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VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕
किन साँसों का मैं एतबार करूँ जो अंत में मेरा साथ छोड जाऐंगी किस धन का मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरे प्राणों को बचा ही नहीं पाएगी किस तन पे मैं अंहकार करूँ जो अंत में मेरी आत्मा का बोझ भी नहीं उठापाएगी ✨✨✨ भगवान की अदालत में वकालत नहीं होती और यदि सजा हो जाये तो जमानत नहीं होती भगवान मेरा ये सम्बन्ध सबसे हमेशा बनाए रखेना मैं कैसा हूँ मुझे नहीं मालूम लेकिन मुझे मिला हुआ हर व्यक्ति बहुत ही अच्छा है मै उनका ह्रदय से सम्मान करता हूँ *🌹शुभ प्रभात मित्रों 🌹* *परमात्मा आपकी हर मनोकामना पूरी करें** जय हिंद जय भारत 🙏🇮🇳🌹 ©VINAY PANWAR 🇮🇳INDIAN ARMY💕💕 रामायण गीता पढ़ी पढ़ी पाक क़ुरआन मरा नहीं पापी मगर क्यों मन का शैतान स्वर्गलोक से झाँक के देखो तो भगवान रहता है किस हाल मे
RAHUL KUMAR SONI
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
इस देश में और दुनिया के हर कोने में रामायण, गीता, वेद, पुराण उपनिषद से लेकर प्राचीन भारत के ऋषि और मुनियों की कथाओं को पहुंचाने का एकमात्र श्री गीता प्रेस गोरखपुर के संस्थापक हनुमान प्रसाद पोद्दार को ही जाता है। ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust इस देश में और दुनिया के हर कोने में रामायण, गीता, वेद, पुराण उपनिषद से लेकर प्राचीन भारत के ऋषि और मुनियों की कथाओं को पहुंचाने का एकमात्र श
sukoon
#RIPPriyankaReddy इंसानियत आज फिर चीखों में दफ्न हो गई एक और निर्भया बना बीच चौराहे पे सो गई पंगु है कानून बहरी है सरकार जनता मौन है लगे रामायण गीत कुरान बाइबिल ये खो गई इंसानियत आज फिर चीखों में दफ्न हो गई एक और निर्भया बना बीच चौराहे पे सो गई पंगु है कानून बहरी है सरकार जनता मौन है लगे रामायण गीता कुरान बाइ
talvindra_writes
भारत की शान, तिरंगे का सही मतलब क्या हैं, बहुत ही सुंदर तरीके से, मैंने इसका वर्णन किया हैं, एक बार आप इस कविता को जरूर पढ़िएगा । आशा हैं आपको पसंद आएगी.... Read In Caption 💫 *तिरंगा* 💫 हमारी आन-बान-शान, तिरंगा हम सब की पहचान, तिरंगा हिंदू, मुसलमान ना जाने, तिरंगा सब धर्म को एक माने,
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मैं तो जीवन से हूँ हारा , ढूढे़ से न मिलता किनारा । लुढ़क रहा हूँ लोटे जैसा , कोई भी न होता सहारा ।। मैं तो जीवन से हूँ हारा .... कितने अच्छे दिन बचपन के , खेला कूदा खाया सोया । जो चाहा वो पा लेता था , बेशक थोड़ा सा था रोया ।। लेकिन इस पन में है देखा, कर लेते हैं सभी किनारा । मैं तो जीवन से हूँ हारा ... रिश्तों में भी प्रेम बसाया , बहुत जगत में नाम कमाया । टूटी पतंग तो देखा हमने , इसी धूल ने मुझे उठाया ।। चलो पढ़े रामायण गीता , वह ही सबको पार उतारा । मैं तो जीवन से हूँ हारा ..... जब तक कर्म बुरे था करता , हर पल हर दम सब था चोखा । तब जितना हमने सोचा था , आँख खुली तो सब था धोखा ।। वह भी न देते है सहारा , जिनको था प्राणों से प्यारा ।। मैं तो जीवन से हूँ हारा .... मैं तो जीवन से हूँ हारा , ढूढ़े से न मिलता किनारा । लुढ़क रहा हूँ लोटे जैसा , कोई भी न होता सहारा ।। ०९/१२/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मैं तो जीवन से हूँ हारा , ढूढे़ से न मिलता किनारा । लुढ़क रहा हूँ लोटे जैसा , कोई भी न होता सहारा ।। मैं तो जीवन से हूँ हारा .... कितने
Poetry with Avdhesh Kanojia
दोषपूर्ण परवरिश -------------------- खो रहे युवा जो होश। ये है परवरिश का दोष।। अब क्या करना रोष। ये है परवरिश का दोष।। पिता ने सिखाया धन कमाना पर पुण्य कमाना नहीं। अब पुत्र देखता केवल धन है माता पिता को नहीं।। उदण्डता को उसकी बोल बचपना अनुशासन तो सिखाया नहीं। अब वर्षों से उसने कभी भी माँ बाप को प्रेम दिखाया नहीं।। बचपन की वो उद्दण्डताएँ बनीं जवानी का जोश। ये है परवरिश का दोष।। उसकी पहले वाली दिनचर्या पे दिया नहीं कभी भी ध्यान। दिखाईं फिल्में नाटक पर न दिया रामायण गीता का ज्ञान।। आज वही रखते कुदृष्टि अब सुहागिन और कुँवारी पर। अच्छी परवरिष के अभाव में केवल अवगुण रहें उभर।। गालियाँ तो सुन लो कितनी नहीं राम जयघोष। ये है परवरिश का दोष।। खो रहे युवा जो होश। ये है परवरिश का दोष।। अब क्या करना रोष। ये है परवरिश का दोष।। ✍️अवधेश कनौजिया© #reality #real #life #lifequotes #google #good #goals #poetry दोषपूर्ण परवरिश -------------------- खो रहे युवा जो होश। ये है परवरिश का दोष
Dr Upama Singh
“भारतीय संस्कृति” अनुशीर्षक में👇👇👇 भारतीय संस्कृति एक ऐसी धरोहर है जिसकी छटा विश्व मानस पटल पर सुंदर मनोहर है — % & यहांँ ज्ञान, संस्कार संस्कृति की शान संगम मिले जैसे हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई हिंदुस्तान में मिले ऐसे ही यहांँ हम सब मिलजुल कर के रहते ह
Raj 94myfm
कड़वा सच है, जरा ध्यान दें :-* *एक लड़की ने अपने दादा से पूछा :- "दादा जी...आप लोग पहले कैसे रहते थे ?* *न कोई टेक्नोलॉजी , न जहाज, न कम्प्य
Amar Anand
-परम सत्य योगपथ- आत्मज्ञान प्रथम भाग -1 धर्म क्या है ? मानव जीवन का मूल उद्देश्य क्या है ? आत्मिक चिंतन नीचे कैप्शन में... -Amar Bairagi हमलोग समाज में प्रतिदिन रामायण , गीता , महाभारत आदि धार्मिक ग्रंथ पढ़ते हैं बढ़े बूढ़ों को एक एक कहानी हर छोटी से छोटी स्टेप मालूम है कहने क