जो अपने निश्चित कर्मों अथवा वास्तु का त्याग करके, अनिश्चित की चिंता करता है, उसका अनिश्चित लक्ष्य तो नष्ट होता ही है, निश्चित भी नष्ट हो जात #पौराणिककथा
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साहस
#diarylove
अच्छा सोचिए निश्चित रूप से अच्छा मिलेगा।।💓💓 #YourQuoteAndMine
Collaborating with Rohit Kumar Kushwaha