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Nova Changmai
दर क्या है??? एक लंबा हट्टा कट्टा आदमी उसी आवाज से बात कर रही है, और तुम सुनकर डर रही हो, उसको को दर नहीं बोलता है। जो बीते हुए कल है उससे शिक्षा लो, और जो आज करने वाले हो उसे किया नया क्या कुछ कर सकते हो उसके बारे में सोचो ,और डरो उस समय के लिए जो भविष्य में तुम्हारे जीवन को सुनहरी अक्षर में लिखकर जीवन को बदल सकता है। #सीखना #शायरी#कविता#रोमांस#मीनिंग #Motivational #Good #evening
Dr.Vinay kumar Verma
prashant Singh rajput
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Divyanshu Pathak
मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं नफ़रत के लिए मैं तो हर वक़्त मोहब्बत से भरा रहता हूं ! - मिर्ज़ा अतहर ज़िया #Good morning ☕☕💕👏😊😊🤓🍹🍬🍬💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 #पंछी,#पाठक,#हरे कृष्ण🙏 : हमारा जीवन आशाओं, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं के साथ आगे बढ़ता है। जीवन किसी दर्शन
lalitha sai
एक कथा.. जिस कथा में हो एक ऐसा अर्थ सबके सोच के परे हो... कुछ लघुकथा ऐसे दिल चुरा लेते है.. कोई सोच भी नहीं सकता.. अंत में एक सुकून के एहसास को.. दिल और दिमाग़ में छा जाते है.. बहुत पहले से ही मैं शॉर्टफ़िल्म के शौकीन हूँ.. कुछ कुछ शॉर्टफिल्म्स ऐसे होते है.. जिसे title कुछ अलग होता है.. देखने के बाद पता चले.. कितना म
AK__Alfaaz..
💞 आदरणीय दीदी जी आपके लिए..,💞 💕कुन्दन कल्पित काया जिसकी.., मन स्वच्छ, शान्त, शीतल सा.., 💕हृदय व्याप्त है सुधा सिंधु सी.., जीवन है पतित पावनी गंगा जिसका.., 💕शब्दों मे छिपा है जीवन का सार जिसके.., अधरों में सिमटी माँ शारदा की वाणी जिसके.., 💕वो आप ही हैं दीदी जी.., कथनों मे होता है सबके लिए.., प्रेम, सम्मान का भाव है जिसके.., Dedicating a #testimonial to Anju Singh आदरणीय दीदी जी .., पहली बार आपके लिए कुछ लिखने का प्रयास कर रहें हैं आशा करते हैं आपको पसंद आये.., य
Insprational Qoute
चंद तक़रार होती नही कि हो जाता आपसी मन मुटाव, पल भर में रिश्तों में आ जाती दरार खत्म होता लगाव, फ़िर वही अहम की दीवार बन स्तम्भ खड़ी हो जाती है, ये नयादौर का नया जमाना यहाँ रिश्तों में होता बदलाव, कौन किससे करे शिकायत सभी अपने किये के भागी है, ख़लिश मन मे इतनी पाल लेते है कि आते फिर अलगाव, वो जो एकता का बंधन था,अब कण कण हो बिखर गया, फिर एकांत में अकेलापन बिकता दुनिया मे टके के भाव, रक्तरंजित भी होने को वो शोणित सम्बंध ताक में रहता है, क्योंकि सहृदयता हो समाप्त कलुषित गाद हो गया जमाव, मुख़वाणी से शब्दों का तंज प्रपंच प्रत्योत्तर में कसा जाता, न आभास होता संज्ञान में वो भूल सभी को खोता सदभाव, पूर्वजो की धरा को अर्थ दम्भ में एकदूजे में वो बाँटते रहते है, बो भूल जाते उनकी पुश्तेनी विरासत से जुड़े संस्कृति जुड़ाव, अपनों का सामर्थ्य इतना तो नही जरूर कोई गलतफहमी है, ए खुदा विभाजन मात्र विनष्ट का पर्याय है बरसाओ प्रेमभाव। विषय:-आपसी मन मुटाव ******************* चंद तक़रार होती नही कि हो जाता आपसी मन मुटाव, पल भर में रिश्तों में आ जाती दरार खत्म होता लगाव, फ़िर
Naresh Chandra
लघुकथा : मुट्ठी भर आसमान "मुठ्ठी भर आसमान की चाहत की थी मगर दुष्टों ने जान से ही मार ड़ाला ज्यादा सहृदयता भी अच्छा नहीं होता होनहार लड़की ने जान ही गवां ड़ाला" सुषमा को पढ़ाई मे प्रथम आना उसका प्रिय शौक था। साथ ही साथ खेल कूद मे भी दिलचस्पी रखना और अपने गरीब सहपाठियों की मदद करना भी उसका शौक था। उसके इस शौक से आत्मिक संतोष मिलता था। उसके पिताजी भी उसका समय समय पर हौसला अफजाई किया करते थे। और सतर्क रहने की सलाह भी देते थे। लेकिन एक दिन अली नाम के लड़के ने सुषमा से दोस्ती कर लिया, सुषमा भी उसको अन्य दोस्तों की तरह पढ़ाई लिखाई मे सहयोग करती रहती थी, उसके इस स्वाभाव को अली ने अपने प्रति आकर्षण समझ प्यार का इजहार कर दिया। सुषमा अवाक रह गई उसके इस व्यवहार को देखकर । सुषमा ने उसको समझाना चाहा लेकिन वो पीछे ही पड़ गया तब सुषमा ने उससे दूरी बना लिया। जिससे वो बदला लेने के लिए अवसर की तलाश मे लगा रहता था। सुषमा उसके व्यवहार के बारे मे अपने पिता जी को बताया और पुलिस मे रिपोर्ट भी करवा दिया। सुषमा कालेज से अपनी सहेली के घर लौट रही थी कि अचानक अली अपने दोस्त के साथ रास्ता रोक लिया और अपने साथ चलने की जिद करने लगा लेकिन सुषमा के मना करने पर उसने गोली चला दिया जिससे उसके "मुठ्ठी भर आसमान" की चाहत मे उसकी पवित्र आत्मा अनन्त आकाश मे विलीन हो गई। नरेशचन्द्र"लक्ष्मी" फरीदाबाद हरियाणा। ©Naresh Chandra लघुकथा : मुट्ठी भर आसमान "मुठ्ठी भर आसमान की चाहत की थी मगर दुष्टों ने जान से ही मार ड़ाला ज्यादा सहृदयता भी अच्छा नहीं होत
Insprational Qoute
अनुपम-अमूल्य-उत्तम अक्षरनोक्ति करती है आप, शब्दशः प्रत्येक अक्षर को शब्दांजली में सजती आप, सरल-सहज-सहृदयता के संगम से सम्पूर्ण सरोबार आप, चंचलता-तन्मयता से सभी विषयों उन्मुक्तता से रचती आप, मधुर मुस्कान रख अधरों पर सर्वप्रथम सबको बधाई दे आप, मानवी मनस्वी एक दृढ़निश्चयी-आत्मविश्वासी नार हो आप, सब बयाँ न कर सकी क्योंकि अमूल्य -बहुमुल्य मोती हैं आप, बात करूं मेरी तो निर्मल-निश्छल हृदयी प्यारी didu हो आप। 💝Priya di💝priya di💝nisha kamwal💝 अनुपम-अमूल्य-उत्तम अक्षरनोक्ति करती है आप, शब्दशः प्रत्येक अक्षर को शब्दांजली में सजती आप, सरल-सहज-सहृदयत