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Dr Wasim Raja
खान अब्दुल गफ्फार खान हमेशा निर्भीक निडर सत्याग्रही मानवतावादी बने रहे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लिया अंग्रेजों के अनगिनत सितम सहते रहे।। 6 फरवरी 1890 पाकिस्तान में पैदा हुए हर वक्त मिलत भाईचारे के लिए आंसू बहाते रहे। आज ही के दिन 1988 में दुनिया को अलविदा कहा, आखिरी पल तक अहिंसा की बात करते रहे। सीमांत गांधी बादशाह खान के पुण्यतिथि पर सौ सौ सलाम। या रब शांति के मसीहा को मिले जन्नत में आला मुकाम।। ©Dr Wasim Raja खान अब्दुल गफ्फार खान के पुण्यतिथि पर समर्पित
Aurangzeb Khan
कोई तस्वीर भला क्या बता पाएगी हकीकत तो रूबरू होने पर सामने आएगी किसी की तस्वीरों को देख कर के कुछ तसव्वर ना करो वरना यह ख्वाबों की दुनिया पल भर में बिखर जाएगी औरंगजेब खान के अल्फाज
Aurangzeb Khan
ख्वाहिशें कितना खुदगर्ज बना देती है इंसान को थोड़ी सी जो बुलंदियां पाता है और अपने अतीत को भूल जाता है वक्त का चलन भी क्या खूब सिला देता है ऐसे खुदगर्ज लोगों को जो अतीत को भुला देता है भविष्य उसको भुला देता है औरंगजेब खान के अल्फाज
CK JOHNY
बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बेरंग हो चुकी इस ज़िंदगी में आज हम तिरंगा इक रंग जायेंगे। कुर्बानी का रंग कुछ रंग अमन का हरा भरा रंग भर देंगे अपने चमन का। हर तरफ खुशियों के फूल खिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। गरीबों कुचलों के आँसू पोंचे हाथ थाम उनका कुछ सोचें। हर हाथ को काम दें पैरों पर उन्हें खड़ा करें। अपने हिंदुस्तानी होने का हक अदा करें। देखो कैसे फिर सबके दिल मिल जायेंगे। बहुत हो चुका बर्बादी का रोना आज गीत आज़ादी के गायेंगे। बी डी शर्मा चण्डीगढ़ 15.08.2020 आज़ादी के गीत
Harish
मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। कभी टूटी आसों में, धुंधलाती विश्वासों में, नवजीवन की अहसास जगाऊं। मन होता है आज, एक गीत गुनगुनाऊं। कुछ रिश्तों की गांठों को, दिल में आयी बांटो को फ़िर से एक बार सुलझाऊं, मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। कुछ अधूरी लकीरों को, द्वार पर खड़े फकीरों को, उनके मंज़िल तक पहुचाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। उन हाथों की छुअन को, ममता की तपन को, फ़िर एक बार अपने पास लाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। अतीत में दबे गहरे, व्यतीत हुए बहुत ही सुनहरे, उन खूबसूरत पन्नों को फ़िर आज वापस पाऊं। मन होता है आज एक गीत गुनगुनाऊं। अतीत के गीत