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Ramji Ramesht Dauderiya

#Rrd की डायरी की शायरी 11

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alone writer

😔कितना भयानक दिन रहा होगा वो हिंदुस्तान के लिए।

©alone writer #शायरी #Shaam #saadgi #shaadi 
#26/11

Akram Tilhari

[[ अकरम तिलहरी की शायरी ]]21/11/19

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अपनी   मदहोश    निगाहों   से   पिलाने  वाले 
तू   कहाँ   है     मुझे    दीवाना    बनाने   वाले 

जिन   की   राहों  में  सदा  फ़ूल   बिछाये  मैंने 
हैं   वोही   रह   में   मेरी   ख़ार    बिछाने  वाले 

खुल  ना  जायें कहीं   महशर  में  मेरे  ऐब  सभी 
ले   छुपा    मुझ   को   मेरे   ऐब   छुपाने   वाले 

दास्ताँ  ग़म  की  सुनाई   है  किसी  ने  जब  भी 
आ  गई   याद   तेरी    दिल  को   दुखाने   वाले 

रोक  लेता  हूँ  ज़बाँ   सोच  के  कुछ  मैं लेकिन 
वैसे   दिल   में    हैं   बहुत   राज़   बताने   वाले 

ग़म  ना  कर  जल्द   ही  हालात   बदल  जायेंगे 
सब्र   से   काम     ले   ऐ   अश्क   बहाने   वाले 

जब  से नज़रें हैं फ़िरीं आप की  मुझ से अकरम 
ख़ूब   जी   भर   के   सताते   हैं    सताने  वाले [[ अकरम तिलहरी की शायरी ]]21/11/19

Akram Tilhari

[[ अकरम तिलहरी की शायरी ]]22/11/19

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यादों   को   भुलाने   में   ज़रा   देर   लगेगी 
ज़ख़्मों   को  मिटाने  में  ज़रा   देर   लगेगी 

काँटे  जो  बिछाये  थे  मेरी  राह  में  तुम  ने 
काँटे   वो    हटाने   में    ज़रा   देर   लगेगी 

जिस राज़ को बरसों से छुपाया मेरे दिल ने 
वो   राज़    बताने  में    ज़रा    देर    लगेगी 

तुम  के  तो  जगा  कर के  मेरी नींद उड़ा दी 
अब   नींद  के  आने  में   ज़रा   देर   लगेगी 

जो तुम ने  लगाई थी निगाहों से कभी आग 
वो   आग   बुझाने    में   ज़रा    देर   लगेगी 

जिस बात ने हलचल सी मचादी मेरे दिल में 
वो    बात    बताने   में    ज़रा    देर   लगेगी 

अकरम सा कोई और ना देखा है सुखनवर 
अकरम  को  भुलाने  में  ज़रा   देर   लगेगी [[ अकरम तिलहरी की शायरी ]]22/11/19

Akram Tilhari

[[ अकरम तिलहरी की शायरी ]] 12/11/19

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दिल    मेरा   बे   क़रार   थोड़ी   है 
अब  मुझे  तुझ  से  प्यार  थोड़ी है 

इस  नगर  की फज़ा  हमारे  लिये 
अस्ल   में    साज़गार   थोड़ी   है 

कहने  को  है  अमीरे   शहर  मगर 
वो   कोई    ज़ी   वक़ार  थोड़ी  है 

क़स्में कितनी भी खाये वो लेकिन 
उस   का  अब  ऐतबार   थोड़ी  है 

जिस की  करता  है तू तरफ दारी 
वो    कोई    तेरा   यार  थोड़ी  है 

तुझ  से  इक मैं ही  प्यार  करता हूँ 
सारा   कुंबा     निसार    थोड़ी   है 

जान  दे  दूँ  मैं   आप  पर अकरम 
आप    से  इतना    प्यार    थोड़ी है [[ अकरम तिलहरी की शायरी ]] 12/11/19

Akram Tilhari

[[ अकरम तिलहरी की शायरी ]] 13/11/19

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दिल की महफिल  सजाने से क्या फायेदा 
गीत   उल्फ़त  के  गाने   से  क्या  फायेदा 

जिन  को  तेरी  वफा  पर   यकी़ं   ही नहीं 
उन  के  घर  आने   जाने  से  क्या फायेदा 

सोने  चाँदी   के   महलों  में  रहते   हैं  जो 
उन  से   नज़रें   मिलाने  से  क्या  फायेदा 

जिस  ने  थामा   है  ग़ैरों  का  दामन  सदा 
उस  को  अपना  बनाने  से  क्या  फायेदा 

जिस   को  आगोश   में  मौत  ने ले  लिया 
उस  का  मातम   मनाने  से  क्या  फायेदा 

दिल  में   जब  कोई  बाक़ी  ख़ुशी  ना रही 
फ़िर   बहारों   के  आने   से  क्या  फायेदा 

ऐब  गर   तुम  को  अकरम  के  मालूम  थे 
हर  किसी   को  बताने  से   क्या  फायेदा [[  अकरम तिलहरी की शायरी  ]] 13/11/19

Akram Tilhari

[[ अकरम तिलहरी की शायरी ]] 23/11/19

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वो जो रह कर गुलों में जी रहे हैं 
वोही तो मुश्किलों में जी रहे हैं 

अभी निकला नहीं मग़रिब से सूरज 
अभी हम रहमतों में जी रहे हैं 

मसर्रत होगी कैसे हम को हासिल 
मुसलसल हम ग़मों में जी रहे हैं 

तुम्हारा जब से थामा हम ने दामन 
हमेशा ख़ुशबुओं में जी रहे हैं 

कहें हम बात अपने दिल की कैसे 
यहाँ हम जा़लिमों में जी रहे हैं 

कहाँ पहुँची है दुन्या ये तो सोचो 
हम अब तक मसलकों में जी रहे हैं 

नमाज़ों के हैं जो पाबंद अकरम 
वोही तो रहमतों में जी रहे हैं [[ अकरम तिलहरी की शायरी ]] 23/11/19

Akram Tilhari

[[ अकरम तिलहरी की शायरी ]] 20/11/19

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दिल  में   अब तो  हर  लम्हा  रहती बे  क़रारी  है 
आप   की   मोहब्बत   में  आँख    अश्कबारी  है 

उस की हर अदा हम को  जानो दिल  से प्यारी है 
मिटती   है  तो   मिटने  दो   ज़िंदिगी   हमारी   है 

तुम   कभी  तो  आओगे   ज़िंदिगी  मेरी  बन  कर 
हम  ने  इस  तवक़्क़ो   पर   ज़िंदिगी   गुज़ारी   है 

पूछते  हो   क्या   हम  से  कैसी  शब  कटी  यारो 
हम  ने  तारे  गिन   गिन  के  काटी  रात  सारी है 

इक  झलक  जो  देखी  थी  राह  में कभी  उस की 
रह वो आज तक मुझ  को जानो दिल से प्यारी है 

अब  ना  कुछ  दिखाई   दे अब  ना  कुछ सुनाई दे 
ज़हनो  दिल  पे  कुछ  ऐसी   इश्क़  की  खुमारी है 

उस के आने  से  सारा  घर   महेक  उठा   अकरम 
आज   औज    पर   क़िस्मत   दोस्तो    हमारी   है [[ अकरम तिलहरी की शायरी ]] 20/11/19

Akram Tilhari

[[ अकरम तिलहरी की शायरी ]] 12/11/19

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उम्र में मेरी सराबों के सिवा कुछ  भी नहीं 
उस के दामन में बहारों के सिवा कुछ भी नहीं 

आज भी आप बनायेंगे  बहाना आख़िर 
आप के पास बहानों के सिवा कुछ भी नहीं 

इस ज़मीं पर हैं खिले फूल मोअत्तर कितने 
आसमाँ तुझ में तो तारों के सिवा कुछ भी नहीं 

ये मोहब्बत का शहर है यहाँ क्या ढूंडते हो 
इस शहर में तो दिवानों के सिवा कुछ भी नहीं 

हो गये जिन में फसादात के पौदे यारो 
उन मकानों पे तो तालों के सिवा कुछ भी नहीं 

कैसे आये हो यहाँ ढूंडते फिरते क्या हो 
मेरे आँगन में तो ख़ारों के सिवा कुछ भी नहीं 

कौन गुज़रा था तेरे दिल की ज़मीं पर अकरम 
जिस के क़दमों के निशानों के सिवा कुछ भी नहीं [[  अकरम तिलहरी की शायरी  ]] 12/11/19

Trutle Dove

11:11 #Love

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