👍कभी देखता हूं मैं #ज़मी कभी देखता हूं आसमा#👍 #शायरी
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Farhan Raza Khan
रोज देखता हूं मैं रहेबरी आईना में
रोज एक नया दाग़ निकल आता है
Roz dekhta hoon main Rahbari aaine mein
Roz ek Naya daag Nikal aata hai..
fa #कविता#farhanrazakhan
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Zulfikar Ali
लगे हैं फिर से गया दौर लौट आया है,
बचपना मेरा मेरी और लौट आया है,
हरकतों में तेरी अब खुद को देखता हूं मैं,
तेरे जरिए मेरा हर तौर #शायरी
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सुसि ग़ाफ़िल
हां मैं सुश हूं।
मैं बाहर से कुछ नहीं देखता हूं ।
मैं गहराइयों में बोलता हूं ,
वहीं है दर्द की गांठ बस ,
उसी को ही खोलता हूं ,
हां मैं दर्
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nishant
अलग से ढूढता हु शब्द ,जब तुझे देखता हूं
कुछ सोच के फिर भूल जाता हूं , जब तुझे देखता हूं सोचता हूं तुझे बुरा लगेगा,इसलिए गजल में तेरा जिक्र न #विचार#iitkavyanjali