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राजेन्द्र प्र०पासवान

बज़्म ए इख़लास

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हमने जब उस चाँद को देखा चाँद के आसपास कोई न था 
चाँद गहरी ख़ामोशी में खो गया मैं इन्तज़ार करता ही रहा ।
चाँद को हजारो सितारे मिले, ख़्वाबों में मैं तड़पता ही रहा 
चाँद को इक चाँदनी भी मिली सितारों के संग चमकता रहा ।
तिज़ारत बनाके मुहब्बत को ख़यालों में सबको ठगता रहा 
किनारे पे दिल मेरा तड़प तड़प के क़रीब उनको बुलाता रहा ।
इक चाँदनी के कारण ही चाँद क्यों नाम बदलकर मिलता रहा 
हमें हक़ीक़त की न कोई ख्वाहिश फिर भी अंधेरा बढ़ता गया ।
🌼 
 बज़्म ए इख़लास

waqil ahmad raza

बज़्म ए सुख़न #शायरी

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वो अभी दुनिया भुला के लौटा है.....


अपनी मासूमियत को वो छुपा के लौटा है 
वो अभी दुनिया भुला के लौटा है


उन दिनों यारी थी उसकी कई तस्वीरों से,
आज तस्वीर वो सारी जला के लौटा है


रोज़ मिलना था मुहब्बत की सदी मे उसका ,
आज बिछङा तो दिल अपना जला के लौटा है

©waqil ahmad raza बज़्म ए सुख़न

राजेन्द्र प्र०पासवान

बज़्म ए इख़लास

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हमने जब चाँद को देखा   चाँद के आसपास कोई न था 
चाँद गहरी ख़ामोशी में खो गया मैं इन्तज़ार करता ही रहा ।
चाँद को हजारो सितारे मिले ख़्वाबों में मैं तड़पता ही  रहा 
चाँद को इक चाँदनी भी मिली सितारों के संग चमकता रहा ।
तिज़ारत बनाके मुहब्बत को ख़यालों में सबको ठगता रहा 
किनारे पर दिल मेरा तड़प तड़प  क़रीब उनको बुलाता रहा। 
इक चाँदनी के ही कारण चाँद क्यों नाम बदलकर मिलता रहा  हमें हक़ीक़त की न कोई ख्वाहिश फिर भी अंधेरा बढ़ता गय।        🌼     बज़्म ए इख़लास

waqil ahmad raza

बज़्म ए अहमद #कविता

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Maa  इबादतों का करिना दिखा के ले आऊं
वहां से ख़ुल्द का ज़ीना दिखा के ले आऊं
मेरे करीम तू इतना नवाज़ दे मुझको 
मैं अपनी माँ को मदीना दिखा के ले आऊं

वकील अहमद रज़ा.....

©waqil ahmad raza बज़्म ए अहमद

राजेन्द्र प्र०पासवान

बज़्म ए इख़लास

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वो गुजरे लम्हे, वो प्यारी-प्यारी बातें ।
वो खोया-खोया दिन,वो जागी-जागी रातें ।
मेरे दिल की सदा कोई सुन लो ना ।
प्यार हमसे  कोई कर लो ना ।
🌼              
           ये ठंडी हवाएँ, मैं हूँ पेड़ पुराना ।
          छांव में पलभर, ठहर जाओ ना ।
           इक प्यार का नग़मा गाओ ना ।
          किसका है ये इन्तज़ार कहो ना ।

 बज़्म ए इख़लास
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