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Devansh Parashar
वो आज करते है आज इनकार हमसे । जिनको इकरार करना कल हमने सिखाया था । बन्द लिफाफा हमारे नाम का लौटा देते है वो आज । जिनको खत लिखना कल हमने सिखाया था । देवांश पराशर DevanshParashar#Kavishala#2Liners#2Liner#nojoto#Nojotohindi वो आज करते है आज इनकार हमसे । जिनको इकरार करना कल हमने सिखाया था । बन्द लिफाफा
Bharat Bhushan pathak
#RIPRohitSardana महाकाल! विषहर, धर मार ये विषधर। दे दान, जीवनज्योति सबको देकर क्षमादान अबोध जान, कर दया तू दयावान। जब भी मुख को, हम खोलें हो केवल ॐ निनाद, स्वाँस ॐ निश्वास ॐ ॐ ही हो प्रश्वास। और ॐ ही उच्छवास🙏 भारत भूषण पाठक"देवांश"🙏🌹🙏 ©Bharat Bhushan pathak महाकाल! विषहर, धर मार ये विषधर। दे दान, जीवनज्योति सबको देकर
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
Bharat Bhushan pathak
ममता की सलिला ---------------------------------------------------- माँ ममता की है सलिला,जीवनाधार माँ ही है। प्रथम गुरु भी धरा पर माँ है,ज्ञानपूँज वह माँ ही है।। रोते देखकर बच्चों को वह,खुद रोने लग जाती है। घर में यदि हो एक निवाला,भूखे भी सो जाती है।। ना भेद वो किसी से करती,सबको गले लगाती है। संकट को बच्चों से अपने,माँ ही दूर भगाती है।। माँ जीवन में भरती आशा,हमें आत्मबल देती है। चोट कभी भी लग जाए तो,पीड़ा भी हर लेती है।। --------------------------------------------------- ©Bharat Bhushan pathak ममता की सलिला ---------------------------------------------------- माँ ममता की है सलिला,जीवनाधार माँ ही है। प्रथम गुरु भी धरा पर माँ है,ज्ञा
Poonam bagadia "punit"
Bharat Bhushan pathak
लिखूँ तुझको,यहाँ दिलवर,सजाकर मैं,यहाँ पाती। रहूँ तुम बिन,यहाँ जैसे,रहे है दीप बिनु बाती। चुना है शब्द जो मैंने,सुनो कैसे ,इसे पाया, घटाओं से,चुराया है,हवाओं से,सुनो आती। १ लिया है वेणु से उनके,कहे मोहन,जिसे गिरिधर। नदी से है,मिला मुझको ,दिया इसको,मुझे जलधर। डुबाकर प्रेम की कूची,तराशा है,इसे मैंने, नहीं आता, मुझे लिखना,समझ लो भाव तुम प्रियवर। २ पढ़ा ना मैं,लिखा हूँ फिर,सजाया क्या,बताता हूँ। कुरेदा नाम रोटी पर,वही ही मैं,लगाता हूँ।। नहीं रोटी,इसे मानो,सुनो दिल ही,इसे जानो, छुपाया है,अभी तक जो,वही तुमको ,जताता हूँ।३ कहे चंदा,अजी प्रियतम,नहीं ये शब्द मैं जानूँ । मुझे इतना,सुनो आता,यहाँ तुमको,सदा मानूँ। नहीं मैं चाँद तोडूँगा,न आसमाँ ही,झुकाऊँगा, करूँगा जो, वही मैं तो,उसे ही तो,सदा ठानूँ। ४ ©Bharat Bhushan pathak लिखूँ तुझको,यहाँ दिलवर,सजाकर मैं,यहाँ पाती। रहूँ तुम बिन,यहाँ जैसे,रहे है दीप बिनु बाती। चुना है शब्द जो मैंने,सुनो कैसे ,इसे पाया,
Devansh Parashar
Get Well Soon #PramendraParashar#BollywoodActor.... मेरा ये लेख मेरे व्यक्तिगत विचारों का एक दर्पण है । कुछ समय पहले जब मैं अपने शहर फतेहपुर सीकरी से किसी
Bharat Bhushan pathak
गालगागा गालगागा गालगागा गालगा मापनी -2122 2122 2122 212 गीतिका छंद कुल 26 मात्रा पदांत-गालगा(212) आज आकर लें शपथ हम ,राष्ट्र हित को हम मरें। छोड़ वैरी भावना को, संग सबको हम करें।। सत्य पथ पर हम अड़िग हों , जीतने से ना डरें; दर्प ना ही छू कभी ले , आस मन में ये भरें ; फल मिले क्या ना कभी तुम,भूल से भी सोचना। कर्म करना है यहाँ पर,भाग्य को ना खोंचना।। त्याग कर दो मैल मन का, प्रेम से मिलकर रहो; कष्ट सारे इस जगत के, तुम यहाँ पर मिल सहो; मार्ग में फैले हुए सब, कंटकों से दूर हो। हैं छुपाए दंभ जो भी,आज उनके चूर हो।। मत रखो ये भाव मन में, जीतते या हारते; बस पथिक बन तू चले जा, विघ्न सारे तारते ; बस सफल है वो यहाँ पर,हार जो ना मानते। यत्न करता बढ़ चला जो,युक्ति इसको जानते।। भारत भूषण पाठक"देवांश"🙏🌹🙏 ©Bharat Bhushan pathak #sparsh गालगागा गालगागा गालगागा गालगा मापनी -2122 2122 2122 212 गीतिका छंद कुल 26 मात्रा पदांत-गालगा(212) आज आकर लें शपथ हम ,राष्ट्र हित
Bharat Bhushan pathak