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जीtendra
Korona के क्रुद्ध कहर से अपना सारा जगत बचाएं #कान्हा #kanha #coronavirus #कोरोना_वायरस #nurses #कोरोना #नर्स #नर्स_दिवस
प्रकाश साळवी
कोरोना... कोरोना !! खेळलास डाव भले तू मोठा कोरोना समजू नकोस भारता छोटा कोरोना *** पाहिलीस का तू भारताची संस्क्रुती अजून नाही पाहिला तू वरवंटा कोरोना *** परतविलेत हल्ले पूर्वी प्लेग पटकीचे पाहिला नाहि वारसा तू भलामोठा कोरोना *** जरा समजून घ्यावे संकटाला लोकहो संसर्गामुळेच होतोस तू मोठा कोरोना *** आहे पूर्ण विश्वास आमच्या शक्तिवर परतून टाकू कुटील हल्ला तू खोटा कोरोना *** तू कुणीही असो जीवाणू वा विषाणू एव्हढेच सांगतो चीनचा तू कूलटा कोरोना *** शासनाचे जरा ऐका घरातच रहा तुम्ही काय करेल वाकडे तू ऊलटा कोरोना *** प्रकाश साळवी बदलापूर - ठाणे मोबाईल : 9158256054 कोरोना कोरोना
DANVEER SINGH DUNIYA
Alone कितना घनिष्ठ था, तेरा - मेरा याराना पल में हम जुदा हुए जब से आया कोराना यार तेरा प्यार भी था, दिल भी एत - बार था आसपास मोहब्बत थी, हर वक्त इकरार भी था कहीं नहीं है अब जाना जब से आया कोराना एक इशारे चल देते थे आपस में भी गा लेते थे नदी घाट भी नहा लेते थे मिलकर धूम मचाते थे सुना पड़ उठा जमाना जब से आया कोराना खप्ड़ा टांग छाल मारते थे कांचा फेंक निशा लगाते थे लुका लुकी खेल खेलते थे लट्टू गोल घुमा लेते थे अब घर पर खेल करोना जब से आया कोराना नटखट शहर सुनसान पड़ा गांव भी वीरान सा पड़ा स्कूल-कॉलेज बंद हुए कंपनियों से मजदूर गए मजबूर हुए क्या है कमाना जब से आया कोराना - दानवीर सिंह 'दुनिया' दोस्तों कोराना नहीं ये कहर है विश्व में बिमारी रूपी जहर है।
poetess poonam Udaichandra
#5LinePoetry थम गई मेरी कलम, कैसे व्यक्त करू मन के उदगार। कि उजड़ गए मेरे सामने ना जाने कितने घर परिवार।। © poetess poonam Udaichandra कोरोना, कोरोना #5LinePoetry
Durga Bangari
#तमन्ना सुनाऊँगा तुमको कभी, एह-ए-दिल का फ़साना । कभी याद में उनकी,कभी उनका याद में आना ॥ #D.s.banagri #तमन्ना #तमन्ना #ख़्वाहिश
manoj kumar jha"Manu"
दिवसावसान के समय, सांध्यसुन्दरी जब आ रही थी। तभी मधुर मुस्कान से, एक रूपसी मुसका रही थी।। चारों ओर ही लोग किन्तु, पहचान कोई नहीं पा रहा। निकटस्थ सब, रूपसी अलग, हर्ष ही हर्ष छा रहा।। लग रहा था मानो एक, रूपसी गगन से उतर आई। लगा कि सुपरिधान में, गुलाबी छटा चहुँ ओर छाई।। फिर अचानक ही चौंक सब, देखकर के मुस्कुराये। बोले अरे! तुम! तुमको तो हम पहचान भी न पाये।। फिर वह रुपसी, पलकें झुकाये मुस्काये रही। मनु! तुम थे ही नहीं, फिर कैसे ऐसी कल्पना करी। रूपसी