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आशीष रॉय 🇮🇳
कविता - रामधारी सिंह दिनकर। दिनकर की रचनाओं ने स्वाभिमान जगाया है। दबी बुझी सी चिंगारी में फिर ज्वाला भड़काया है। कलमों को हथियार बना अंग्रेजों को भगाया है। कविताओं के बल पर आजादी हमें दिलाया है। कविताओं में हुंकार जब दिनकर ने लगाया है। दुश्मन के सीने को दिनकर ने खूब जलाया है। दुश्मन हो या अपने सभी को आईना दिखलाया है। लड़खड़ाती राजनीति को साहित्य से संभाला है। कोरे कागज सा जीवन में साहित्य का दीप जलाया है। उर्वशी में स्त्री का क्या कोमल ह्रदय दर्शाया है। जो देश के लिए तन मन सब अर्पित कर जाता है। वही राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर कहलाता है। - आशीष रॉय। कविता - रामधारी सिंह दिनकर। #reading
ankit saraswat
जात-पात का नाम ना जाने, बड़े-छोटे का भेद ना जाने, हो प्रस्तुत जो जनसेवा को निष्कपट निश्छल मन से, जग करता है ऐसे वीर धरापुत्र को नमन सदैव हृदय से।। #अंकित सारस्वत# #रामधारी सिंह दिनकर
VIJAY PRAKASH
सम्बन्ध कोई हों लेकिन यदि दुःख में साथ न दें अपना, फिर सुख में उन सम्बन्धों का रह जाता कोई अर्थ नहीं। मन कटुवाणी से आहत हो भीतर तक छलनी हो जाय, फिर बाद कहे प्रिय बचनों का रह जाता कोई अर्थ नहीं। सुख-साधन चाहे जितने हों पर काया रोगों का घर हो, फिर उन अगनित सुविधाओं का रह जाता कोई अर्थ नहीं। रामधारी सिंह दिनकर
Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते"
रामधारी सिंह 'दिनकर' ©Rashmi singh raghuvanshi "रश्मिमते" #रामधारी सिंह "दिनकर"