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Anushka Sharma
#विश्वहिंदीदिवस जिस भाषा पर गर्व करती हूँ, जिस भाषा पर जान न्योछावर करती हूँ, वो मेरे देश की राष्ट्र भाषा है, वो भाषा हिंदी भाषा है, #विश्व_हिंदी_दिवस अपनी भाषा पर गर्व करो.....
Sanu Chauhan Spn
गम को Delete करो खुशी को Save करो दोस्ती को Download करो प्यार को Incoming करो नफरत को OutGoing करो हंसी को Hold करो और अपनी मुस्कान को Send करो ❤️❤️ सानू सिंह चौहान❤️❤️ WhatsApp - 9454500732 गम को Delete करो खुशी को save करो दोस्ती को Download करो.......
Ajay Daanav
हृदय से उपजे विचार हो तुम शब्दों का मेरे श्रृंगार हो तुम करती हुई झंकृत मन-वीणा सातों सुरों की झनकार हो तुम हूं मैं कविता छंदों में गढ़ी कविता का मेरी सार हो तुम हृदय से उपजे विचार हो तुम प्यार को परिभाषित नहीं किया जा सकता।
Akash Chaudhary
प्रेम को परिभाषित नहीं करते पात गन्दी रेत से लथपथ वो पत्ते जो कभी वृक्ष के वक्ष से कलाएं करते थे, कितनी ही चिड़िया तुमको छूकर गुजरी, मैं तुम पर आज ढूंढने बैठ गया उनके पैरों के निशान, क्या मन नहीं है तुम्हारा तुम उनको परिभाषित करो, क्या नहीं बताना चाहते मुझे अपने प्रेम के विषय में, तुम्हारी व्यथा और प्रेम से परिचित हूं मैं समझ रहा हूं पात तुम्हे मैं, तुम्हे पुरानी चिड़िया की याद आयी होगी, चलो मैं अपने दरवाजे से इंतजार में हूं जब चाहना तब दास्तां सुनाना......, तुम्हारा मौन समझता हूं मैं, तुम बता रहे हो शायद मुझे प्रेम कभी शब्दों से नहीं किया जाता वो होता है बस ,बस होता है।। ©Akash Chaudhary प्रेम को परिभाषित नही किया जाता।।❤️
Gurpreet Singh प्रीत कि कलम
तैहरती थी मेरी कश्ती समुद्र के उस मुकाम पर जहा मंजिल मिलने वाली थी मेरी मेहनत के दाम पर दुश्मन ने पलटी है कश्ती समुद्र कि लहरो के मुकाम पर ऐ दुश्मन आने वाला हु मै लहरो के साथ मे तुझे और तेरी बस्ती ले जाऊगा साथ मे,, ©Gurpreet Singh प्रीत कि कलम किसी को नाकाम मत करो खुद को कामयाब करो,,
Shashank मणि Yadava "सनम"
भले बड़े बन जाओ यारों, लेकिन माँ को याद रखो।। मंदिर जाने से बेहतर है, माँ को अपने पास रखो।। माँ के प्यार, दुआ से बढ़कर, न कोई भगवान है।। जिसने माँ को मान दिया, वो सबसे सुखी इंसान है।। प्रभु पूजा की ख्वाहिश यारों, जब भी मन में लाता हूँ।। सच कहता हूँ यारों तब, मंदिर मस्जिद न जाता हूँ।। अपनी माँ की ममता के, आँचल में मैं सो जाता हूँ।। ©Shashank मणि Yadava "सनम" #Mother's love,,,,, माँ को परिभाषित करती हुई पंक्तियाँ
Praveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी परायी नही कोई भाषा सब को परखिये ये तो फिर भी इंसानी भाषा है परिंदों की भाषा भी सीखिये मगर मात्र भाषा को छोड़कर कोई दूसरी भाषा को राष्ट्र पर न थोपिये प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #English मगर मात्र भाषा को छोड़कर दूसरी भाषा ना थोपिये #nojotohindi
Ek villain
मृत भाषा की महता से मुंह मोड़ने की खातिर शीर्षक से प्रकाशित आलेख में गिरी व में चुने लोगों को मृत भाषा के प्रति जागरूक करने के साथ उनकी जरूरतों को खूबी वर्णन किया इन ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के बाद हिंदुस्तान में संस्कृति से लेकर समाज तक ऐसे बदलाव हुए जिसमें हमारी परंपरा का कायापलट कर दिया लिख लेखन और सीखने की प्रक्रिया में भाषा में हो ना सच बात है जो वास्तविक रूप से सत्य है कोई भी नौसिखिया बजाय किसी भी अन्य भाषा की अपनी भाषा में ही चीजों को बेहतर समझ पाता है हमने अंग्रेजी को विश्व भर में बोलने वाली भाषा समझ कर अपने भीतर इस तरह उतार लिया है कि जब अपने ही देश में हिंदी बोलना शर्मनाक होने लगा है यदि अंग्रेजी भाषा से अधिक जरूरी है तो चीन की पश्चिमी संस्कृति गुलाम हो गई होती अपनी भाषा को ही प्राथमिकता दी है इससे साबित होता है कि मृत भाषा से भी समाज विकसित हो सकता है हर भाषा अपनी प्राचीन संस्कृति से प्रेरित होकर बनी हुई होती है हालांकि कोई बात इतना गलत नहीं है किंतु माता के स्थान पर किसी अन्य भाषा को स्वीकार कर लेना समाज में नई संस्कृति को बढ़ावा देना जैसा है इसे अपनी संस्कृति के नष्ट होने का खतरा होता है अपनी संस्कृति को नजरअंदाज करके अंग्रेजों द्वारा छोड़ी गई उनकी भाषा को आज तक कर रखा है मानो यह उनकी विरासत थी जिसे हर हिंदुस्तानी को बचा कर रखना है इसके कारण पश्चिमी संस्कृति पर जा रहे हैं जो हमारी संस्कृति को नष्ट कर रही है इससे अपनी भाषा के प्रतिवेदन जैसे परिस्थितियां जन्म लेने लगी है ©Ek villain #मृत भाषा को बचाना जरूरी #selflove