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Rajeev Upadhyay

राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने। रामनवमी की सादर मंगलकामना💐🙏🏻 #navratri #समाज

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राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने।

रामनवमी की सादर मंगलकामना।

©Rajeev Upadhyay राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे
सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने।
रामनवमी की सादर मंगलकामना💐🙏🏻

#navratri

Poet Shivam Singh Sisodiya

राम-रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने।’’ (पद्मपुराण) पार्वती जी से भगवान शिव कहते हैं प्रभु श्री राम का नाम #nojotophoto

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 राम-रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्रनाम तत्तुल्यं राम नाम वरानने।’’
(पद्मपुराण)

पार्वती जी से भगवान शिव कहते हैं प्रभु श्री राम का नाम

Ashish Singh

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।। राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं। The name of Lord Ram is #nojotophoto

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 राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे। 
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने।। 

राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं।

The name of Lord Ram is

||स्वयं लेखन||

राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे । सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥   (शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ क #जय_श्री_राम #कविता

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राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

  (शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं | मैं सदा राम का स्तवन करता हूँ और राम-नाम में ही रमण करता हूँ |












🙏💐 जय श्री राम💐🙏 राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥

  (शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ क

Shaarang Deepak

Ram Raksha Stotram (रामरक्षास्तोत्रम्) shlok [38] in sanskrit with its meaning in Hindi || Let's Learn with The Mystic Learner || Shri Ram s

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Vikas Sharma Shivaaya'

भगवान विष्णु मंत्र: ॐ नमो भगवते वासुदेवाय श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।। ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन #समाज

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भगवान विष्णु मंत्र:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।

ॐ हूं विष्णवे नम:

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 155 से 165 नाम 


155 शुचिः स्मरण करने वालों को पवित्र करने वाले
156 ऊर्जितः अत्यंत बलशाली
157 अतीन्द्रः जो बल और ऐश्वर्य में इंद्र से भी आगे हो
158 संग्रहः प्रलय के समय सबका संग्रह करने वाले
159 सर्गः जगत रूप और जगत का कारण
160 धृतात्मा अपने स्वरुप को एक रूप से धारण करने वाले
161 नियमः प्रजा को नियमित करने वाले
162 यमः अन्तः करण में स्थित होकर नियमन करने वाले
163 वेद्यः कल्याण की इच्छा वालों द्वारा जानने योग्य
164 वैद्यः सब विद्याओं के जानने वाले
165 सदायोगी सदा प्रत्यक्ष रूप होने के कारण

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' भगवान विष्णु मंत्र:

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन

Sunil itawadiya

🙏🏻🕉️जय श्री कृष्णा🕉️🙏🏻 ✍🏵️अगर लोग आपकी अच्छाई को आपकी कमजोरी समझने लगते हैं, तो यह उनकी समस्या है, आपकी नहीं। आप तो अपनी अच्छाइयों पर कायम #Quotes #Hope #yqbaba #Collab #yqdidi #YourQuoteAndMine #buddymantra #BMkrishnablank

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कैप्शन पढ़ें
👇 🙏🏻🕉️जय श्री कृष्णा🕉️🙏🏻

✍🏵️अगर लोग आपकी अच्छाई को आपकी कमजोरी समझने लगते हैं, तो यह उनकी समस्या है, आपकी नहीं।
आप तो अपनी अच्छाइयों पर कायम

Vikas Sharma Shivaaya'

*ॐ नमों भगवते सुदर्शन वासुदेवाय , धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय , सकला भय विनाशाय , सर्व रोग निवारणाय , त्रिलोक पठाय, त्रिलोक लोकनिथाये , ॐ श्र #समाज

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*ॐ नमों भगवते सुदर्शन वासुदेवाय , धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय , सकला भय विनाशाय , सर्व रोग निवारणाय , त्रिलोक पठाय,  त्रिलोक लोकनिथाये ,  ॐ श्री महाविष्णु स्वरूपा,  ॐ श्री श्रीॐ  औषधा चक्र नारायण स्वहा !!* 

देव गुरु बृहस्पति गायत्री मंत्र:
-ॐ गुरुदेवाय विद्महे परब्रह्माय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात ||

-ॐ वृषभध्वजाय विद्महे करुनीहस्ताय धीमहि तन्नो गुरु: प्रचोदयात ||

-ॐ अन्गिर्साय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव: प्रचोदयात् ||

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) -प्रतिदिन11 नाम -आज-1 से 11:-

1 विश्वम् : जो स्वयं में ब्रह्मांड हो जो हर जगह विद्यमान हो
2 विष्णुः जो हर जगह विद्यमान हो
3 वषट्कारः जिसका यज्ञ और आहुतियों के समय आवाहन किया जाता हो
4 भूतभव्यभवत्प्रभुः भूत, वर्तमान और भविष्य का स्वामी
5 भूतकृत् : सब जीवों का निर्माता
6 भूतभृत् : सब जीवों का पालनकर्ता
7 भावः भावना
8 भूतात्मा: सब जीवों का परमात्मा
9 भूतभावनःसब जीवों उत्पत्ति और पालना का आधार
10 पूतात्मा: अत्यंत पवित्र सुगंधियों वाला
11 परमात्मा: परम आत्मा

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' *ॐ नमों भगवते सुदर्शन वासुदेवाय , धन्वंतराय अमृतकलश हस्ताय , सकला भय विनाशाय , सर्व रोग निवारणाय , त्रिलोक पठाय,  त्रिलोक लोकनिथाये ,  ॐ श्र

Vikas Sharma Shivaaya'

मां काली एकाक्षरी मंत्र( मां चिंतामणि काली का विशेष मंत्र):- क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ #समाज

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मां काली एकाक्षरी मंत्र( मां चिंतामणि काली का विशेष मंत्र):-
 क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा॥ 

मां वैभव लक्ष्मी मंत्र:- 
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:
यह वैभव लक्ष्मी का मंत्र है

मां सरस्वती बीज मंत्र:-
ॐ ह्रीं श्रीं सरस्वत्यै नमः।
ॐ ऎं सरस्वत्यै ऎं नमः।।

विष्णु सहस्रनाम(एक हजार नाम) आज 166 से 176 नाम 
166 वीरहा धर्म की रक्षा के लिए असुर योद्धाओं को मारते हैं
167 माधवः विद्या के पति
168 मधुः मधु (शहद) के समान प्रसन्नता उत्पन्न करने वाले
169 अतीन्द्रियः इन्द्रियों से परे
170 महामायः मायावियों के भी स्वामी
171 महोत्साहः जगत की उत्पत्ति, स्थिति और प्रलय के लिए तत्पर रहने वाले
172 महाबलः सर्वशक्तिमान
173 महाबुद्धिः सर्वबुद्धिमान
174 महावीर्यः संसार के उत्पत्ति की कारणरूप
175 महाशक्तिः अति महान शक्ति और सामर्थ्य के स्वामी
176 महाद्युतिः जिनकी बाह्य और अंतर दयुति (ज्योति) महान है

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' मां काली एकाक्षरी मंत्र( मां चिंतामणि काली का विशेष मंत्र):-
 क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ

Vikas Sharma Shivaaya'

शुक्र गायत्री मंत्र : -ॐ भृगुजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र: प्रचोदयात् || -ॐ भृगुपुत्राय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो कवि: #समाज

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शुक्र गायत्री मंत्र :

-ॐ भृगुजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र: प्रचोदयात् ||

-ॐ भृगुपुत्राय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो कवि: प्रचोदयात् ||

-ॐ भृगुवंशजाताय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो शुक्रः प्रचोदयात ||

विष्णु सहस्रनाम-एक हजार नाम -(प्रतिदिन 11  नाम) आज 12से 22  नाम 

12 मुक्तानां परमा गतिः: सभी आत्माओं के लिए पहुँचने वाला अंतिम लक्ष्य
13 अव्ययः अविनाशी
14 पुरुषः पुरुषोत्तम
15 साक्षी बिना किसी व्यवधान के अपने स्वरुपभूत ज्ञान से सब कुछ देखने वाला
16 क्षेत्रज्ञः क्षेत्र अर्थात शरीर; शरीर को जानने वाला
17 अक्षरः कभी क्षीण न होने वाला
18 योगः जिसे योग द्वारा पाया जा सके
19 योगविदां नेता योग को जानने वाले योगवेत्ताओं का नेता
20 प्रधानपुरुषेश्वरः प्रधान अर्थात प्रकृति; पुरुष अर्थात जीव; इन दोनों का स्वामी
21 नारसिंहवपुः नर और सिंह दोनों के अवयव जिसमे दिखाई दें ऐसे शरीर वाला
22 श्रीमान् जिसके वक्ष स्थल में सदा श्री बसती हैं

🙏बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय🌹

©Vikas Sharma Shivaaya' शुक्र गायत्री मंत्र :

-ॐ भृगुजाय विद्महे दिव्य देहाय धीमहि तन्नो शुक्र: प्रचोदयात् ||

-ॐ भृगुपुत्राय विद्महे श्वेतवाहनाय धीमहि तन्नो कवि:
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