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Shakuntala Sharma
महा शिवरात्री . शिव महादेव और पार्वती के विवाह के महाउत्सव के रूप मनाया जाने वाला पावन पर्व है। कहा जाता है। पार्वती जी का पूर्व जन्म का नाम सती थी। सती राजा दक्ष की पुत्री थी। राजा दक्ष के द्वारा महाशिव के हुए अपमान के कारण सति अग्नि कुंड में जलकर भस्म हो जाता है। और सती के शरीर की भस्म को धारण करके महादेव वैराग्य धारण करके संसार से विमुख होकर शमशान मे निवास करते है। सती के वियोग से क्रोधित होकर महा देव ताड़व करते हुए सारे संसार को अंधकारमय कर देते है ' । महादेव की ऐसी हालत देखकर भगवान विष्णु बडे चिंतित होते हैं । और कामदेव व रत्ति दोनो को महादेव की तांडव तपस्या को भंग करने का आदेश करते है। कामदेव और रत्ति जैसे ही शिव पर काम वासना के बाणों से प्रहार करते है । तो शिव का तीसरा नेत्र खुल जाता है। और उससे उत्पन्न अग्नि की भीषण ज्वाला र्मे कामदेव भस्म हो जाते है। पति के इस तरह भस्म होने के कारण रत्ति विलाप करते हुए। शिव के चरणों में गिर जाती है । और क्षमा याचना करने लगती है। शिव को रत्ति की इस हालात पर दया आ जाती है। और वह रति को वरदान देते है । कि विष्णु के कृष्ण अवतार र्मे तुम्हारा मिलन तुम्हारे पत्ति कामदेव से पुनः होगा श्रीकृष्ण के पुत्र प्रधुम्न के रूप कामदेव जन्म लेगे। तब तक तुम तपस्या करके अपने मन की शाति धारण करो। रति वन में चली जाती है। प्रधुम्न के पुत्र अनिरुद्ध होगे। शिव से वरदान प्राप्त करने के पश्चाप रति तपस्या में लीन हो जाती है। और सति हिमालय राज के यहाँ कन्या के रूप में जन्म लेती है। उसका नाम माता पार्वती रखा जाता है। जैसे जैसे माता पार्वती बडी होती है । और किशोर अवस्था में प्रवेश करती है। तभी उनकी मुलाकात महादेव शिव से होती है। और वह महादेव शिव से प्रेम करने लगती है। माता पार्वती ने शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। तभी महादेव शिव का विवाह माता पार्वती से होता है। इस पावन दिन को हिन्दु धर्म में महाशिव रात्री के रूप में मनाया जाता है । जैसे बार बार जन्म लेने के बाद भी पार्वती जी को हर बार पत्ति के रूप में महाशिव की प्राप्ति हुई । उसी प्रकार महाशिव रात्री के व्रत और श्रद्धा से पुजन करने पर मन वांचित वर की प्राप्ति होती है। भगवान र्मे श्रद्धा रखने पर - बार बार जन्म लेने के बाद भी पत्ति और पत्नि हर जन्म मे पुनः मिलते है । ऐसी धारणा है। जय महा शिव रात्रि 1 जय ©Shakuntala Sharma # महा शिव रात्रि के पावन पर्व की कथा