Nojoto: Largest Storytelling Platform

New कविवर चन्द्रकुंवर बर्त्वाल Quotes, Status, Photo, Video

Find the Latest Status about कविवर चन्द्रकुंवर बर्त्वाल from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, कविवर चन्द्रकुंवर बर्त्वाल.

Related Stories

    PopularLatestVideo

पंडित सरल शर्मा✍️✍️

दीप ऐसे बुझे फिर जले ही नही
                           ज़ख्म ऐसे मिले फिर सिले ही नही
                         व्यर्थ किस्मत पे रोने से क्या फायदा
                         सोच लेना कि हम तुम मिले ही नही
             
   
                                         @कुमार सर❤️🙏 #कुमारसर#कवि#कविवर

SAURABH RANA

कविवर सौरभ राणा #seaside

read more
मिला है इतना कुछ तुमसे, बड़ी सौगात क्या होगी?
जिताने को खड़े जब तुम, तो मेरी मात क्या होगी?
मेरा अस्तित्व मेरा कल तुम्हारे बल पे ज़िन्दा है,
रहोगे साथ में गर तुम , तो मेरी बात क्या होगी?? कविवर सौरभ राणा

#seaside

Ashish Kumar Verma

कविवार

read more
कविवार

जानती हो, मैं मौन क्यों हो जाता हूँ यूँ अक्सर
बस इसलिए कि तुम कोई गीत गाओ मेरे लिए

मैं रोऊँ, मेरी आँखों में आँसुओं की  बूँदें झलकें
उस वक्त भी तुम थोड़ा-सा मुस्कुराओ मेरे लिए

सौ बातें तुम्हारे जेहन में घूमा करतीं हों ये माना
कुछ पल के लिए सब भूल कर आओ मेरे लिए

अँधेरे और रोशनी के हलचलों से मैं थक गया हूँ
तुम एक ठहरी हुई-सी साँझ बन जाओ मेरे लिए

मैं छोड़ दूँगा कविता की एक अंतिम पंक्ति अधूरी
तुम कुछ लिखकर  एक कविता बनाओ मेरे लिए!

©Ashish Kumar Verma
  कविवार

Ashish Kumar Verma

कविवार

read more
कविवार

मन में  आता है मेरे  अक्सर यूँ ही
काश तब वैसा न होता,काश अब ऐसा न होता

तुम छू कर चले जाते मुझको मगर
मन में अहसासों का ज्वार  ऐसा उमड़ा न होता

चाँद होता,ये तारे टिमटिमाते मगर
रात तो हो जाती लेकिन ये फैला अँधेरा न होता

ये सफर अकेले ही काटना था यदि
तुम न मिलते  और ये यादों का  कारवां न होता

यूँ भीतर समाने की जरूरत क्या थी
वो थोड़ा बाहर भी होता तो मुझसे जुदा न होता

कभी फुर्सत मिली तो बताऊंगा उन्हें
अगर वो न होते  तो ये फुर्सत का इरादा न होता!

©Ashish Kumar Verma कविवार

Ashish Kumar Verma

कविवार

read more
कविवार

याद बहुत तुम आते हो।

धूप अभी भी  हर दिन  आती है
वह कुछ फीकी-सी रह जाती है
रात तो अब भी वैसी ही होती है
मगर वह कुछ थकी-सी सोती है
       तुम फिर से दूर ही रह जाते हो
                 याद बहुत तुम आते हो।

उतना ही हूँ,जितने पर छोड़ गए
पता ही ना चला  किस ओर गए
कैसे कहूँ मैंने तुम्हें क्या माना था
अभी साथ  दूर तक  निभाना था
           जो कहा वो क्यों न निभाते हो
                    याद बहुत तुम आते हो।

अब कौन यहाँ  जिसे अपना कहूँ
कुछ रो लूँ और कुछ मन का कहूँ
अब खुद ही  बिखरता-सँवरता हूँ
नहीं आस किसी की भी करता हूँ
           एक बेसुध-सी सुधि जगाते हो
                    याद बहुत तुम आते हो।

जो कही जाए नहीं  वह कहानी है
मेरे पास  कुछ अब भी  निशानी है
वह प्रेम नहीं जो सबको बोल दिया
खुद तुला ही न,जग को तोल दिया
             तुम दृश्य,अदृश्य में बनाते हो
                     याद बहुत तुम आते हो।

©Ashish Kumar Verma कविवार

Ashish Kumar Verma

कविवार

read more
कविवार

हाँ,उनकी सच्चाइयाँ तो पता चलीं,मगर जरा देर हो गई
ये कलियाँ फूल बन कर तो खिलीं,मगर जरा देर हो गई

धूप बिखरी थी इन गलियों में,यह हमें अब मालूम हुआ
आखिर  बंद खिड़कियाँ तो खुलीं, मगर जरा देर हो गई

मैंने अँधेरे में किरणों के निशान खोजने की कोशिश की
एक कोने में फिर बत्तियाँ तो जलीं,मगर जरा देर हो गई

एक फुर्सत भरी शाम की  मैंने राह देखी न जाने कब से
मेरे चौखट पर  एक शाम तो ढली, मगर जरा देर हो गई

जिसके हिस्से में जो जितना होता है,वही उसे मिलता है 
मेरे हिस्से में भी खुशियाँ तो मिलीं, मगर जरा देर हो गई!

©Ashish Kumar Verma कविवार
loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile