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Sri devkinandan thakur ji Maharaj

लाइव भागवत कथा श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज 21 मार्च 2023

लाइव भागवत कथा श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज 21 मार्च 2023 #न्यूज़

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Sri devkinandan thakur ji Maharaj

हम सब दुखी क्यों हैं जानिए श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज से राधे राधे बोलना पड़ेगा

हम सब दुखी क्यों हैं जानिए श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज से राधे राधे बोलना पड़ेगा #न्यूज़

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Sri devkinandan thakur ji Maharaj

जीवन का लक्ष्य क्या है इसे पाना चाहिए क्या करना चाहिए जानू श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

जीवन का लक्ष्य क्या है इसे पाना चाहिए क्या करना चाहिए जानू श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज #न्यूज़

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Sri devkinandan thakur ji Maharaj

बच्चे को पूजा में मन क्यों नहीं लगता है श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज द्वारा बताया गया

बच्चे को पूजा में मन क्यों नहीं लगता है श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज द्वारा बताया गया #न्यूज़

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Sri devkinandan thakur ji Maharaj

बिन बुलाए मेरे कान्हा मेरे गोविंद मेरे ठाकुर कभी नहीं आते श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज

बिन बुलाए मेरे कान्हा मेरे गोविंद मेरे ठाकुर कभी नहीं आते श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज #न्यूज़

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Sri devkinandan thakur ji Maharaj

कर्ज से कैसे मुक्ति हो जाने उपाय श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज से राधे राधे बोलना पड़ेगा

कर्ज से कैसे मुक्ति हो जाने उपाय श्री देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज से राधे राधे बोलना पड़ेगा #न्यूज़

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Krishna Komatwar

🌍💙👑🫀 _*|| देवकीनंदन वसुदेव पुत्र परमपूज्य गुरु श्री कृष्णा यादव जी की जय ||*_😌📿🌸🧡 #radheradhe🙏

🌍💙👑🫀 _*|| देवकीनंदन वसुदेव पुत्र परमपूज्य गुरु श्री कृष्णा यादव जी की जय ||*_😌📿🌸🧡 radheradhe🙏 #Mythology

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@rajatvaani_

#govardhanpooja #गोवर्धन_पूजा #गोवर्धन_पूजा कर्म प्रधान है, पूज्य है- गीता में यह सार बताते देवकीनंदन पर्वत ,नदी, प्रकृति का गोवर्धनपूजा स

#govardhanpooja #गोवर्धन_पूजा #गोवर्धन_पूजा कर्म प्रधान है, पूज्य है- गीता में यह सार बताते देवकीनंदन पर्वत ,नदी, प्रकृति का गोवर्धनपूजा स

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Shikha Mishra

ओ मधुर बंसी बजैया, गोकुल में धेनु चरैया।
हे कृष्ण कन्हैया, भव पार करो मोर नइया।।

मस्तक तिलक आछे, श्रवण कुंडल छाजे।
अरूण अधर पर  मृदुल मुस्कान साजे।।

गोल कपोल, हरि कमल नयन विशाला।
अलक घुंघराला, मोर मुकुट वैजयंती माला।।

कंस को मारयो, गोवर्धन नख पर धारयो।
हे सुदामा के मीत! दीनन के कष्ट निवारयो।।

राधा के प्राण प्यारे, मीरा के हृदय को तारे।
शरण लियो हमहुं, हे प्रभु यशोदा सुत नंद दुलारे।।

जय माधव, जय नटनागर
जय जगवंदन, जय जय यदुनंदन
सुफल मनोरथ कीजे हे देवकीनंदन।। #yqbaba #yqhindi #janmashtami #कृष्णमेरे #radheshyam #smkrishna #bestyqhindiquotes Best of YourQuote Poetry Best YQ Hindi Quotes 

ओ मधुर बं

#yqbaba #yqhindi #janmashtami #कृष्णमेरे #radheshyam #smkrishna #bestyqhindiquotes Best of YourQuote Poetry Best YQ Hindi Quotes ओ मधुर बं

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Chanchala Singh

#कृष्णजन्माष्टमीकीहार्दिकशुभकामनाएं🙏🙏🙏🌷🌷🌹

मोहक छवी मेरे कान्हा की..!!
सुंदर प्रतिमा छवि मनोरम तुम हो तारणहार..
बालरूप तेरा हृदय चुराए ऐसा अ

कृष्णजन्माष्टमीकीहार्दिकशुभकामनाएं🙏🙏🙏🌷🌷🌹 मोहक छवी मेरे कान्हा की..!! सुंदर प्रतिमा छवि मनोरम तुम हो तारणहार.. बालरूप तेरा हृदय चुराए ऐसा अ #Poetry #Hindi #hindi_poetry #chanchal #myownwords #myownpoetry #myownfeelings

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Pravesh Kumar

शीर्षक - त्राहिमाम हे दयानिधि।

हे संपूर्ण जगत के स्वामी, कण-कण के तुम वासी हो।
मैं हूँ एक इकाई और तुम, अजर, अमर अविनाशी हो।
भाग्यवान भी तुम हो माधव, तुम ही हो भगवान स्वयम्।
दो माताओं का सुख भोगो, तुमने लिखा विधान स्वयं।

पूरा गीत कैप्शन में पढ़ें।🙏 
हे संपूर्ण जगत के स्वामी,
कण-कण के तुम वासी हो।
मैं हूँ एक इकाई और तुम,
अजर, अमर अविनाशी हो।

भाग्यवान भी तुम हो माधव
तुम ही हो भगवान स्वयम

हे संपूर्ण जगत के स्वामी, कण-कण के तुम वासी हो। मैं हूँ एक इकाई और तुम, अजर, अमर अविनाशी हो। भाग्यवान भी तुम हो माधव तुम ही हो भगवान स्वयम #हिंदी #कविता #MyThoughts #yqdidi #yqhindi #yqquotes #NAPOWRIMO #yqpoetry

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Pravesh Kumar

हे संपूर्ण जगत के स्वामी, कण-कण के तुम वासी हो।
मैं हूँ एक इकाई और तुम, अजर, अमर अविनाशी हो।
भाग्यवान भी तुम हो माधव,तुम ही हो भगवान स्वयम्।
दो माताओं का सुख भोगो,तुमने लिखा विधान स्वयं। 

पूरी कविता कैप्शन में पढ़ें।🙏🙏🙏
 हे संपूर्ण जगत के स्वामी,
कण-कण के तुम वासी हो।
मैं हूँ एक इकाई और तुम,
अजर, अमर अविनाशी हो।

भाग्यवान भी तुम हो माधव
तुम ही हो भगवान स्वयम्

हे संपूर्ण जगत के स्वामी, कण-कण के तुम वासी हो। मैं हूँ एक इकाई और तुम, अजर, अमर अविनाशी हो। भाग्यवान भी तुम हो माधव तुम ही हो भगवान स्वयम् #YourQuoteAndMine #repost #मेरीमाँ #मातृदिवस

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Avinash Jha

 हे केशव, मैं अभागन
तेरे दर्शन की अभिलाषी,
मूक बने थे जब सभी सभागण
तूने ही तो बच्चे थी मेरे काया की साड़ी,
उधड़ा पड़ा था जब भी मेरा बदन
तभी पड़े

हे केशव, मैं अभागन तेरे दर्शन की अभिलाषी, मूक बने थे जब सभी सभागण तूने ही तो बच्चे थी मेरे काया की साड़ी, उधड़ा पड़ा था जब भी मेरा बदन तभी पड़े #nojotophoto #Stoprape

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Vikas Sharma Shivaaya'

महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏

महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों के चक्के, छज्जे आदि बिखरे हुए थे और वायुमण्डल में पसरी हुई थी घोर उदासी .... ! 
गिद्ध , कुत्ते , सियारों की उदास और डरावनी आवाजों के बीच उस निर्जन हो चुकी उस भूमि में *द्वापर का सबसे महान योद्धा* *"देवव्रत" (भीष्म पितामह)* शरशय्या पर पड़ा सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहा था -- अकेला .... !

तभी उनके कानों में एक परिचित ध्वनि शहद घोलती हुई पहुँची , "प्रणाम पितामह" .... !!

भीष्म के सूख चुके अधरों पर एक मरी हुई मुस्कुराहट तैर उठी , बोले , " आओ देवकीनंदन .... ! स्वागत है तुम्हारा .... !! 

मैं बहुत देर से तुम्हारा ही स्मरण कर रहा था" .... !!

कृष्ण बोले , "क्या कहूँ पितामह ! अब तो यह भी नहीं पूछ सकता कि कैसे हैं आप" .... !

भीष्म चुप रहे , कुछ क्षण बाद बोले," पुत्र युधिष्ठिर का राज्याभिषेक करा चुके केशव ... ? 
उनका ध्यान रखना , परिवार के बुजुर्गों से रिक्त हो चुके राजप्रासाद में उन्हें अब सबसे अधिक तुम्हारी ही आवश्यकता है" .... !

कृष्ण चुप रहे .... !

भीष्म ने पुनः कहा , "कुछ पूछूँ केशव .... ? 
बड़े अच्छे समय से आये हो .... ! 
सम्भवतः धरा छोड़ने के पूर्व मेरे अनेक भ्रम समाप्त हो जाँय " .... !!

कृष्ण बोले - कहिये न पितामह ....! 

एक बात बताओ प्रभु ! तुम तो ईश्वर हो न .... ?

कृष्ण ने बीच में ही टोका , "नहीं पितामह ! मैं ईश्वर नहीं ... मैं तो आपका पौत्र हूँ पितामह ... ईश्वर नहीं ...."

भीष्म उस घोर पीड़ा में भी ठठा के हँस पड़े .... ! बोले , " अपने जीवन का स्वयं कभी आकलन नहीं कर पाया कृष्ण , सो नहीं जानता कि अच्छा रहा या बुरा , पर अब तो इस धरा से जा रहा हूँ कन्हैया , अब तो ठगना छोड़ दे रे .... !! "

कृष्ण जाने क्यों भीष्म के पास सरक आये और उनका हाथ पकड़ कर बोले .... " कहिये पितामह .... !"

भीष्म बोले , "एक बात बताओ कन्हैया ! इस युद्ध में जो हुआ वो ठीक था क्या .... ?"

"किसकी ओर से पितामह .... ? पांडवों की ओर से .... ?"

" कौरवों के कृत्यों पर चर्चा का तो अब कोई अर्थ ही नहीं कन्हैया ! पर क्या पांडवों की ओर से जो हुआ वो सही था .... ? आचार्य द्रोण का वध , दुर्योधन की जंघा के नीचे प्रहार , दुःशासन की छाती का चीरा जाना , जयद्रथ के साथ हुआ छल , निहत्थे कर्ण का वध , सब ठीक था क्या .... ? यह सब उचित था क्या .... ?"

इसका उत्तर मैं कैसे दे सकता हूँ पितामह .... ! 
इसका उत्तर तो उन्हें देना चाहिए जिन्होंने यह किया ..... !! 
उत्तर दें दुर्योधन का वध करने वाले भीम , उत्तर दें कर्ण और जयद्रथ का वध करने वाले अर्जुन .... !! 

मैं तो इस युद्ध में कहीं था ही नहीं पितामह .... !!

"अभी भी छलना नहीं छोड़ोगे कृष्ण .... ?
अरे विश्व भले कहता रहे कि महाभारत को अर्जुन और भीम ने जीता है , पर मैं जानता हूँ कन्हैया कि यह तुम्हारी और केवल तुम्हारी विजय है .... ! 
मैं तो उत्तर तुम्ही से पूछूंगा कृष्ण .... !"

"तो सुनिए पितामह .... ! 
कुछ बुरा नहीं हुआ , कुछ अनैतिक नहीं हुआ .... ! 
वही हुआ जो हो होना चाहिए .... !"

"यह तुम कह रहे हो केशव .... ? 
मर्यादा पुरुषोत्तम राम का अवतार कृष्ण कह रहा है ....? यह छल तो किसी युग में हमारे सनातन संस्कारों का अंग नहीं रहा, फिर यह उचित कैसे गया ..... ? "

*"इतिहास से शिक्षा ली जाती है पितामह , पर निर्णय वर्तमान की परिस्थितियों के आधार पर लेना पड़ता है .... !* 

हर युग अपने तर्कों और अपनी आवश्यकता के आधार पर अपना नायक चुनता है .... !! 
राम त्रेता युग के नायक थे , मेरे भाग में द्वापर आया था .... ! 
हम दोनों का निर्णय एक सा नहीं हो सकता पितामह .... !!"

" नहीं समझ पाया कृष्ण ! तनिक समझाओ तो .... !"

" राम और कृष्ण की परिस्थितियों में बहुत अंतर है पितामह .... ! 
राम के युग में खलनायक भी ' रावण ' जैसा शिवभक्त होता था .... !! 
तब रावण जैसी नकारात्मक शक्ति के परिवार में भी विभीषण जैसे सन्त हुआ करते थे ..... ! तब बाली जैसे खलनायक के परिवार में भी तारा जैसी विदुषी स्त्रियाँ और अंगद जैसे सज्जन पुत्र होते थे .... ! उस युग में खलनायक भी धर्म का ज्ञान रखता था .... !!
इसलिए राम ने उनके साथ कहीं छल नहीं किया .... ! किंतु मेरे युग के भाग में में कंस , जरासन्ध , दुर्योधन , दुःशासन , शकुनी , जयद्रथ जैसे घोर पापी आये हैं .... !! उनकी समाप्ति के लिए हर छल उचित है पितामह .... ! पाप का अंत आवश्यक है पितामह , वह चाहे जिस विधि से हो .... !!"

"तो क्या तुम्हारे इन निर्णयों से गलत परम्पराएं नहीं प्रारम्भ होंगी केशव .... ? 
क्या भविष्य तुम्हारे इन छलों का अनुशरण नहीं करेगा .... ? 
और यदि करेगा तो क्या यह उचित होगा ..... ??"

*" भविष्य तो इससे भी अधिक नकारात्मक आ रहा है पितामह .... !* 

*कलियुग में तो इतने से भी काम नहीं चलेगा .... !*

*वहाँ मनुष्य को कृष्ण से भी अधिक कठोर होना होगा .... नहीं तो धर्म समाप्त हो जाएगा .... !* 

*जब क्रूर और अनैतिक शक्तियाँ सत्य एवं धर्म का समूल नाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता अर्थहीन हो जाती है पितामह* .... ! 
तब महत्वपूर्ण होती है विजय , केवल विजय .... ! 

*भविष्य को यह सीखना ही होगा पितामह* ..... !!"

"क्या धर्म का भी नाश हो सकता है केशव .... ? 
और यदि धर्म का नाश होना ही है , तो क्या मनुष्य इसे रोक सकता है ..... ?"

*"सबकुछ ईश्वर के भरोसे छोड़ कर बैठना मूर्खता होती है पितामह .... !* 
*ईश्वर स्वयं कुछ नहीं करता ..... !*केवल मार्ग दर्शन करता है*

*सब मनुष्य को ही स्वयं करना पड़ता है .... !* 
आप मुझे भी ईश्वर कहते हैं न .... ! 
तो बताइए न पितामह , मैंने स्वयं इस युद्घ में कुछ किया क्या ..... ? 
सब पांडवों को ही करना पड़ा न .... ? 
यही प्रकृति का संविधान है .... ! 
युद्ध के प्रथम दिन यही तो कहा था मैंने अर्जुन से .... ! यही परम सत्य है ..... !!"

भीष्म अब सन्तुष्ट लग रहे थे .... ! 
उनकी आँखें धीरे-धीरे बन्द होने लगीं थी .... ! 
उन्होंने कहा - चलो कृष्ण ! यह इस धरा पर अंतिम रात्रि है .... कल सम्भवतः चले जाना हो ... अपने इस अभागे भक्त पर कृपा करना कृष्ण .... !"

*कृष्ण ने मन मे ही कुछ कहा और भीष्म को प्रणाम कर लौट चले , पर युद्धभूमि के उस डरावने अंधकार में भविष्य को जीवन का सबसे बड़ा सूत्र मिल चुका था* .... !

*जब अनैतिक और क्रूर शक्तियाँ सत्य और धर्म का विनाश करने के लिए आक्रमण कर रही हों, तो नैतिकता का पाठ आत्मघाती होता है ....।।*

*धर्मों रक्षति रक्षितः* 🚩🚩

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 706 से 717 नाम 
706 सन्निवासः विद्वानों के आश्रय है
707 सुयामुनः जिनके यामुन अर्थात यमुना सम्बन्धी सुन्दर हैं
708 भूतावासः जिनमे सर्व भूत मुख्य रूप से निवास करते हैं
709 वासुदेवः जगत को माया से आच्छादित करते हैं और देव भी हैं
710 सर्वासुनिलयः सम्पूर्ण प्राण जिस जीवरूप आश्रय में लीन हो जाते हैं
711 अनलः जिनकी शक्ति और संपत्ति की समाप्ति नहीं है
712 दर्पहा धर्मविरुद्ध मार्ग में रहने वालों का दर्प नष्ट करते हैं
713 दर्पदः धर्म मार्ग में रहने वालों को दर्प(गर्व) देते हैं
714 दृप्तः अपने आत्मारूप अमृत का आखादन करने के कारण नित्य प्रमुदित रहते हैं
715 दुर्धरः जिन्हे बड़ी कठिनता से धारण किया जा सकता है
716 अथापराजितः जो किसी से पराजित नहीं होते
717 विश्वमूर्तिः विश्व जिनकी मूर्ति है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏

महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों

महाभारत का एक सार्थक प्रसंग🙏 महाभारत युद्ध समाप्त हो चुका था. युद्धभूमि में यत्र-तत्र योद्धाओं के फटे वस्त्र, मुकुट, टूटे शस्त्र, टूटे रथों #समाज

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Gopal Csc

#देवकीनन्दन ठाकुरजीआज खुल के दहाड़ मारे ... 
#ठाकुर जी #धीरेंद्र महराज जी के साथ था, हैं और आगे भी रहूंगा "
बड़े-बड़े #कथाकार अभी भी खामोश ह

#देवकीनन्दन ठाकुरजीआज खुल के दहाड़ मारे ... #ठाकुर जी #धीरेंद्र महराज जी के साथ था, हैं और आगे भी रहूंगा " बड़े-बड़े #कथाकार अभी भी खामोश ह #विचार #न्यूज़

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