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Sudha Tripathi

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल #sunrays

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छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है  निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल का सूप दूध अर्घ् के लिये गन्ने शकरकन्द पान, सुपारी,हल्दी मूली, अदरक का हरा पौधा  बड़ा मीठा नींबू शरीफा, केला और नाशपाती पानी वाला नारियल मिठाई गुड़ गेंहू चावल और आटे से बना ठेकुआ चावल ,सिंदूर ,दीपक ,शहद और धूप नए वस्त्र जैसे  धोती या साड़ी उपयोग में लाए जाते हैं चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुवात नहाय खाय से होती है इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल,कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं ,छठ पूजा के दूसरे दिन खरना के नाम से जाना जाता है जिस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत होता है और  शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं  महिलाओं का 36 घण्टे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मैया का घर मे आगमन होता है ,छठ पूजा के तीसरे दिन तक व्रती निर्जला उपवास रखते हैं साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते हैं ,शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तालाब पर पानी मे खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देते हैं तीसरे दिन का निर्जला उपवास रात भर जारी रहता है . छठ पूजा के चौथे दिन पानी मे खड़े होकर उगते  यानि उदयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.इसे उषा अर्ध्य या पारण दिवस भी कहा जाता है अर्ध्य देने के बाद व्रती  एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोलते है .36 घण्टे का व्रत सूर्य को अर्ध्य देने के बाद तोड़ा जाता है इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्ध्य यानि दूसरे और अंतिम अर्ध्य को देने के बाद होती हैं इस व्रत मे पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है हमारे लिए सबसे बड़ा त्योहार है छठ महापर्व 🙏🙏🙏🙏🙏🙏

©Sudha Tripathi छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है  निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल

Sudha Tripathi

छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल #chhathpuja

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छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है  निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल का सूप दूध अर्घ् के लिये गन्ने शकरकन्द पान, सुपारी,हल्दी मूली, अदरक का हरा पौधा  बड़ा मीठा नींबू शरीफा, केला और नाशपाती पानी वाला नारियल मिठाई गुड़ गेंहू चावल और आटे से बना ठेकुआ चावल ,सिंदूर ,दीपक ,शहद और धूप नए वस्त्र जैसे  धोती या साड़ी उपयोग में लाए जाते हैं चार दिन तक चलने वाले इस महापर्व की शुरुवात नहाय खाय से होती है इस दिन व्रती स्नान कर नए वस्त्र धारण कर पूजा के बाद चना दाल,कद्दू की सब्जी और चावल को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं व्रती के भोजन करने के बाद परिवार के सभी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं ,छठ पूजा के दूसरे दिन खरना के नाम से जाना जाता है जिस दिन पूरे दिन निर्जला व्रत होता है और  शाम के समय लकड़ी के चूल्हे पर गुड़ का खीर बनाकर उसे प्रसाद के तौर पर खाती हैं  महिलाओं का 36 घण्टे का निर्जला उपवास शुरू हो जाता है पौराणिक कथाओं के अनुसार मान्यता है कि खरना पूजा के बाद ही छठी मैया का घर मे आगमन होता है ,छठ पूजा के तीसरे दिन तक व्रती निर्जला उपवास रखते हैं साथ ही छठ पूजा का प्रसाद तैयार करते हैं ,शाम के समय नए वस्त्र धारण कर परिवार संग किसी नदी या तालाब पर पानी मे खड़े होकर डूबते हुए सूरज को अर्ध्य देते हैं तीसरे दिन का निर्जला उपवास रात भर जारी रहता है . छठ पूजा के चौथे दिन पानी मे खड़े होकर उगते  यानि उदयमान सूर्य को अर्ध्य दिया जाता है.इसे उषा अर्ध्य या पारण दिवस भी कहा जाता है अर्ध्य देने के बाद व्रती  एक दूसरे को प्रसाद देकर व्रत खोलते है .36 घण्टे का व्रत सूर्य को अर्ध्य देने के बाद तोड़ा जाता है इस व्रत की समाप्ति सुबह के अर्ध्य यानि दूसरे और अंतिम अर्ध्य को देने के बाद होती हैं इस व्रत मे पवित्रता का विशेष ध्यान रखा जाता है हमारे लिए सबसे बड़ा त्योहार है छठ महापर्व 🙏🙏🙏🙏🙏🙏 छठ पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

©Sudha Tripathi छठ पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को मनाया जाता है  निर्जला व्रत किया जाता है ,प्रसाद रखने के लिए बांस की बड़ी टोकरियाँ बांस या फिर पीतल

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 9 - सेवा का प्रभाव 'या खुदा, अब आगे को रास्ता भी नहीं है।' सवार घोड़े से कूद पड़ा।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
9 - सेवा का प्रभाव

'या खुदा, अब आगे को रास्ता भी नहीं है।' सवार घोड़े से कूद पड़ा।

Amit Dwivedi

पीपल का पेड़

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Amit Dwivedi

पीपल का पेड़

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Ehssas Speaker

#यह पीपल का पेड़ #कविता

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