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Mr Shiv Kumar

धार्मिक कविता सॉन्ग

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Niket Kumar

मार्मिक कविता

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Alone  भाई को समर्पित
एक छोटी सी कविता
"कहना चाहता हुं मगर 
आपके कान तरस जायेगे"
तुझसे रूठा हुं भाई
खुद से टुटा हुं भाई
एक माँ-बाप के है
फिर क्यों हुए अलग-अलग
बचपन में कोई शिकायते न थी
अब नफरतो के बागान क्यों है मार्मिक कविता

Mohan Jha

आधात्मिक कविता!

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'मानव'
आधा सत्य 
आधा असत्य!
आधा नर 
आधा देव-राक्षस
आधे-आधे!

ख़ुशी हैं तो ग़म में
ग़म ख़ुशी में!

अजीब-सी हैं पहेली
आत्मा-शरीर और मन!
सासो में प्राण
ह्रदय में कम्पन!

एक आनंद की अनुभूति
मन का!
एक संतुष्टि तन का!
एक मिलन!
आत्मा परमात्मा की!
एक विरह! संसार से, 
यात्राएं जन्मो की!
 प्रवर्तित तन-बदन से!

निकल ते कब हम इस वन से 
माया जा ते ना अब मन से!

अजीब-सी हैं पहेली..

एक में ही अनेक हो
फिर भी तुम एक हो!
तुम सब में 
सब तुम में हो!
सम हो..

तुम 'मैं' 'मैं' तुम में
'हम'
पर तुम-तुम-मैं-मैं
वक़्त हैं देखो अब सहसा ठहर गई कैसे!
एक-एक हो या दो तीन हो
पर एक हो!
वक़्त हैं देखो फिर सहसा चल पड़ी कैसे..

वाह-वाह हो तुम्हारी जय हो!
ये हो वो हो फिर भी तुम पराजय हो!

मान लो, ना मानो, या मान लो
बात तो बदल गई!
मान लो जो मानना हैं अब मान लो!

अजीब-सी पहेली हो 
जय भी तुम्हारी हो
पराजय तुम्हारी हो
भाग्य-सौभग्य, सोच-समझ
ज्ञान-विज्ञान, बुद्धि-विचार
सब तुम्हारी हो!

तुम कुछ नहीं
पर तुम 'मैं' हो!
अब 'मैं' हो या तुम हो
सब हो तभी तुम हो!
क्या हो जब सब ना हो
फिर तुम हो! तुम हो! तुम ही हो!
और तुम क्या हो जब तुम ही हो!

और क्या हो जब सब हो
पर तुम ना हो
ये हो वो हो जो हो सो हो!
पर तुम क्या हो..? आधात्मिक कविता!

True path

संतों की सच्ची रीत एक धार्मिक कविता

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@Devidkurre

एक तार्किक का कविता #विचार #OpenPoetry

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#OpenPoetry जहां बीस करोड़ रहे भूखे सोने को मिले फुटपाथ गटर जिस देश की बेटी खौफ ज्यादा बैठे बचपन की दहलीज पर हम कैसे गर्व करें उस पर

जिस जगह करोड़ों बच्चो का जीवन चलता कचरा चुनक
जिस मुल्क में गिस्ता नौजवान और पल-पल गिस्ता हो कंकर हम कैसे गर्व करें उस पर---2

जिस देश का‌ टिंचर घौट रहा ओ खिचड़ी दलीय दिन दिन भर
जहां ऊंची शिक्षा चाट रहे कितने अज्ञानी प्रोफ़ेर हम कैसे गर्व करें उस पर

जिस देश की वैद्युत वैज्ञानिक गर्दन में पहने हो जंतर--2
जहां जानलेवा हो अस्पताल और डॉक्टर से लगता हो डर हम कैसे गर्व करें उस पर

जहां जानवरों की पूजा हो इंसानों पर चलते खंजर जब ज्ञान के नाम पर भरा हुआ वो इंसानी सर में गोबर हम कैसे गर्व करें उस पर

जहां जीवन के संसाधन पर कुंडली मार बैठे अजगर जिस देश में जारी जन हत्या हो जात धर्म के नफरत पर हम कैसे गर्व करें उस पर हम कैसे गर्व करें उस पर हम कैसे गर्व करें उस पर

"😌😌आदित्य कमल कि कृति से" एक तार्किक का कविता

Ashwini Santosh khopade

सर्व कविता कारांना कविता दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा... #WorldPoetryDay #मराठीकविता

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शब्द्... !!

मनाच्या त्या खोलाव्यात
बसतात हळुवार रूतून ..,
भावनांच्या त्या ओवीतून
येतात सूर लाऊन ...,
कोणाच्या त्या लेखनीतून,
तर..
कोणाच्या अश्रुतून..
ऊमठतात त्या पानांवर 
हळुवार ...
नि: शब्द् होऊन ....!!

©Ashwini Santosh khopade सर्व कविता कारांना कविता दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा...
#WorldPoetryDay
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