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हर्षित"नमन"
"दोहा द्वय" भगत , सुखदेव , राजगुरु , भारत माँ के लाल । देख व्यथा धरित्री की , थामी क्रांति मशाल ।। ------------------------------------------ मिटे गुलामी देश से , झुके न माँ का भाल । हँसते सूली चढ़ गये , स्वयं अचम्भित काल ।। "दोहा द्वय" भगत , सुखदेव , राजगुरु , भारत माँ के लाल । देख व्यथा धरित्री की , थामी क्रांति मशाल ।। -----------------------------------------
Ragini Jha
कंधे पर सर था मेरा, जो था मेरा सहारा, जी भर मैं देखी उसे, सोते हुए बड़ा शांत था वो, थोड़ी अचम्भित हुई थी मैं, कैसे वो मेहरवान हुआ? मेरा सर उनके कंधे पे गया , वह क्षण बहुत अनमोल थे, खुशी के आँसू आँखों में थे, पर सब मेरा सपना था, दिमाग मे भ्रम वो अपना था, आधी रात जब खुली वो नींद, अल्हड़ सी बलखाती मैं , पतझड़ से मैं गिरा दी मोती, जो यादों में समेटी थी । कंधे पर सर था मेरा , महज वो एक सपना था । रागिनी झा कंधे पर सर था मेरा, जो था मेरा सहारा, जी भर मैं देखी उसे, सोते हुए बड़ा शांत था वो, थोड़ी अचम्भित हुई थी मैं, कैसे वो मेहरवान हुआ? मेरा सर उनक
सुधीर
सुधीर
मिल जाये तुमको सूरज तो क्या करोगे देखोगे उसकी रौशनी या उसमे कूद पड़ोगे... Read Caption ~सुधीर मिल जाये तुमको सूरज तो क्या करोगे देखोगे उसकी रौशनी या उसमे कूद पड़ोगे मिल जाएं तुमको तारे तो क्या करोगे देखोगे अचम्भित होकर या पकड़ के झूल पड़
PRIYA SINHA
Antima Jain
Gaurav Christ
JALAJ KUMAR RATHOUR
#बूढी_राखी_और_बहन आज रक्षाबन्धन का दिन था सब लोग खुश थे पर लाल साहब सुबह से ही परेशान नजर आ रहे थे उदासी उनके चेहरे पर इस प्रकार बैठी थी जैसे चन्दन के पेड पर सर्प कुण्डली मार कर बैठ जाता है।वैसे भी लाल साहब उम्र के 60 सावन देख चुके थे।और शारीरिक रूप से कमजोर भी हो गये थे। हाँ थोडे दिन पहले ही उनको पैर में मोच भी लगी थी इस कारण से भी वो परेशान थे पर उनके उदास चेहरे का कारण कुछ और था वो अपनी बैठक वाले रूम में बैठे थे तभी किसी लडके ने उनके दरवाजे पर दस्तक दी।लाल साहब के पौत्र(नाती) ने तुरन्त दरवाजा खोला एक नौजवान लडका बाहर दरवाजे पर एक कागज का बैग लिये खडा था नाती को वो बैग देकर वो लडका बोला ये आपके पापा की बुआ ने दिल्ली से भेजा है नाती ने वो लाल साहब को देते हुये कहा ये पापा की बुआ ने दिल्ली से भेजा है नाती रिश्तो की धागो से अबोध था लाल साहब पहले तो अचम्भित हुये कुछ देर वाद वो बैग उन्होने खोला तो एक अजीब प्रकार की खुशी उनके चेहरे पर झलक रही थी हो भी क्यो ना कोशो दूर बैठी उनकी बहन ने उन्हे राखी के रूप में ढेर सारा प्यार भेजा था दूरियाँ और जिम्मेदारियो ने भाई बहन के दरमियाँ स्नेह को कम कर दिया था पर मिटा न पाई थीं। लाल साहब राखियो को देखकर अपने जवानी के दिनो में खो गये थे जब पहली बार शादी के बाद बहन आई थी और उनके सीने से लिपट कर रोई थी और हर बार राखी पर बुलाने की कसम माँगी थी पर परिस्थितयाँ हर लम्हा इन्सान का साथ कहाँ देती है वो दिन याद करके लाल साहब की आँखे भर आई तभी अचानक नाती ने कहा दादा जी आप रो रहे हो लाल साहब बोले बेटा रो नही रहा ये तो बस किसी का प्यार है जो झलक रहा है लाल साहब ने नाती से पूछा किसने दिया ये बैग नाती बोला बाहर एक भईया आये थे जब लाल साहब ने बाहर देखा तो कोई नही था लाल साहब ने उस फरिश्ते को धन्यवाद कहा लाल साहब की नजर बैग में रखे खत पर पडी लाल साहब ने काँपते हाथो से उस खत को उठाया और पढना शुरू किया... "प्रिय भईया , बहुत दिन हो गये तुमसे मिले और तुम्हारी कलाई पर राखी बाँधे हुये अब इन नजरो में तुम्हारी तस्वीर भी धुधँली सी होने लगी है कई बार सोचा मिलने आ जाऊँ पर जिम्मेदारियाँ हमेशा पैर पकड लेती है पर हर बार तुम्हे याद करके आँसू पौछ लेती हूँ आज ये राखी भेज रही हूँ अगर आने में देर हो जाये ये समझना ये भी मेरी तरह बूढी हो गयी है पर तुमसे स्नेह की डोरियाँ कमजोर नही हुई आपकी बहन -लाडली लाल साहब मुस्कराते हुये राखी को देखते है और बोल पडे मेरी लाडो की #बूढी_राखी और राखी को हाथ पर बाँधकर नाती को पास बिठाकर अपनी बेटी का इन्तजार करने लगे.... ..#जलज_कुमार #rakshabandhan #बूढी_राखी_और_बहन आज रक्षाबन्धन का दिन था सब लोग खुश थे पर लाल साहब सुबह से ही परेशान नजर आ रहे थे उदासी उनके चेहरे पर इस प्
नेहा उदय भान गुप्ता
नेह शब्दों से सुसज्जित, आओ आप सबको सच्ची दास्तां सुनाती हूँ। आरम्भ कैसे, कैसे हुआ अन्त, महाभारत की कहानी बताती हूँ।। अनुशीर्षक में पढ़े...👇👇 नेह शब्दों से सुसज्जित, आओ आप सबको सच्ची दास्तां सुनाती हूँ। आरम्भ कैसे, कैसे हुआ अन्त, महाभारत की कहानी बताती हूँ।।1 चन्द्रवंशी शासक ये, प
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
नेह शब्दों से सुसज्जित, आओ आप सबको सच्ची दास्तां सुनाती हूँ। आरम्भ कैसे, कैसे हुआ अन्त, महाभारत की कहानी बताती हूँ।। अनुशीर्षक में पढ़े...👇👇 नेह शब्दों से सुसज्जित, आओ आप सबको सच्ची दास्तां सुनाती हूँ। आरम्भ कैसे, कैसे हुआ अन्त, महाभारत की कहानी बताती हूँ।।1 चन्द्रवंशी शासक ये, प