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CK JOHNY
जिंदगी का रजिस्टर अब मैंने लगा लिया है रोज नोट करता हूँ आज कितना जीआ है। फर्क नजर आने लगा है काटने और जीने में जिंदादिली से जीने का हुनर मैंने पा लिया है। तुलना नहीं करता अब कौन आगे कौन पीछे जो साथ चला उसको ही गले लगा लिया है। छोड़ दिया छोड़कर जाने वालों के पीछे भागना जो सदा से साथ हैं उनका ही साथ निभा लिया है। जिंदगी का रजिस्टर अब मैंने लगा लिया रोज नोट करता हूँ आज कितना जीआ है। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ जिंदगी का रजिस्टर
Rishika Srivastava "Rishnit"
Raj Patel
भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर किसी अन्य भाषा में पढ़ें डाउनलोड करें ध्यान रखें संपादित करें भारत के राष्ट्रीय नागरिक पंजी में उन भारतीय नागरिकों के नाम हैं जो असम में रहते हैं। इसे भारत की जनगणना 1951 के बाद 1951 में तैयार किया गया था। इसे जनगणना के दौरान वर्णित सभी व्यक्तियों के विवरणों के आधार पर तैयार किया गया था। जो लोग असम में बांग्लादेश बनने के पहले (25 मार्च 1971 के पहले) आए है, केवल उन्हें ही भारत का नागरिक माना जाएगा।[1] असम भारत का पहला ऐसा राज्य है जिसके पास राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC ) है। नागरिकता हेतु प्रस्तुत लगभग दो करोड़ से अधिक दावों (इनमें लगभग 38 लाख लोग ऐसे भी थे जिनके द्वारा प्रस्तुत दस्तावजों पर संदेह था) की जाँच पूरी होने के बाद न्यायालय द्वारा एन.आर.सी. के पहले मसौदे को 31 दिसंबर 2017 तक प्रकाशित करने का आदेश दिया गया था। 31 दिसंबर 2017 को बहु-प्रतीक्षित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का पहला ड्राफ्ट प्रकाशित किया गया। कानूनी तौर पर भारत के नागरिक के रूप में पहचान प्राप्त करने हेतु असम में लगभग 3.29 करोड आवेदन प्रस्तुत किये गए थे, जिनमें से कुल 1.9 करोड़ लोगों के नाम को ही इसमें शामिल किया गया है। असम में नागरिक पंजी को आखिरी बार 1951 में अद्यतन किया गया था। उस समय असम में कुल 80 लाख नागरिकों के नाम प्ंजीकृत किए गये थे। 1979 में अखिल आसाम छात्र संघ (AASU) द्वारा अवैध आप्रवासियों की पहचान और निर्वासन की मांग करते हुए एक 6 वर्षीय आन्दोलन चलाया गया था। यह आन्दोलन 15 अगस्त, 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद शान्त हुआ था। कालक्रम संपादित करें राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर सबसे पहले वर्ष 1951 में तैयार किया गया था । 1979 में अखिल आसाम छात्र संघ (AASU) द्वारा अवैध आप्रवासियों की पहचान और निर्वासन की मांग करते हुए एक 6 वर्षीय आन्दोलन चलाया गया था। 15 अगस्त, 1985 को असम समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अखिल असम छात्रसंघ का आन्दोलन शान्त हुआ था। असम में बांग्लादेशियों की बढ़ती जनसंख्या के मद्देनजर नागरिक सत्यापन की प्रक्रिया दिसंबर, 2012 में शुरू हुई थी। मई, 2015 में असम राज्य के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। 31 दिसंबर, 2017 को असम सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ (NRC) मसौदे का पहला संस्करण जारी किया गया। भारतीय नागरिक के रूप में मान्यता प्रदान किए जाने हेतु 3.29 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए थे। इनमें से 1.9 lack लोगों को वैध भारतीय नागरिक माना गया है। शेष 1.39 करोड़ आवेदनों की विभिन्न स्तरों पर जांच जारी थी।थी। NRC,,,, भारतीय राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर
Narendra Sonkar
कोशिशें भी जारी रख दांव आखरी लगा बशर्ते रजिस्टर ए मुकद्दर में हाजरी लगा ©Narendra Sonkar "रजिस्टर ए मुकद्दर में हाजरी लगा"
Rajendra Kumar Ratnesh
बौद्ध , महावीर , अशोक की धरा पर , नालंदा , विक्रमशिला , राजगीर सा उपहार मिलेगा । गंगा , कोशी , कमला , सोन तट पर , भ्रमण को पूरा बिहार मिलेगा ।। कुंवर , राजेन्द्र , दिनकर की मिट्टी में, एक सभ्य व्यवहार मिलेगा । मधुर भाषा , वैदिक गाथा , गाते पूरा बिहार मिलेगा ।। खेतों में सोना , बागों में बिछौना , अन्न , पुष्प फलों का बौछार मिलेगा । पर्व त्योहारों में पकवान , मिष्ठान खाने को पूरा बिहार मिलेगा। पक्षियों का कलरव , चरवाहे सर्व , ललित गोधुली का बहार मिलेगा । पकड़ते मछुआरे , मछली सवेरे , डूबे - उफनते बाढ़ में बिहार मिलेगा। दर - दर भटकते , ठोकरें खाते , गरीब , युवा , बेरोजगार मिलेगा । अवसरों की आकांक्षा लिये , मुकाम पाने को पूरा बिहार मिलेगा। झुग्गी - झोपरियों में , शहर के गलियों में । भूखे , नशेड़ी , बिमार मिलेगा । चाह लिए जो आये मानवता की , जरुर उसे पूरा बिहार मिलेगा ।। -राजेंद्र कुमार मंडल रामविशनपुर , सुपौल, बिहार ©Rajendra Kumar Ratnesh बिहार
Rajendra Kumar Ratnesh
बौद्ध , महावीर , अशोक की धरा पर , नालंदा , विक्रमशिला , राजगीर सा उपहार मिलेगा । गंगा , कोशी , कमला , सोन तट पर , भ्रमण को पूरा बिहार मिलेगा ।। कुंवर , राजेन्द्र , दिनकर की मिट्टी में, एक सभ्य व्यवहार मिलेगा । मधुर भाषा , वैदिक गाथा , गाते पूरा बिहार मिलेगा ।। खेतों में सोना , बागों में बिछौना , अन्न , पुष्प फलों का बौछार मिलेगा । पर्व त्योहारों में पकवान , मिष्ठान खाने को पूरा बिहार मिलेगा। पक्षियों का कलरव , चरवाहे सर्व , ललित गोधुली का बहार मिलेगा । पकड़ते मछुआरे , मछली सवेरे , डूबे - उफनते बाढ़ में बिहार मिलेगा। दर - दर भटकते , ठोकरें खाते , गरीब , युवा , बेरोजगार मिलेगा । अवसरों की आकांक्षा लिये , मुकाम पाने को पूरा बिहार मिलेगा। झुग्गी - झोपरियों में , शहर के गलियों में । भूखे , नशेड़ी , बिमार मिलेगा । चाह लिए जो आये मानवता की , जरुर उसे पूरा बिहार मिलेगा ।। --राजेंद्र कुमार मंडल रामविशनपुर , सुपौल, बिहार ©Rajendra Kumar Ratnesh बिहार