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Rao Ambedkar
bipin mishra
करूँ शिकवा मै किस तरह और किस किस से साख पर बैठे परिंदो ने भी देखा है मुझे घूर के अब तो रूह ने भी शिकवे करना छोड़ दिया है उम्मीद हवाओं के साथ दर्द के भी गुज़र जाने की है वो कुछ लम्हों की बेचैनी थी जब तक की ज़ख़्म गहरे थे वक़्त और हवाओं का करम देखो लगता है निशाने ज़ख़्म भी न थे परिंदो ने भी देखा है घूर के.... #yqdidi #yqquotes #yqdada #yqhindi #hindipoetry #life #love
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
बारिश को घूर के देखकर आँसुओ को हम रुला देते है। दोस्त अब दोस्ती को मोहताज़ है सतिन्दर होता काश गुनगुना देते है । ©️✍️ सतिन्दर #NojotoQuote चल ज़िन्दगी बारिश को घूर के देखकर आँसुओ को हम रुला देते है। दोस्त अब दोस्ती को मोहताज़ है सतिन्दर ह
Rakhi Bisht
#Pehlealfaaz तब वो टूटी पगडंडी याद आती है गाँव की जो छोटी थी जरा कच्ची थी अभी भी पर भटकाती नहीं थी मुझे मेरी राह से। (read in caption) #Pehlealfaaz अकसर चलते हुए शहर की सड़क के किसी मोड़ पर, जब सोच में पड़ जाऊँ कि जाना किस और है तो हज़ार लोगों के प्रतिबिंब दिखते है। मेरी तरफ
SUNNY SAGAR
SUNNY SAGAR
अक्सर कह जाते हैं लोग जो न कहने की बात है जो देश मेरे को घूर के देखे उसकी क्या औकात है देश के लिए मर मिट जाना बच्चे-बच्चे के जज़्बात हैं तू
Hemant Rai
इंसानियत! छिट-पुट, छिट-पुट बरस राह है, सर्द हवा में पानी देख। ठिठुर रही अंबर-धरती, याद आ गई नानी देख।। बीत गया जो, समय गया अब, नया वर्ष आया है देख। मन-बुद्धि के खोल कपाट, अंधियारा तू अंतर्मन मन का फेंक।। हिन्दू-मुस्लिम क्या ही लाए, मानवता का बिगुल बजा। चालाक बुद्धि दौड़ाकर तू, दंगे ना ऐसे करवा।। जंगल जा और सीख के आ, ना जाति, धर्म है कोई वहां। अंत सभी का होना है, क्या हिन्दू,मुस्लिम,फिर सिक्ख यहां।। दूजे की मेहनत के तवे पर, अपनी झूठी की ना तू रोटी सैक। मां-बेटी तेरी भी होगी, घूर के ना तू आंखे सेंक।। औरत है देवी तू भी जाने, फिर, क्यूं ये धंधा करता है,। लूटने देता औरत की आबरू, ख़ुद से ही तू चुप्पी साधे ख़ुद को ही गूंगा-अंधा करता है।। निज-मन तनिक विचार तू कर ले, ज्ञान की गागर अब तो भर ले। लालचाता का चोला छोड़, नेकी भी थोड़ी तू कर ले।। ये अखंड ज्ञान पा ले तू अब, जाति, धर्म का दूर तू सब अंधियारा कर ले। कि, इंसानियत ही धर्म अपना है, हर ओर ये उजियारा कर ले। हर ओर उजियारा कर ले।। ~हेमंत राय। छिट-पुट, छिट-पुट बरस राह है, सर्द हवा में पानी देख। ठिठुर रही अंबर-धरती, याद आ गई नानी देख।। बीत गया जो, समय गया अब, नया वर्ष आया है देख
OMG INDIA WORLD
चैन खीचना पड़ गया भारी ....... Contd........ ©OMG INDIA WORLD एक वृद्ध ट्रेन में सफर कर रहा था, संयोग से वह कोच खाली था। तभी 8-10 लड़के उस कोच में आये और बैठ कर मस्ती करने लगे। एक ने कहा - "चलो, जंजीर ख
कुछ लम्हें ज़िन्दगी के
चल ज़िन्दगी सुलह करते है बेमण्टी कर के मौत को जीता देते है। अब सिकन्दर बनने की उम्र तो नहीं सतिन्दर है फालतू इसको मिटा देते है। बारिश को घूर के देखकर आँसुओ को हम रुला देते है। दोस्त अब दोस्ती को मोहताज़ है सतिन्दर होता काश गुनगुना देते है । मेरे वज़न का फायदा क्या है डॉक्टर वज़न को बुरा बता देते है। अलाप तापने बैठा तो सिक गया सतिन्दर के वज़न की चिता बना देते है। मौज़ की है ? हाँ की है ! बाप के साए वाला वक़्त गिना देते है । सर पे काहे का बोझ है ये सतिन्दर पर पापा की पगड़ी लगा देते है। लिबास तो बदन पे है न काली दस्तार सिर चढ़ा देते है। उसमें भी फुट रही है सफ़ेदी सतिन्दर चल उम्र का सर उड़ा देते है । ज़िन्दगी लफ़्ज़ से रख परहेज़ जितने हक़ीम मिले सलाह देते है। सुन सुन के दूसरों की सतिन्दर को सुनी सुनी बात सुना देते है। क़िस्मत ने आज तलक वो ख़त नहीं खोला चल उसे याद दिला देते है। जिसमें दी शिकायतें शरगोशी वाली के सतिन्दर को क़िस्मत वाले चिढ़ा देते है । मन बिना टिकट के पकड़ा गया उसे रेल वाले बाबू सजा देते है । आवारा है अल्हड़ कहीं का सतिन्दर के मन को सजा ए क़ज़ा देते है। लम्हें लम्हें को जोड़ना है चल गोंद से चिपका देते है । कुछ लम्हें ज़िन्दगी के है सतिन्दर के उनको आग लगा देते है । वक़्त काटना है ग़र इतना मुश्किल तो फ़ुरसत को बुलवा देते है । वो भी तो फ़ुरसत में तराशता है रूहें सतिन्दर की रूह को सुइयाँ चुभा देते है । ©️✍️ सतिन्दर #NojotoQuote सतिन्दर चल ज़िन्दगी सुलह करते है बेमण्टी कर के मौत को जीता देते है। अब सिकन्दर बनने की उम्र तो नहीं सत