभाभवन और उद्यान आदि को नष्ट करने वाले तथा सभी वर्ण के लोगों को कलंकित करने वाले हों, उन न्यायाधिकारियों को देश काल का ध्यान रखते हुए सुवर्ण दण्ड अथवा प्राण दण्ड के द्वारा दण्डित करना चाहिये। प्रातःकाल उठकर (नित्य नियम से निवृत्त होने के बाद) पहले तुम्हें उन लोगों से मिलना चाहिये, जो तुम्हारे खर्च बर्च के काम पर नियुक्त हों। उसके बाद आभूषण पहनने या भोजन करने के काम पर ध्यान देना चाहिये। जय श्री राधे कृष्ण जी।। ©N S Yadav GoldMine #SAD {Bolo Ji Radhey Radhey} नियुक्त किये हुए न्यायाधिकारी पुरुष अपराधियों के अपराध की मात्रा को भली भाँति जानकर जो दण्डनीय हों, उन्हें ही उ